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Delhi News: प्रदूषण से शुगर बढ़ने का खतरा, दिल्ली-चेन्नई में रहने वाले लोगों पर हुई स्टडी में खुलासा

Delhi Pollution प्रदूषण पर हुई एक स्टडी में खुलासा हुआ कि वातावरण में पीएम 2.5 का मासिक औसत यदि 10 माइक्रो ग्राम प्रति घन मीटर अधिक हो तो शुगर (फास्टिंग प्लाज्मा ग्लूकोज) का स्तर 0.40 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर और ब्लड में एचबीए1सी का स्तर 0.021 यूनिट बढ़ सकता है। ऐसे में प्रदूषण भी डायबिटीज का एक कारण हो सकता है।

By Ranbijay Kumar SinghEdited By: Shyamji TiwariUpdated: Mon, 13 Nov 2023 09:27 PM (IST)
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आबोहवा में पीएम 2.5 अधिक होने पर शुगर बढ़ने का खतरा

रणविजय सिंह, नई दिल्ली। भागदौड़ भरी जिंदगी के बीच खराब जीवनशैली के कारण डायबिटीज की बीमारी बढ़ रही है, जो किडनी, दिल की गंभीर बीमारियों व स्ट्रोक इत्यादि का एक अहम कारण है। इस बीच सेंटर फार क्रोनिक डिजीज कंट्रोल, पीएचएफआइ (पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन आफ इंडिया) और एम्स के द्वारा मिलकर किए गए एक अध्ययन में प्रदूषण का भी डायबिटीज से जुड़ाव पाया गया है।

डायबिटीज का कारण हो सकता प्रदूषण

इस अध्ययन के अनुसार, वातावरण में पीएम 2.5 का मासिक औसत यदि 10 माइक्रो ग्राम प्रति घन मीटर अधिक हो तो शुगर (फास्टिंग प्लाज्मा ग्लूकोज) का स्तर 0.40 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर और ब्लड में एचबीए1सी का स्तर 0.021 यूनिट बढ़ सकता है। ऐसे में प्रदूषण भी डायबिटीज का एक कारण हो सकता है।

हाल ही में यह अध्ययन ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित हुआ है। इसमें पाया गया है कि वातावरण में पीएम 2.5 का स्तर छह माह, एक वर्ष जैसे लंबे समय तक ज्यादा होने पर डायबिटीज का खतरा भी अधिक होगा। इस शोध में शामिल एम्स के इंडोक्रिनोलाजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. निखिल टंडन ने कहा कि यह शोध दिल्ली व चेन्नई में रहने वाले लोगों पर किया गया है।

20 साल से अधिक उम्र के लोगों पर अध्ययन

पहले इन दोनों शहरों में डायबिटीज फैलाव जानने के लिए अध्ययन किया गया था। इसी क्रम में गणितीय माडलिंग से प्रदूषण का डायबिटीज से जुड़ाव जानने की कोशिश की गई है। इस शोध में अहम भूमिका निभाने वाले सेंटर फार क्रोनिक डिजीज कंट्रोल के वरिष्ठ शोध वैज्ञानिक डॉ. सिद्धार्थ मंडल ने बताया कि 20 वर्ष से अधिक उम्र के 12 604 लोगों पर यह अध्ययन किया गया है। जिसमें चेन्नई के 6722 और दिल्ली के 5342 लोग शामिल हैं।

शोध के दौरान इन मरीजों का सात वर्ष तक फालोअप किया गया है। इस दौरान पाया गया कि यदि पीएम 2.5 का अर्धवार्षिक (छह माह) स्तर 10 माइक्रो ग्राम अधिक हो तो शुगर का स्तर 0.40 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर और एचबीए1सी का स्तर 0.033 यूनिट बढ़ सकता है। यदि पीएम 2.5 का वार्षिक स्तर दस माइक्रो ग्राम प्रति घन मीटर अधिक हो तो डायबिटीज होने का खतरा 22-23 प्रतिशत बढ़ जाता है।

अध्ययन के दौरान चेन्नई में प्रदूषण का वार्षिक स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मानक से चार गुना अधिक और भारतीय मानक के बराबर था। दिल्ली का वार्षिक स्तर डब्ल्यूएचओ के मानक से दस गुना अधिक और भारतीय मानक से ढाई गुना अधिक था। अध्ययन के दौरान 740 लोग डायबिटीज से पीड़ित हो गए, जिन्हें पहले डायबिटीज नहीं था। ऐसे में हर एक हजार की आबादी में हर वर्ष 29 लोग नए डायबिटीज के मरीज हो गए। प्रदूषण डायबिटीज का अकेला कारण नहीं हो सकता है लेकिन यह भी एक कारण बन रहा है।

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य कल्याण सर्वे पांच के अनुसार देश में डायबिटीज से पीडित 15 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों की संख्या

  • पुरुष- 15.6 प्रतिशत
  • महिलाएं- 13.5 प्रतिशत
  • दिल्ली में डायबिटीज के मरीजों की संख्या
  • पुरुष- 14 प्रतिशत
  • महिलाएं- 12.3 प्रतिशत

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