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Kisan Andolan: एक महीने से परेशान हैं दिल्ली-एनसीआर के लोग, 20,000 करोड़ रुपये का हो चुका है नुकसान

Kisan Andolan 27 नवंबर को किसानों ने सिंघु बार्डर पर धरना शुरू किया था। बड़ी संख्या में पहुंचे किसान घर से ही खाने-पीने का सामान लेकर आए थे। अब एक महीने के बाद हालात जस के तस हैं।

By JP YadavEdited By: Updated: Sat, 26 Dec 2020 12:40 PM (IST)
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किसानों की संख्या में इजाफा नहीं हुआ। हालांकि तमाशबीनों की संख्या जरूर बढ़ी।
नई दिल्ली, जागरण संवाददताा। पंजाब से आए किसान सिंघु बॉर्डर पर एक माह से धरना दे रहे हैं। 27 नवंबर को किसानों ने सिंघु बार्डर पर धरना शुरू किया था। बड़ी संख्या में पहुंचे किसान घर से ही खाने-पीने का सामान लेकर आए थे। बाद में कई संस्थाओं ने यहां पर खाने-पीने से लेकर जरूरत का हर सामान उपलब्ध करवाना शुरू कर दिया था। तब से अब तक किसानों को यहां पर मुफ्त में हर सामान मुहैया करवाया जा रहा है। शुक्रवार को भी यहां किसान डटे रहे। सुबह होते ही किसान धरना स्थल की ओर पहुंचने लगे थे। इसके बाद देर शाम तक किसान यहीं बैठे रहे। दिनभर नेता मंच से संबोधित करते रहे और किसान सुनते रहे। शुक्रवार को किसानों की संख्या में इजाफा नहीं हुआ। हालांकि तमाशबीनों की संख्या जरूर बढ़ी। इतने किसान धरना स्थल पर नहीं बैठे थे, जितने तमाशबीन बैरिकेड के पास खड़े होकर सेल्फी ले रहे थे। इनकी वजह से ही सिंघु बार्डर पर प्रदर्शनकारियों की संख्या ज्यादा नजर आती है। वहीं, एक अनुमान के मुताबिक, यूपी, दिल्ली और हरियाणा के कारोबार को अब तक 20,000 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है।

लाखों लोग हो चुके हैं परेशान

इस प्रदर्शन में जितने लोग धरना दे रहे हैं, उससे ज्यादा लोग रोज परेशान हो रहे हैं। बड़ी संख्या में लोग रोज पैदल दिल्ली से हरियाणा व हरियाणा से दिल्ली आ-जा रहे हैं। इसके अलावा काफी लोग ऐसे भी हैं जिनको कई किलोमीटर घूम कर अब दफ्तर जाना पड़ रहा है। अगर एक महीने का हिसाब लगाया जाए तो इस प्रदर्शन की वजह से लाखों लोग परेशान हो चुके हैं। कई फैक्टि्रयां बंद हो चुकी हैं और लोग बेरोजगार हो गए हैं। कई लोग तो कामकाज ठप होने की वजह से उप्र व बिहार में अपने घर चले गए हैं।

जब उग्र हो गए थे प्रदर्शनकारी

27 नवंबर की सुबह प्रदर्शनकारी सिंघु बार्डर पर पहुंच गए थे। दोपहर में हरियाणा के प्रदर्शनकारियों के साथ मिलकर पंजाब के किसान उग्र हो गए थे। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस की ओर से लगाए गए बैरिकेड तोड़ दिए थे। इस दौरान उनकी पुलिस के साथ भी झड़प हुई थी। पुलिस पर लाठियों व पत्थरों से हमला किया गया था। जवाबी कार्रवाई में पुलिस ने भी वाटर कैनन व आंसू गैस के गोलों की मदद से किसानों को पीछे की ओर खदेड़ा था। हालांकि बाद में पुलिस की ओर से किसानों को बुराड़ी के संत निरंकारी मैदान में जाने की अनुमति दे दी गई थी, लेकिन किसानों ने बुराड़ी जाने से मना कर दिया था और बॉर्डर पर ही प्रदर्शन शुरू कर दिया था।

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