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बैंकॉक से लौटी भगवान श्रीकृष्ण की 10वीं-11वीं सदी की मूर्ति, पहली बार इस तरह की मूर्ति आई है सामने

भगवान श्रीकृष्ण की कालिया मर्दन प्रसंग की एक मूर्ति भारत मंडपम में प्रदर्शन में रखी गई है। यह बैंकॉक से लाई गई है। मूर्ति कालिया मर्दन की 10वीं-11वीं सदी की है। कहा जा रहा है कि यह मूर्तिया चोला साम्राज्य की है। जिस मुद्रा में मूर्ति है यह एक बेहतरीन कला का परिचय देती है। भगवान कालिया के फन पर भगवान द्वारा नृत्य करते दिख रहे हैं।

By V K Shukla Edited By: Geetarjun Updated: Wed, 24 Jul 2024 10:52 PM (IST)
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बैंकॉक से लौटी कालिया दमन मुद्रा वाली भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति।

वीके शुक्ला, नई दिल्ली। भगवान श्रीकृष्ण की कालिया मर्दन प्रसंग की एक मूर्ति बैंकॉक से वापस आई है। भारत मंडपम में धरोहर समिति की बैठक में चल रही बैठक के दौरान लगाई गई प्रदर्शनी में इसे पहली बार शामिल किया गया है। मूर्ति कालिया मर्दन की 10वीं-11वीं सदी की है।

दुनियाभर से यहां आए धरोहर प्रेमी मूर्ति की तारीफ कर रहे हैं। खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी इन मूर्तियों को वापस लाए जाने की प्रसंशा की है। जिस मुद्रा में मूर्ति है यह एक बेहतरीन कला का परिचय देती है। मूर्ति में कालिया के फन पर भगवान द्वारा नृत्य करते हुए का दृश्य दर्शाया गया है।

चोल साम्राज्य की बताई जा रही मूर्ति

पुरातत्वविदों का कहना है कि जिस समय की मूर्ति है। इस समय में दक्षिण भारत में चोल साम्राज्य था, वह समय कला का धनी क्षेत्र था, वे बहुत प्रतापी राजा थे और हिन्दू धर्म को उन्होंने दूसरे देशों में फैलाया था। भारत के अलावा आसपास के देशों में उनका प्रभाव का।

बैंकॉक के रास्ते जा रही थी अमेरिका

बताया जा रहा है कि मूर्ति बैंकॉक के रास्ते अमेरिका जा रही थी। अमेरिका की जांच एजेंसी ने इस मूर्ति को पकड़ा था। इसमें मूर्ति को ले जा रहे व्यक्ति ने कहा था कि अगर मूर्ति चोरी की है तो वह उसे वापस कर देगा।

तमिलनाडु से चुराई गई थी मूर्ति

जांच में मूर्ति चोरी की बात साबित हुई, इस पर उस व्यक्ति ने मूर्ति जांच एजेंसी को सौंप दी, यह मूर्ति तमिलनाडु से चुराई गई थी। इसे कुछ समय पहले ही भारत वापस लाया गया है। भारत मंडपम में दूसरे देशों से वापस लाए गए प्रमुख पुरावशेषों की प्रदर्शनी लगाई गई है, जिसमें 25 पुरावशेष प्रदर्शित किए गए हैं।

दूसरे देशों में करोड़ों में बेची मूर्तियां

इनमें अधिकतर मूर्तियां हैं। ये पुरावशेष कभी चोरी कर दूसरे देशों में करोड़ों में बेच दिए गए थे। 2011 में पकड़े गए अंतर्राष्ट्रीय मूर्ति तस्कर सुभाष कपूर के जेल जाने के बाद से इन मूर्तियों के बारे में जानकाारी मिली थी। उसके बाद 2015 से चोरी गई मूर्तियों के वापस आने का सिलसिला तेज हुआ है और तब से अब तक करीब 350 मूर्तियां वापस आ चुकी हैं। इसमें अधिकतर अमेरिका से वापस आई हैं।

2000 साल पुरानी मूर्ति

भारत मंडपम में जो मूर्तियां प्रदर्शित हैं, उनमें 2000 साल पुरानी मानव आकृति, जो 2021 में अमेरिका से वापस आई है। 13 वीं सदी की नृत्य करती महिला की प्रतिमा, नृत्य करते हुए गणेश जी की मूर्ति शामिल है।

इनके अलावा 2015 में कनाडा से वापस आई 11 वीं सदी की पैरेट लेडी की प्रतिमा शामिल है, इसे खजुराहो से चोरी कर लिया गया था। 17 वीं सदी की तलवार और म्यान है। अल्मोड़ा से चुराई गई 10 वीं-11 वीं सदी की महिषासुरमर्दनी की मूर्ति है यह मूर्ति 2018 में अमेरिका से वापस आई है।

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उत्तर प्रदेश के भीरतगांव की गण की प्रतिमा भी शामिल है, इसे 1991 में अमेरिका से लाया गया था। इसके अलावा जैन भिक्षुओं का विचित्र निमंत्रण पत्र है जो कई फीट लंबा है। इसे 2022 में ऑस्ट्रेलिया से वापस लाया गया था।

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