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काम 16 घंटे... दिहाड़ी 100 रुपये, एक दिन में 62 बच्चों को कराया मुक्त, बाल मजदूरी के खिलाफ प्रशासन की कार्रवाई

Action Against Child Labour दिल्ली के उत्तर पूर्वी जिला प्रशासन ने बुधवार को बाल मजदूरी के खिलाफ बड़ा एक्शन लिया। जिसमें छापेमारी कर 62 बच्चों को छुड़ाा गया। जिलाधिकारी ने सख्त निर्देश देते हुए कहा कि बाल मजदूरी करवाने वालों को जेल भेजा जाएगा। बता दें छुड़ाए गए बच्चों से 12 से 16 घंटे काम कराए जाते थे। बदले में इन्हें 100 से 200 रुपये दिहाड़ी दी जाती थी।

By SHUZAUDDIN SHUZAUDDIN Edited By: Monu Kumar Jha Updated: Thu, 12 Sep 2024 02:13 PM (IST)
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Delhi News: उत्तर पूर्वी जिला प्रशासन ने बुधवार को बाल मजदूरी के खिलाफ बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया।

जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली। Delhi News Hindi: उत्तर पूर्वी जिला प्रशासन ने बुधवार को बाल मजदूरी के खिलाफ बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया। प्रशासन ने छापेमारी कर 62 बाल मजदूरों को मुक्त करवाया है। ऐसा माना जा रहा है राजधानी में इस वर्ष की सबसे बड़ी कार्रवाई है।

जो बाल मजदूरी के खिलाफ अंजाम दी गई है। बच्चों का मेडिकल करवाने के बाद आश्रम भेज दिया गया है। 62 में से 57 किशोर व पांच किशोरी हैं। उनकी उम्र 7 वर्ष से 16 वर्ष के बीच है।

उत्तर पूर्वी जिलाधिकारी वेदिता रेड्डी ने बताया कि सूचना मिली थी कि घोंडा में बच्चों से मजदूरी करवाई जा रही है। सीलमपुर एसडीएम नितेश रावत के नेतृत्व में जिला पुलिस उपायुक्त डा. जाय टिर्की की एक टीम बनाई गई। इसमें दिल्ली पुलिस, चाइल्ड वेलफेयर कमेटी, सहयोग केयर संस्था समेत कई विभाग शामिल हुए।

करीब डेढ घंटे की कार्रवाई में 62 मजदूरों को करवाया मुक्त

बुधवार 11:30 बजे सभी टीम घोंडा पहुंची और छापेमारी शुरू की। घोंडा में दस से अधिक छोटी-छोटी फैक्ट्री में बच्चों से चूड़ी, बैग बनवाने के साथ ही कढ़ाई समेत दूसरे काम करवाए जा रहे थे। करीब डेढ घंटे तक टीम ने कार्रवाई कर 62 मजदूरों को मुक्त करवाया।

प्रशासन ने पुलिस (Delhi Police) से बच्चों से मजदूरी करवाने वालों के खिलाफ केस दर्ज करने के लिए कहा है। इस कार्रवाई से जिलाधिकारी ने स्पष्ट संदेश दिया है कि जो भी लोग बच्चों से मजदूरी करवा रहे हैं, उन्हें जेल भेजा जाएगा।

बेहतर समन्वय से की गई कड़ी कार्रवाई

जिला प्रशासन कई बार बाल मजदूरी करवाने वालों के खिलाफ छापेमारी का प्लान बनाता है। कई बार ऐसा हुआ है मौके पर पहुंचकर कुछ नहीं मिलता। आरोप लगते हैं विभाग के कर्मचारी ही कार्रवाई की जानकारी पहले ही उन लोगों को दे देते हैं। ऐसा कहा जा रहा है कि इस बार प्रशासन न पुलिस के साथ बेहतर समन्वय बनाया।

कार्रवाई की सूचना लीक नहीं होनी दी। जिसके परिणाम के चलते 62 मजदूरों को मुक्त करवाया गया। सहयोग केयर संस्था के निदेशक शेखर महाजन ने कहा कि बच्चों से फैक्ट्रियों में 12 से 16 घंटे काम करायावा जा रहा था। उन्हें 100-200 रुपये दिहाड़ी दी जा रही थी। बच्चों के शारीरिक और मानसिक शोषण हो रहा था।

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