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Delhi News: बेटे द्वारा देखभाल नहीं करने पर दिल्ली HC पहुंचा 97 वर्षीय बुजुर्ग, वरिष्ठ नागरिक अधिनियम के प्रविधान को दी चुनौती

Delhi High Court वरिष्ठ नागरिक अधिनियम के कुछ प्रविधानों को चुनौती देते हुए 97 वर्षीय व्यक्ति ने दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी है। बुजुर्ग याचिकाकर्ता की याचिका पर मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा व न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

By GeetarjunEdited By: Updated: Mon, 22 Aug 2022 09:12 PM (IST)
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97 वर्षीय बुजुर्ग ने वरिष्ठ नागरिक अधिनियम के प्रविधान को दी चुनौती।

नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। वरिष्ठ नागरिक अधिनियम (Senior Citizens Act) के कुछ प्रविधानों को चुनौती देते हुए 97 वर्षीय व्यक्ति ने दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) में चुनौती दी है। बुजुर्ग याचिकाकर्ता की याचिका पर मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा व न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। मामले में अगली सुनवाई 13 दिसंबर को होगी।

याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि इस अधिनियम के प्रविधान वृद्ध व्यक्तियों को यह तो अधिकार देते हैं कि उनका देखभाल नहीं करने पर वे उनके बच्चों को हस्तांतरित अपनी संपत्ति को शून्य घोषित कर सकें। लेकिन, अधिनियम के इस प्रविधान का लाभ उन वृद्ध नागरिकों को नहीं मिलता है, जिन्होंने अपनी संपत्ति कानून बनने से पहले हस्तांतरित (ट्रांसफर या सौंपी) की थी।

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2007 से पहले ट्रांसफर हुई संपत्ति पर भी लागू हो यह कानून

याचिकाकर्ता ने मांग की है कि यह लाभ कानून बनने से पहले संपत्ति हस्तांतरित करने वाले व्यक्तियों को देने का निर्देश दिया जाए। याचिकाकर्ता ने माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम-2007 के प्रविधान-23 को चुनौती देते हुए कहा कि इसके तहत हस्तांतरित संपत्ति लेने वाला व्यक्ति या वारिस वृद्ध की देखभाल नहीं करता है तो उस हस्तातरण को शून्य या प्रभावहीन घोषित कर सकता है।

याची ने याचिका में दलील दी कि उसने अपने दो बेटों को मई 2007 में अपनी संपत्ति के कुछ हिस्से को हस्तांतरित कर दिया था। याची ने कहा कि उनके बेटे उनकी देखभाल भी नहीं करते हैं और उनकी संपत्ति से आने वाला किराया भी नहीं देते हैं। हस्तांतरित संपत्ति को शून्य घोषित करने का अधिकार उनके मामले में भी लागू होता तो उन्हें भी इसका लाभ मिलता।

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