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FLASHBACK 2016: सियासी अखाड़े में 'आप' के दांव, विवादों से रहा नाता

आम आदमी पार्टी ने साल 2016 में शायद यह सोचकर कदम रखा कि वर्ष 2015 की तरह विवाद उससे दूर रहेंगे। साल 2016 में केजरीवाल व उनकी पार्टी सर्वाधिक विवादों में रही।

By Amit MishraEdited By: Updated: Wed, 21 Dec 2016 09:19 PM (IST)
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नई दिल्ली [जेएनएन]। आम आदमी पार्टी और विवादों का चोली दामन का साथ रहा है। आम आदमी पार्टी (AAP) के गठन के बाद से अब तक इसके चार साल के सफर में विवाद परछाई की तरह इसके साथ चलते रहे हैं। साल 2016 में यह सिलसिला इस कदर बढ़ गया कि अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली इस पार्टी के विस्तार की उम्मीदों और अलग तरह की राजनीति के उसके दावे पर सवालिया निशान लग गए। हालांकि ऐसे वक्त में भी 'आप' पार्टी दिल्ली के अलावा पंजाब, गोवा और गुजरात में अपनी मौजूदगी का अहसास कराती रही।

बीते साल फरवरी में दिल्ली विधानसभा चुनाव में शानदार जीत हासिल करके 'आप' ने विरोधियों के खेमे में यह सिहरन पैदा कर दी थी कि आने वाले समय में यह पार्टी दूसरे राज्यों में बड़ी चुनौती बन सकती है, लेकिन योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण सरीखे नेताओं को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाना और जितेंद्र तोमर के फर्जी डिग्री प्रकरण के आप की सियासत को तगड़ा बड़ा झटका लगा।

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'आप' ने साल 2016 में शायद यह सोचकर कदम रखा कि वर्ष 2015 की तरह विवाद उससे दूर रहेंगे और पार्टी दिल्ली में अपनी जमीन को मजबूत बनाए रखने के साथ ही देश के दूसरे राज्यों में विस्तार की रणनीति पर आगे बढ़ सकेगी। जल्द ही 'आप' की उम्मीदें चटकनें लगीं और एक के बाद एक कई विवादों ने पार्टी को घेर लिया। विवादों में सबसे अधिक 'आप' विधायकों की साख को बट्टा लगा और दिल्ली में इस साल गिरफ्तार होने वाले 'आप' विधायकों की संख्या 15 तक जा पहुंची।

'आप' का विवादों से नाता जुड़ा तो विरोधियों ने भी वार किए। चुनाव में भारी बहुमत से जीत दर्ज करने वाला पार्टी पर भाजपा ने हमले शुरू किए। कई बार तो यहां तक कहा गया कि 'केजरीवाल और उनकी पार्टी अलग तरह की राजनीति का दावा करते हैं, लेकिन उनके लोगों पर गंभीर आरोप लगे और गिरफ्तारियां हुई। उनकी सच्चाई जनता के सामने आ गई है।'

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विवादों के बीच टीम केजरीवाल पार्टी के विस्तार की रणनीति पर काम करती रही। कहना गलत नहीं होगा कि एक वक्त तो केजरीवाल और उनकी टीम पंजाब, गोवा और गुजरात में पार्टी की मौजूदगी का अहसास कराने में सफल रही। कई लोगों ने तो यहां तक कहना शुरू कर दिया कि 'आप' पार्टी पंजाब में सत्ता की दावेदार बन गई है पंजाब में 'आप' पार्टी सत्ता तक भी पहुंच सकती है।

2016 में विवाद

साल 2016 में जून, जुलाई व अगस्त के महीने में केजरीवाल और उनकी पार्टी के लिए सर्वाधिक विवादों वाले महीने रहे। इन महीनों में पार्टी के कई नेताओं की गिरफ्तारी हुई और कई अन्य विवाद भी खड़े हुए। साल 2016 के पहले ही महीने जनवरी में आम आदमी पार्टी को उस वक्त पहला झटका लगा जब सरकारी कर्मचारी से मारपीट के आरोप में दिल्ली के विकासपुरी से पार्टी के विधायक महेंद्र यादव को गिरफ्तार किया गया। 24 जुलाई को 'आप' पार्टी को उस वक्त सबसे बड़ा झटका लगा जब पंजाब में धार्मिक ग्रंथ की बेअदबी मामले में राज्य की पुलिस ने को दिल्ली के महरौली से 'आप' के विधायक नरेश यादव को गिरफ्तार किया, हालांकि बाद में मामले का मुख्य गवाह अपने बयान से पलट गया लेकिन विवाद में नाम आने की वजह से 'आप' की साख को नुकसान हुआ।

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जब फंस गए भगवंत मान

बीते 21 जुलाई को संगरूर से 'आप' के सांसद भगवंत मान ने संसद भवन परिसर का वीडियो बनाया जिसको लेकर बड़ा विवाद खड़ा हुआ जिसके बाद इस प्रकरण की जांच के लिए लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने भाजपा सांसद किरीट सोमैया के नेतृत्व में एक समिति का गठन किया। बाद में मान ने बिना शर्त माफी मांगी।

अमानतुल्ला खान प्रकरण

जुलाई में एक महिला की हत्या के प्रयास मामले में आप विधायक अमानतुल्ला खान को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया और एक महिला रिश्तेदार की शिकायत के बाद फिर से उनकी गिरफ्तारी हुई। नवंबर महीने में वक्फ मामले में सीबीआइ ने खान पर मामला दर्ज किया।

जब आया सीडी प्रकरण

साफ-सुथरी राजनीति का दावा करने वाली 'आप' की छवि को धूमिल करने वाला सेक्स सीडी प्रकरण 31 अगस्त को सामने आया। दिल्ली सरकार के मंत्री संदीप कुमार एक सीडी में दो महिलाओं के साथ आपत्तिजनक स्थिति में देखे गये। सीडी सामने के साथ ही केजरीवाल ने संदीप को मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया।

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जैन धर्मगुरू तरूण सागर विवाद

इस साल अगस्त महीने में ही 'आप' को एक और विवाद ने घेरा जब संगीतकार एवं आम आदमी पार्टी के समर्थक विशाल ददलानी ने जैन धर्मगुरू तरूण सागर महाराज को लेकर विवादित ट्वीट किया। विवाद बढ़ने के बाद 27 अगस्त को विशाल ददलानी ने अपने को राजनीति से अलग किया और माफी मांगी।

टिकट के बदले पैसे, सामने आया वीडियो

पंजाब में सरकार बनाने की कोशिशों में लगी 'आप' को इस साल अगस्त में उस वक्त बड़ा झटका लगा जब राज्य इकाई के संयोजक सुच्चा सिंह छोटेपुर के टिकट के लिए पैसे मांगने वाले एक कथित वीडियो की बात सामने आई। विवाद बढ़ा तो 'आप' ने छोटेपुर को बर्खास्त कर दिया। छोटेपुर ने अपने खिलाफ लगे आरोपों को साजिश करार दिया और इसके लिए 'आप' के ही कुछ नेताओं पर आरोप लगाया। 'आप' ने छोटेपुर की जगह गुरप्रीत गुग्गी को पंजाब इकाई का संयोजक बनाया।

मुश्किल बना लाभ का पद

लाभ के पद मामला 'आप' के गले की फांस बन गया। आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों की सदस्यता खतरे में है। 'आप' विधायक लगातार मामला समाप्त किए जाए जाने की मांग कर रहे है। विधायकों का तर्क है कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने उनकी नियुक्तियों को पहले ही खारिज कर दिया है, ऐसे में उन्हें अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता।

दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने फरवरी 2015 में दोबारा सत्ता संभाली थी। इसके कुछ समय बाद ही दिल्ली सरकार ने 21 विधायकों को संसदीय सचिव बनाने का फैसला लिया था। सूत्रों के मुताबिक सरकार को यह राय उस समय सरकार के थिंक टैंक रहे (निलंबित चल रहे) वरिष्ठ आइएएस राजेंद्र कुमार ने दी थी। राजेंद्र कुमार उस समय मुख्यमंत्री अरविद केजरीवाल के प्रधान सचिव थे।

'आप' के लिए अच्छी खबर

विवादों के बीच 'आप' के लिए कुछ सुखद खबरें भी आईं। उसके 'मिशन विस्तार' को ताकत मिलती दिखी। खासकर पंजाब में 'आप' के पक्ष में बड़े जनसमर्थन की बात सामने आई। कुछ सर्वेक्षणों में पार्टी की सरकार बनने का दावा भी किया गया।

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