Pre board परीक्षा में 70 फीसद छात्र-छात्राएं फेल, BJP ने केजरीवाल सरकार को घेरा
परिणाम को लेकर दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने रिपोर्ट तलब की है।
नई दिल्ली (जेएनएन)। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) की बोर्ड परीक्षा से पहले दिल्ली के सरकारी स्कूलों में आयोजित प्री बोर्ड परीक्षा के बेहद ही निराश करने वाले परिणाम सामने आए हैं। दसवीं कक्षा की प्री बोर्ड परीक्षा में करीब 69 फीसद छात्र फेल हो गए हैं। इसके बाद शिक्षा निदेशालय समेत दिल्ली सरकार की चिंता बढ़ गई है। उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने मामले में रिपोर्ट तलब की है।
सरकारी स्कूलों में पहली बार प्री बोर्ड परीक्षा आयोजित की गई थी। जनवरी के पहले सप्ताह में आयोजित प्री बोर्ड परीक्षा में 991 स्कूलों के 134200 विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया था, जिसमें से मात्र 42224 विद्यार्थी ही पास हुए। जो कुल विद्यार्थियों के पास होने का तकरीबन 31 फीसद है।
शिक्षकों का भारी टोटा
कई स्कूलों में 10 फीसद से भी कम विद्यार्थी प्री बोर्ड परीक्षा में पास हुए हैं। सबसे खराब परिणाम दक्षिणी दिल्ली जोन में स्थित स्कूलों के विद्यार्थियों का है। इस जोन के सिर्फ 26.2 फीसद विद्यार्थी ही पास हुए हैं जबकि पूर्वी, उत्तर-दक्षिण बी, दक्षिणी -पूर्वी जोन के विद्यार्थियों का पास फीसद भी 30 फीसद से नीचे रहा है। स्कूलों में शिक्षकों की कमी की भी बात सामने आ रही है।
मामले में उपमुख्यमंत्री ने शिक्षा निदेशालय को विषय शिक्षक व स्कूल की जिम्मेदारी तय करने का निर्देश दिया है। वहीं, निदेशालय को प्रत्येक जोन के सबसे खराब दस स्कूलों की सूची बनाने और इन स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है। साथ ही सरकारी स्कूलों में शनिवार से दोबारा प्री बोर्ड परीक्षाएं आयोजित कर दी गई हैं।
खराब परिणाम से विपक्ष के निशाने पर सरकार
दसवीं प्री बोर्ड परीक्षा के परिणाम को लेकर विपक्ष को सरकार पर हमला करने का मुद्दा मिल गया है। दरअसल प्री बोर्ड परीक्षा में लगभग 70 फीसद विद्यार्थी फेल हो गए हैं। दिल्ली विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि दिल्ली में बजट बढ़ाने के बावजूद शिक्षा का स्तर बद से बदतर होता जा रहा है।
कई स्कूलों में तो दसवीं की प्री बोर्ड परीक्षा में सफल होने वाले विद्यार्थियों की संख्या 10 फीसद है। इससे सरकारी स्कूलों की स्थिति का पता चलता है। उनका कहना है कि उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया आंकड़ों को तोड़ मरोड़कर पेश कर शिक्षा के क्षेत्र में अद्वितीय उपलब्धियों का गुणगान करते हैं, जबकि जमीनी हकीकत कुछ और है।
शिक्षा निदेशालय के आंकड़ों से पता चलता है कि दसवीं और बारहवीं कक्षा के छात्रों की संख्या में भारी कमी आई है और सफल होने वाले विद्यार्थियों का प्रतिशत भी कम हुआ है। उन्होंने कहा कि जमीन की उपलब्धता के बावजूद एक भी नए स्कूल भवन का निर्माण नहीं हुआ है।
कई स्थानों पर एक ही स्कूल में चार शिफ्ट में पढ़ाई हो रही है। 30 हजार के करीब शिक्षकों व प्रिंसिपलों के पद रिक्त हैं। गुप्ता ने कहा कि केजरीवाल सरकार दिल्ली के लोगों को गुमराह करना बंद करे और जमीन पर कुछ कार्य करे।
कम शिक्षकों के सहारे कैसे सुधरेंगे परिणाम
राजधानी के सरकारी स्कूल में दसवीं कक्षा के प्री बोर्ड परीक्षा के निराशाजनक परिणाम का ठीकरा शिक्षा निदेशालय व दिल्ली सरकार ने शिक्षकों पर फोड़ा है। लेकिन, शिक्षकों ने इसके लिए दिल्ली सरकार की योजनाओं व शिक्षकों की भारी कमी को जिम्मेदार बताया है।