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रेवाड़ी में चार माह के दौरान 25 लड़कियां लापता, अधिकतर मामलों में प्रेम प्रसंग का पहलू

जांच में पता चला है कि कोई स्कूल से लापता हो गई तो कोई घर से ही।

By JP YadavEdited By: Updated: Sat, 05 May 2018 08:43 AM (IST)
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रेवाड़ी में चार माह के दौरान 25 लड़कियां लापता, अधिकतर मामलों में प्रेम प्रसंग का पहलू

रेवाड़ी (जेएनएन)। जिले में नाबालिगों के घर से लापता होने के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। महज चार माह के दौरान नाबालिगों के घर से निकलने के 25 से अधिक मामले दर्ज हो चुके हैं। ज्यादातर मामलों में प्रेम प्रसंग सामने आया। परिजनों की भागदौड़ व पुलिस की बरामदगी के बाद प्रेम की बातें बेमानी नजर आईं और दुष्कर्म तक के मुकदमें दर्ज हुए। स्थिति बेहद चिंताजनक कही जा सकती है, क्योंकि कम उम्र में ही नाबालिगों का घर से जाना न सिर्फ परिवार को सामाजिक तौर पर नुकसान पहुंचा रहा है, बल्कि खुद नाबालिगों के जीवन से भी खिलवाड़ हो रहा है। ये ऐसे मामले है जिनमें अपने से बड़ी उम्र के युवकों के साथ प्रेम प्रसंग में 12 से 15 साल की लड़कियों ने घर छोड़ दिया। कोई स्कूल से लापता हो गई तो कोई घर से ही। 

-मार्च में खोल थाना क्षेत्र के एक गांव निवासी 13 वर्षीय नाबालिग स्कूल में गई थी, परंतु छुट्टी के बाद घर नहीं पहुंची। परिजन स्कूल पहुंचे तो पता लगा कि नाबालिग एक युवक के साथ छुट्टी से पहले ही जा चुकी है। पुलिस ने तलाश शुरू की तथा नाबालिग को दिल्ली के निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन से बरामद कर लिया। जांच में सामने आया कि नाबालिग लंबे समय से एक युवक के संपर्क में थी। प्रेम प्रसंग मे नाबालिग ने बिना सोचे समझे युवक के साथ इतना बड़ा कदम उठा लिया।

-दो दिन पूर्व धारूहेड़ा के एक मोहल्ला से स्कूल में गई सातवीं कक्षा की छात्रा लापता हो जाती है।

-धारूहेड़ा से ही मात्र 12 साल की उम्र में दो बहनें प्रेम प्रसंग में घर से गायब हो गई।

बच्चों का इस प्रकार घर से भागना बहुत चिंतनीय विषय है। इस उम्र में बच्चों को अच्छे बुरे का फर्क पता नहीं होता और किसी भी व्यक्ति द्वारा सहानुभूति दिखाने पर बच्चे उस और आसानी से आकर्षित हो जाते हैं। इस उम्र में बच्चों को संभालने के लिए अभिभावकों की जिम्मेदारी बढ़ जाती है। अभिभावकों का बच्चों के साथ समय व्यतीत नहीं करना, रास्ते से भटकने का प्रमुख कारण है। बच्चों में सोशल मीडिया का बढ़ता प्रचलन भी इस दुष्परिणाम का एक बड़ा कारण है। सोशल मीडिया आज की जरूरत है, परंतु उसकी मानीटरिंग करना अभिभावकों की जिम्मेदारी है। अभिभावकों को बच्चों के साथ सख्ती से पेश आने के बजाय मित्रवत व्यवहार करते हुए उनकी गतिविधियों की निगरानी करते रहना चाहिए। किसी प्रकार की समस्या पाए जाने पर बच्चों के साथ सख्ती करने के बजाय उसके कारण और समाधान को लेकर आपस में बातचीत करें। बच्चों की अभिरुचि और उनकी भावनाओं को समझने का प्रयास करते रहना चाहिए। - डॉ. राजेश कुमार, मनोचिकित्सक, नागरिक अस्पताल, रेवाड़ी।

मार्च व अप्रैल में सामने आए लापता होने के मामले

-2 मार्च को डहीना चौकी क्षेत्र से नाबालिग लापता

-3 मार्च को शहर थाना क्षेत्र से 15 वर्षीय लड़की लापता

-16 मार्च को खोल थाना व रामपुरा थाना क्षेत्र के दो नाबालिग लापता

-29 मार्च को रोहडाई थाना क्षेत्र से दो नाबालिग बहने लापता

-12 अप्रैल को कोसली थाना क्षेत्र से लड़की लापता

-16 अप्रैल को गढ़ी बोलनी रोड स्थित एक कालोनी व डहीना चौकी क्षेत्र से दो लड़की लापता

-21 अप्रैल को धारूहेड़ा के एक गांव से लड़की लापता

-26 अप्रैल को खोल थाना क्षेत्र से नाबालिग लापता

-28 अप्रैल को धारूहेड़ा से 12 साल की लड़की लापता

-30 अप्रैल को धारूहेड़ा से 2 नाबालिग बहने लापता

-1 मई को धारूहेड़ा में स्कूल गई 9वीं कक्षा की छात्रा लापता

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