ओल्ड राजेंद्र नगर में जगह-जगह चल रहा जानलेवा 'खेल', 4000 लाइब्रेरी में से 95 प्रतिशत बेसमेंट में चल रहीं
Delhi Coaching Center ओल्ड राजेंद्र नगर में 4000 से ज्यादा लाइब्रेरी चलती हैं उनमें से 95 प्रतिशत लाइब्रेरी बेसमेंट में चल रही हैं। यहां भी राव कोचिंग सेंटर में हुए हादसे की तरह हादसा होने का खतरा मंडरा रहा है। बेसमेंट में चल रही लाइब्रेरी में बारिश के समय पानी भर जाता है जिस कारण यहां छात्रों के जाने पर रोक लगा दी जाती है।
रीतिका मिश्रा, नई दिल्ली। ओल्ड राजेंद्र नगर (Old Rajendra Nagar) में चल रही कोचिंग (Coaching Center) में हुए हादसे ने राजधानी की उन तमाम कोचिंग सेंटर्स पर सवाल खड़े कर दिए हैं, जिनके पुस्तकालय या कक्षाएं बेसमेंट में चल रहे हैं। अधिकतर कोचिंग सेंटर का बेसमेंट हाईकोर्ट के नियमों का पालन नहीं करता है, क्योंकि इसमें प्रवेश और निकास के लिए अलग-अलग द्वार नहीं हैं और हर साल वर्षा के कारण जलभराव से बेसमेंट में पानी भर जाता है।
फिर भी कोचिंग सेंटर अपने भीड़भाड़ वाले बेसमेंट पुस्तकालय का संचालन जारी रखते हैं। जबकि नियमों के तहत उनको यहां न तो कक्षाओं को चलाने का अनुमति है और न ही पुस्तकालय चलाने की।
बेसमेंट में लाइब्रेरी चलाने की अनुमति
बेसमेंट में केवल भंडारण की ही अनुमति है। बेसमेंट का पुस्तकालय (Library) के रूप में उपयोग करना अपने आप में मानदंडों का उल्लंघन है, क्योंकि एनओसी में उल्लेख किया गया है कि इसका उपयोग केवल भंडारण के लिए किया जाना है।
आने-जाने का हो पर्याप्त रास्ता
अग्नि सुरक्षा मानदंडों के अनुसार, यदि किसी भवन के बेसमेंट का उपयोग कार्यालय और व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए किया जाता है, तो वहां पर्याप्त संख्या में निकास और पहुंच मार्ग होने चाहिए। लेकिन राव आईएएस कोचिंग सेंटर में, केवल एक ही प्रवेश मार्ग था, जिसमें भी प्रवेश बायोमीट्रिक से होता था। लेकिन शनिवार को हुए हादसे के दौरान बिजली जाने से बायोमीट्रिक ने काम करना बंद कर दिया था। यह मानदंडों का एक बड़ा उल्लंघन था।
बैकअप पावर का नहीं था उपाय
नियमों के तहत जब किसी दरवाजे को खोलने के लिए बायोमीट्रिक सिस्टम होता है, तो बैकअप पावर और एक वैकल्पिक उपाय होना चाहिए, ताकि बिजली कटौती या अन्य किसी समस्या के कारण दरवाजों को तुंरत खोला जा सके। यह स्पष्ट रूप से इस मामले में मौजूद नहीं था।
इन तथ्यों के बावजूद, दिल्ली फायर विभाग के निदेशक अतुल गर्ग ने नौ जुलाई 2024 को तीन वर्ष के लिए राव कोचिंग सेंटर को अग्नि सुरक्षा प्रमाणपत्र जारी किया। इसका मतलब है कि उस समय केवल एक दरवाजे वाले बेसमेंट का इस्तेमाल पुस्तकालय के रूप में किया जा रहा था।
हालांकि, प्रमाणपत्र में उल्लेख किया गया है कि बेसमेंट का उपयोग भंडारण के लिए किया जाता है। प्रमाणपत्र में यह भी दावा किया गया है कि कोचिंग सेंटर ने सभी अग्नि सुरक्षा और रोकथाम आवश्यकताओं का अनुपालन किया है, जो स्पष्ट रूप से गलत है। यहां पढ़ने वाले उम्मीदवारों ने बताया कि बेसमेंट का उपयोग बिना अनुमति के पुस्तकालय के रूप में किया जा रहा था। बेसमेंट से कोई खुला अग्नि निकास नहीं था, जो कि एक प्रमुख उल्लंघन हैं, जिसके कारण मौतें हुई।
बेसमेंट में चलती हैं कक्षाएं और पुस्तकालय
ओल्ड राजेंद्र नगर में यूपीएससी, एसएससी, बैंक पीओ व क्लर्क समेत अन्य तरह की प्रतियोगी परीक्षाओं की कोचिंग चल रही हैं। इनमें लगभग चार हजार पुस्तकालय व कक्षाएं चल रहे हैं उसमें भी 95 प्रतिशत कक्षाएं व पुस्तकालय बेसमेंट में हैं। यहां के निवासियों ने बताया कि हर साल वर्षा का पानी बेसमेंट में भर जाता है।
इस समस्या को लेकर वो लोग लगातार नगर निगम और एमएलए दुर्गेश पाठक को शिकायत कर रहे हैं। लेकिन हर बार उनकी चिंताओं को दरकिनार कर दिया जाता है। निवासियों का आरोप है कि कोचिंग सेंटर में हुआ हादसा नगर निगम और दिल्ली सरकार की कमी के चलते हुआ है।
सभी कोचिंगों ने बंद किया बेसमेंट
यहां विभिन्न कोचिंगों में यूपीएससी, एसएससी की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों ने बताया कि बेसमेंट में हुए हादसे के बाद आसपास की अन्य कोचिंगों ने भी बेसमेंट में बने पुस्तकालय में जाने पर रोक लगा दी है। यहां तक की जो कक्षाएं बेसमेंट में चल रही थी वो भी बंद थी। उम्मीदवारों ने बताया कि पुस्तकालय के लिए प्रति व्यक्ति कोचिंग संचालक तीन से चार हजार रुपये वसूलते हैं।
इसमें उन्हें आठ से नौ घंटे तक पढ़ने की अनुमति है। पुस्तकालय आम दिनों में रात को बंद हो जाता है। लेकिन परीक्षा का समय जब नजदीक आता है तो ये 24 घंटे खुला रहता है। बेसमेंट में चल रहे पुस्तकालयों में जगह इतनी छोटी होती है यहां केवल कुर्सी और मेज ही रखी रहती है। इसमें 20-25 लोगों के बैठने की व्यवस्था होती है।
उम्मीदवारों ने बताया कि वो इन पुस्तकालयों में बैठकर इसलिए पढ़ते हैं क्योंकि यहां पर पढ़ने का वातावरण मिलता है। उम्मीदवारों का आरोप है कोचिंग सेंटर ने अग्नि सुरक्षा प्रमाणपत्र ले रखा है लेकिन वो केवल आंखों में धूल झोंकने के लिए हैं। अग्नि सुरक्षा नाम मात्र की है। आग बुझाने के लिए उपकरण तो लगे हैं लेकिन कभी माक ड्रिल नहीं हुआ है। किसी को आग बुझाने वाली मशीनों को चलाना तक नहीं सिखाया। आज पानी भरने से इतना बड़ा हादसा हुआ है कल को आगजनी का कोई बड़ा हादसा हो गया तो कौन जिम्मेदार होगा।
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अग्नि सुरक्षा प्रमाणपत्र जारी करने की शर्तें
- सीढ़ियों तक जाने वाले सभी निकास मार्ग को ताले और चाबियों से मुक्त और साफ रखा जाना चाहिए।
- वहां प्रदान की गई सभी अग्नि सुरक्षा व्यवस्थाएं हर समय अच्छी कार्यशील स्थिति में बनी रहेंगी।
- गैर-कार्यात्मक सुरक्षा उपायों के कारण जान या संपत्ति का कोई भी नुकसान प्रबंधन के जोखिम और जिम्मेदारी पर होगा।
- प्रशिक्षित कर्मचारियों को चौबीसों घंटे उपलब्ध रहना चाहिए।