गाजियाबाद-अलीगढ़ एक्सप्रेस पर बना रिकॉर्ड, 100 घंटे में बिछाई गई 100 लेन किमी कंक्रीट
गाजियाबाद-अलीगढ़ एक्सप्रेसवे पर इतिहास बन गया है।100 घंटे के रिकॉर्ड समय में 100 लेन किलोमीटर की दूरी पर बिटुमिनस कंक्रीट बिछाया गया। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि यह पूरे देश के लिए गर्व का पल है।
By AgencyEdited By: Shyamji TiwariUpdated: Fri, 19 May 2023 10:01 PM (IST)
नई दिल्ली, पीटीआई। गाजियाबाद-अलीगढ़ एक्सप्रेसवे पर इतिहास बन गया है।100 घंटे के रिकॉर्ड समय में 100 लेन किलोमीटर की दूरी पर बिटुमिनस कंक्रीट बिछाया गया। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि यह उपलब्धि भारत के सड़क बुनियादी ढांचा उद्योग के समर्पण और प्रतिभा को उजागर करती है।
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि यह पूरे देश के लिए गर्व का पल है। गाजियाबाद-अलीगढ़ एक्सप्रेस ने इतिहास रच दिया। 100 घंटे के अभूतपूर्व समय में 100 लेन किलोमीटर की दूरी पर बिटुमिनस कंक्रीट बिछाना भारत के सड़क अवसंरचना उद्योग के समर्पण और सरलता को उजागर करती है।
नितिन गडकरी ने आगे कहा कि मैं क्यूब हाईवे, एल एंड टी, और गाजियाबाद अलीगढ़ एक्सप्रेसवे प्राइवेट लिमिटेड (जीएईपीएल) की टीमों को उनकी उत्कृष्ट उपलब्धि के लिए बधाई देता हूं। खास बात है कि क्यूब हाईवे गाजियाबाद-अलीगढ़ एक्सप्रेस का निर्माण कर रही है।Proud moment for the entire nation!
The Ghaziabad-Aligarh Expressway has made history by achieving a remarkable feat: the laying of Bituminous Concrete over a distance of 100 lane kilometers in an unprecedented time of 100 hours. This accomplishment highlights the dedication and… pic.twitter.com/YMZrttGELE
— Nitin Gadkari (@nitin_gadkari) May 19, 2023
उन्होंने कहा कि यह परियोजना दादरी, गौतम बौद्ध नगर, सिकंदराबाद, बुलंदशहर और खुर्जा सहित उत्तर प्रदेश के विभिन्न कस्बों और शहरों से होकर गुजरती है। मंत्री ने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण व्यापार मार्ग के रूप में कार्य करता है, माल की आवाजाही को सुविधाजनक बनाता है और औद्योगिक क्षेत्रों, कृषि क्षेत्रों और शैक्षणिक संस्थानों को जोड़कर क्षेत्रीय आर्थिक विकास में योगदान देता है।
मंत्री ने कहा कि इस नवीन हरित प्रौद्योगिकी में 90 प्रतिशत मिल्ड सामग्री का उपयोग शामिल है, जो लगभग 20 लाख वर्ग मीटर सड़क की सतह के बराबर है। उन्होंने कहा कि इसके परिणामस्वरूप, कुंवारी सामग्रियों की खपत घटकर मात्र 10 प्रतिशत रह गई है। इस दृष्टिकोण को अपनाने से हमने ईंधन की खपत और संबंधित ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को काफी कम कर दिया है, जिससे हमारे कार्बन पदचिह्न को कम करने में महत्वपूर्ण योगदान हो रहा है।
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