खुशखबरी: दिल्ली में बनेगा साबरमती जैसा रिवरफ्रंट, आकर्षण का केंद्र होगा यमुना नदी का ये हिस्सा; मिलेंगी कई सुविधाएं
राजधानी दिल्ली में साबरमती जैसे रिवर फ्रंट का सपना पूरा होने जा रहा है। माना जा रहा है कि इस परियोजना पर इसी वर्ष काम शुरू हो सकता है। खास बात यह है कि रिवर फ्रंट यमुना नदी को बहुत आकर्षक बनाएगा। बताया गया कि यहां लोगों के लिए फ्री वाकवे साइकिल ट्रैक एम्फीथियेटर रेस्तरां बोटिंग आदि जैसी सुविधा उपलब्ध होंगी। यह मनोरंजक पर्यटक स्थल के तौर पर विकसित होगा।
संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। यमुना की आरती शुरू होने के बाद दिल्ली में अब अहमदाबाद के साबरमती जैसा रिवरफ्रंट बनाए जाने का सपना भी साकार होता दिखाई दे रहा है। संभाव्यता रिपोर्ट के आधार पर जल्द इसकी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार होने की संभावना है।
बताया गया कि इसी साल इस परियोजना पर काम भी आरंभ हो सकता है। यमुना के तटवर्ती क्षेत्रों का कायाकल्प करने में लगातार प्रयासरत एलजी सक्सेना ने जमीन वापस मिलने के बाद यहां गुजरात के साबरमती नदी जैसा रिवरफ्रंट बनाने के लिए डीडीए को जिम्मेदारी सौंप दी।
डीडीए के पास 18 जुलाई तक जमा करने हैं ये प्रस्ताव
डीडीए ने मिलेनियम पार्क के सामने रिवर फ्रंट तैयार करने के लिए आरएफपी (रिक्वेस्ट फार प्रपोजल) नोटिस जारी कर अनुरोध प्रस्ताव आमंत्रित किए हैं। ई-टेंडर प्रक्रिया के तहत डीडीए के पास ये प्रस्ताव 18 जुलाई तक जमा करने हैं। 19 जुलाई को अनुरोध प्रस्ताव खोले जाएंगे और आगे की प्रक्रिया प्रारंभ की जाएगी।नियुक्त किया जाएगा सलाहकार
डीए द्वारा जारी आरएफपी नोटिस में कहा गया है कि केंद्रीय वित्त मंत्रालय के अधीन आर्थिक मामलों के विभाग में सूचीबद्ध किसी ट्रांजेक्शन एडवाइजर फर्म को सलाहकार नियुक्त किया जाएगा। यह सलाहकार फर्म परियोजना स्थल को लेकर संभाव्यता रिपोर्ट बनाएगी और इसी के आधार पर फिर डीपीआर बनेगी। पूरी परियोजना सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल पर क्रियान्वित की जाएगी।
जनवरी 2023 में डीडीए को वापस मिली थी जमीन
डीडीए को मिलेनियम बस डिपो की करीब 62 एकड़ जमीन जनवरी 2023 के अंतिम सप्ताह में वापस मिली थी। 2010 में राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान डीडीए ने दिल्ली की तत्कालीन शीला दीक्षित सरकार को यह जमीन अस्थायी तौर पर लो-फ्लोर बसों का रखरखाव करने के लिए दी गई थी। बाद में यहां मिलेनियम बस डिपो बना दिया गया, जहां करीब हजार बसें खड़ी होने लगीं। लेकिन जब यहां पर प्रदूषण फैलने लगा और यमुना को भी नुकसान पहुंचने लगा तो एक पर्यावरण कार्यकर्ता इस मामले को अदालत में ले गए।राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने यमुना की सफाई पर निगरानी के लिए गठित समिति से इस पर रिपोर्ट मांगी। समिति ने अपनी रिपोर्ट में दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) से इस बस डिपो को पर्यावरण के लिहाज से असुरक्षित बताते हुए यमुना किनारे से इसे स्थानांतरित करने को कहा।यह भी पढ़ें- Metro Big Update: अब पूरे NCR में दौड़ेंगी मेट्रो, फेज पांच के लिए सर्वे शुरू; DMRC के निदेशक ने दिया हर सवाल का जवाब
एनजीटी के सेवानिवृत्त विशेषज्ञ सदस्य बीएस सजवान व दिल्ली के पूर्व मुख्य सचिव शैलजा चंद्रा वाली समिति ने एनजीटी को बताया कि डीटीसी बिना आवश्यक अनुमति हासिल किए इसका संचालन कर रहा है। अपनी रिपोर्ट में समिति ने यह भी कहा, ‘दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) के मुताबिक यहां पर इस्तेमाल किए गए इंजन आयल, अन्य आयल और ग्रीस जैसे खतरनाक पदार्थ भी निकलते हैं जो यमुना में ही बहा दिए जाते हैं।’ हालांकि दिल्ली सरकार ने इस बस डिपो को बनाए रखने की कोशिश, लेकिन निर्णय डीडीए के पक्ष में गया। अंतत: जमीन डीडीए को वापस मिल गई।
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