2020 Delhi Riots: सेवानिवृत्त आइपीएस अधिकारियों ने दंगे की जांच का किया समर्थन, दिल्ली पुलिस उठे थे सवाल
2020 Delhi Riots मुंबई के पूर्व पुलिस महानिदेशक जूलियो रिबेरियो सहित कुछ पूर्व आइपीएस अधिकारियों ने जांच पर सवाल उठाए हैं। इस पर अन्य पूर्व अफसरों का जवाब आया है।
By JP YadavEdited By: Updated: Sat, 19 Sep 2020 07:58 AM (IST)
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। 2020 Delhi Riots : दंगा मामले की जांच कर रही दिल्ली पुलिस का सेवानिवृत्त आइपीएस अधिकारियों ने समर्थन किया है। उनका कहना है कि कुछ अधिकारी अदालत के पीठासीन अधिकारी के दफ्तर में घुसकर किसी को भी निर्दोष नहीं बता सकते हैं और न ही पुलिस की छवि को खराब कर सकते हैं। दरअसल, मुंबई के पूर्व पुलिस महानिदेशक जूलियो रिबेरियो सहित कुछ पूर्व आइपीएस अधिकारियों ने जांच पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने दिल्ली पुलिस पर आरोप लगाया है कि प्रदर्शनकारियों के एक समूह को बचाने की कोशिश की गई है। इस पर सेवानिवृत्त आइपीएस अधिकारियों ने पुलिस का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि रिबेरियो और अन्य को इस तरह की भारत विरोधी अभिव्यक्ति और सांप्रदायिक हिंसा का समर्थन नहीं करना चाहिए। दंगे में सक्रिय उमर खालिद ने विवादास्पद नारे लगाए थे। दिल्ली पुलिस के पास ऐसे किसी भी व्यक्ति की भूमिका की जांच करने का पूरा अधिकार है।
दिल्ली के पूर्व पुलिस कमिश्नर आर एस गुप्ता व यूपी के पूर्व डीजीपी आर एन सिंह, त्रिपुरा के पूर्व डीजीपी बी एल वोहरा और केरल के पूर्व डीजीपी एस गोपीनाथ उन 26 पूर्व आइपीएस अधिकारियों में शामिल हैं, जिन्होंने दिल्ली पुलिस की जांच का समर्थन किया है। इनका कहना है कि पूर्व पुलिस अधिकारियों का एक वर्ग खुद को निर्दोष घोषित करने के लिए अदालतों के पीठासीन अधिकारियों के कार्यालय में प्रवेश नहीं कर सकता है। इन अधिकारियों को अपनी सफलता की अखंडता और व्यावसायिकता पर संदेह या सवाल करने का कोई अधिकार नहीं है। भारतीय पुलिस सेवा में होने के बावजूद उन्होंने पुलिस बल का मनोबल गिराने का काम किया है।
उन्होंने दावा किया कि इस तरह टिप्पणी अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करने के पुलिस अधिकारियों के दृढ़ संकल्प को कमजोर कर सकती है। इनमें वे लोग भी शामिल हैं, जो दंगे भड़काकर भारत में सांप्रदायिकता को बढ़ाते हैं। सेवानिवृत्त अधिकारियों का कहना है कि किसी भी प्रेरित समूह के ऐसे बयान या इशारे को स्वीकार नहीं किया जा सकता, जिसका उद्देश्य पुलिस बल और अधिकारियों को बदनाम करना है।
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