स्कूल से ड्रेस नहीं खरीदने पर 30 छात्रा दंडित, गुस्साए अभिभावकों ने किया प्रदर्शन
छात्रा के पिता ने स्कूल प्रबंधन की शिकायत जिलाधिकारी, जिला विद्यालय निरीक्षक, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी व मुख्यमंत्री से की थी
गाजियाबाद [ जेएनएन ]। वसुंधरा सेक्टर- 3 स्थित वनस्थली पब्लिक स्कूल में अभिभावकों ने स्कूल के बाहर प्रदर्शन किया और जमकर नारेबाजी की। स्कूल प्रबंधन के व्यवहार को लेकर अभिभावकों में जबरदस्त नाराजगी है। दरअसल, बाहर की ड्रेस पहनने पर शुक्रवार को सातवीं की छात्रा को करीब 30 मिनट तक परीक्षा कक्ष से बाहर खड़ा रखा गया था। छात्रा ने बताया कि इसी तरह सातवीं और आठवीं के करीब 30 बच्चों को बाहर किया गया था।
इस घटना से अभिभावकों में नाराजगी थी। कल छात्रा के पिता ने स्कूल प्रबंधन की शिकायत जिलाधिकारी, जिला विद्यालय निरीक्षक, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी व मुख्यमंत्री से की थी। हालांकि स्कूल प्रबंधन ने मामले को पूरी तरह गलत बताया है।
वसुंधरा सेक्टर-1 में रहने वाले जय प्रकाश सिंह ने बताया कि उनकी बेटी वनस्थली पब्लिक स्कूल में कक्षा सातवीं की छात्रा है। बेटी की शुक्रवार को मासिक परीक्षा थी। वह ड्रेस पहनकर स्कूल पहुंची। उनका आरोप है कि परीक्षा शुरू होने से पहले उनकी बेटी को परीक्षा कक्ष से बाहर निकाल दिया गया।
शिक्षक ने कहा कि उसकी ड्रेस स्कूल से नहीं खरीदी गई है, इसलिए परीक्षा में नहीं शामिल होने दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि करीब 30 मिनट बाद बेटी को परीक्षा कक्ष में बैठने की अनुमति दी गई।
उन्होंने इसकी शिकायत करने के लिए स्कूल के नंबर पर कॉल किया तो कॉल रिसीव करने वालों ने प्रधानाचार्य से बात कराने से इन्कार कर दिया। शनिवार को वह स्कूल जाकर प्रधानाचार्य से इसकी शिकायत करेंगे।
जय प्रकाश सिंह ने आरोप लगाया कि स्कूल प्रबंधन इस तरह की हरकत कर अभिभावकों से महंगे दामों पर स्कूल में ड्रेस और स्टेशनरी खरीदने को मजबूर कर रहा है। पूरे प्रकरण की उन्होंने शुक्रवार दोपहर में जिलाधिकारी, जिला विद्यालय निरीक्षक, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी और मुख्यमंत्री को मेल कर शिकायत की है। अधिकारियों से स्कूल के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है।
वनस्थली पब्लिक स्कूल के निदेशक अंकुर जैन कहा कहना है कि छात्रा को परीक्षा कक्ष से बाहर निकालने का आरोप सरासर गलत है। स्कूल प्रबंधन की ओर से किसी को भी ड्रेस, स्टेशनरी आदि स्कूल या अन्य किसी जगह से खरीदने के लिए बाध्य नहीं किया जा रहा है।