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जानिए, 4 माह की बच्ची को मां ने क्‍यों किया दूध पिलाने से इन्कार; HC पहुंचा मामला

पिता ने बच्ची को बचाने के लिए मां का स्तनपान कराने की गुहार लगाते हुए कोर्ट में अपील की है।

By JP YadavEdited By: Updated: Fri, 04 May 2018 09:02 AM (IST)
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जानिए, 4 माह की बच्ची को मां ने क्‍यों किया दूध पिलाने से इन्कार; HC पहुंचा मामला

नई दिल्ली (जेएनएन)। चार माह की बेटी को मां के दूध का हक दिलाने के लिए पिता ने तीस हजारी कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। बच्ची 'एर्ब की पाल्सी' (एक प्रकार का पक्षाघात) से पीड़ित है और उसे मां के दूध के साथ ही दवा दी जा सकती है, लेकिन मां ने उसे अपनाने से इन्कार कर दिया है। पिता ने बच्ची को बचाने के लिए मां का स्तनपान कराने की गुहार लगाते हुए कोर्ट में अपील की है।

उन्होंने कोर्ट से किशोर न्याय अधिनियम की धारा 75 (बच्चे के साथ क्रूरता) के तहत मां को निर्देश देने की मांग की है। मामले की गंभीरता को देखते हुए महानगरीय मजिस्ट्रेट अभिलाष मल्होत्रा ने मामले के निपटारे की पहल करते हुए मां को 5 मई को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया है, ताकि बच्ची की हालत ज्यादा खराब न हो और उसे वक्त से दवाइयां दी जा सकें।

पिता ने दर्ज कराई शिकायत पिता द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के मुताबिक पत्नी ने 9 दिसंबर 2017 को एक बेटी को जन्म दिया था। बच्ची जन्म लेते ही 'एर्ब की पाल्सी' नामक बीमारी से ग्रसित हो गई। इसके चलते उनकी पत्नी 12 जनवरी 2018 को बच्ची को अपनी ससुराल में छोड़कर मायके चली गई। आरोपों का जवाब देते हुए बच्ची की मां ने शिकायत में पति और उनके परिजनों के खिलाफ क्रूरता, उत्पीड़न और शारीरिक दु‌र्व्यवहार का आरोप लगाया है।

उनका कहना है कि बच्ची के जन्म के बाद उन्हें घर से निकाल दिया गया था। इस घटनाक्रम के बाद बच्ची के पिता ने हाई कोर्ट में एक याचिका दायर कर कहा था कि उनकी पत्नी को तीन महीने तक बच्ची का पालन-पोषण करने को कहा जाए, ताकि उसे स्तनपान के माध्यम से दवाइयां दी जा सकें। हाई कोर्ट ने कहा कि आपसी तालमेल से मामला सुलझाएं और आगे की कार्रवाई के लिए निचली अदालत में जाएं।

मां ने बच्ची को स्वीकार करने से इन्कार करते हुए कहा कि उन्हें दवाइयों से एलर्जी है और वह इनका इस्तेमाल नहीं कर सकती हैं। अब पीड़ित बच्ची माता-पिता की लड़ाई में उलझी है और अपनी बीमारी से लड़ रही है।

पढ़ें क्या होती है 'एर्ब की पाल्सी' बीमारी 

उल्लेखनीय है कि 'एर्ब की पाल्सी' (जिसे एर्ब-डुचेन पाल्सी भी कहा जाता है) एक प्रकार का पक्षाघात है, जो गर्भ के अंदर बच्चे को चोट लगने की वजह से होता है। इसे ब्राचियल प्लेक्सस भी कहा जाता है।

जानें क्या है धारा 75

किशोर न्याय अधिनियम की धारा 75 क्रूरता से संबंधित है और इसके अंतर्गत जैविक माता-पिता भी आते हैं। अगर कोई भी माता-पिता अपने बच्चे पर हमला करते हैं, छोड़ देते हैं, दु‌र्व्यवहार करते हैं या जानबूझकर उपेक्षा करते हैं तो ऐसी स्थिति में उन्हें तीन साल जेल की सजा या फिर एक लाख रुपये का जुर्माना या दोनों एक साथ हो सकती हैं।

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