चौधरी अजित सिंह के एक संदेश ने बदल दिया किसान आंदोलन का रुख, फिर तो टिक ही गए राकेश टिकैत
Choudhary Ajit Singh राष्ट्रीय लोकदल के नेता चौधरी अजित सिंह ने भारतीय किसान यूनियन के नेताओं नरेश टिकैत और राकेश टिकैत से फोन पर बात की थी। इस आंदोलन को किसानों के जीवन-मरण का सवाल बताते हुए चौधरी अजित सिंह ने सबको साथ रहने का संदेश दिया था।
By Jp YadavEdited By: Updated: Thu, 06 May 2021 02:09 PM (IST)
नई दिल्ली/गाजियाबाद, ऑनलाइन डेस्क। तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन को राष्ट्रीय लोकदल प्रमुख चौधरी अजित सिंह ने खुलकर समर्थन दिया था। शुरुआत में चौधरी अजित सिंह और उनकी पार्टी रालोद ने किसान आंदोलन से दूरी बनाई, लेकिन जनवरी के अंतिम सप्ताह में वह खुलकर समर्थन में आ गए। दरअसल, राष्ट्रीय लोकदल के नेता चौधरी अजित सिंह ने भारतीय किसान यूनियन के नेताओं नरेश टिकैत और राकेश टिकैत से फोन पर बात की थी। इस आंदोलन को किसानों के जीवन-मरण का सवाल बताते हुए चौधरी अजित सिंह ने सबको साथ रहने का संदेश दिया था। कुलमिलाकर यूपी बॉर्डर पर चल रहा जो किसान आंदोलन मरने की कगार पर था, उसे चौधरी अजित सिंह के एक संदेश ने जिंदा कर दिया था।
अजित सिंह ने राकेश टिकैत से कहा था- 'यह किसानों के जीवन-मरण का प्रश्न, डटे रहो, एक रहो' 26 जनवरी को किसान ट्रैक्टर परेड के हिंसा ने आंदोलन की छवि का गहरा नुकसान पहुंचाया था। एक समय लग रहा था कि आंदोलन समाप्त होने वाला है। उस समय राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी अजित सिंह ने भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत और राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत से फोन पर बात की थी। अजित सिंह ने कहा था 'चिंता मत करो, किसान के लिए जीवन मरण का प्रश्न है. सबको एक होना है, साथ रहना है।' यह जानकारी खुद अजित सिंह के बेटे जयंत चौधरी ने एक ट्वीट (Tweet) कर दी थी।
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चौधरी अजित सिंह दिया था नरेश टिकैत को लोकसभा का टिकट
इसमें कोई शक नहीं है कि चौधरी अजित सिंह और नरेश टिकैत एक-दूसरे के काफी करीब थे।राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष अजीत सिंह ने वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में अमरोहा से राकेश टिकैत को लोकसभा प्रत्याशी बनाकर एक तीर से दो निशाने साधे थे। राकेश टिकैत भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता है और किसान नेता चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत के बेटे हैं। ऐसे में राष्ट्रीय लोकदल जहां राकेश को अमरोहा से चुनाव लड़ाकर किसानों के सबसे बड़े संगठन भकियू में अपनी पकड़ मजबूत करना चाह थी, वहीं, मुजफ्फरनगर दंगों के बाद अजित सिंह से नाराज चल रहे जाट समुदाय को खुश करने की कोशिश भी थी। वहीं, मुजफ्फरनगर में पार्टी के दफ्तर में राकेश टिकैत के स्वागत के दौरान बड़ी संख्या में भकियू के पदाधिकारी और कार्यकर्ता भी शामिल हुए थे। इससे यह बात साबित हो जाती है कि चौधरी अजीत सिंह ने राकेश टिकैत के सहारे किसानों और जाटों में खोया हुआ अपना विश्वास दोबारा हासिल करना चाह रहे थे।
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दिल्ली से सटे गाजीपुर बॉर्डर पर धरना दे रहे भारतीय किसान यूनियन ने 26 जनवरी को किसान ट्रैक्टर परेड के बाद हिंसा के बाद आंदोलन वापस ले लिया था। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत की घोषणा के बाद पुलिस ने किसानों के तंबू हटाने शुरू कर दिए थे। यहां कि बिजली-पानी पहले ही काटी जा चुकी है। इस बीच भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत धरने से ना हटने की बात कह रहे थे। उन्होंने तो यहां तक कह दिया था कि अगर प्रशासन उन्हें जबरन हटाने का प्रयास करेगा तो वह फांसी लगाकर आत्महत्या कर लेंगे।
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इस बीच, टिकैत बंधुओं को वेस्ट यूपी के प्रमुख दल राष्ट्रीय लोकदल (RLD) के नेता चौधरी अजित सिंह और उनके बेटे जयंत चौधरी का साथ मिला। वहीं, चौधरी साहब ने संदेश दिया था कि चिंता मत करो, किसान के लिए जीवन मरण का प्रश्न है। सबको एक होना है, साथ रहना है।' बताया जाता है कि चौधरी अजित सिंह का समर्थन मिलते ही भाकियू नेता राकेश टिकैत के सुर बदल गए। उसके बाद क्या हुआ यह सब जानते हैं। वर्तमान में राकेश किसान आंदोलन की पहचान बन चुके हैं।
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अजित सिंह को हराना, हमारी भूलबता दें कि जनवरी महीने में मुजफ्फरनगर में आयोजित महापंचायत में भाकियू अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत ने कहा था चौधरी अजित सिंह को लोकसभा चुनाव में हराना हमारी भूल थी। हम झूठ नहीं बोलते हम दोषी हैं। नरेश टिकैत ने कहा था कि इस परिवार ने हमेशा किसानों के सम्मान की लड़ाई लड़ी है, आगे से ऐसी गलती ना करियो।
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