Delhi Politics: निगम चुनाव को लेकर AAP और BJP के बीच टकराव; अब सुप्रीम कोर्ट करेगा फैसला
दिल्ली नगर निगम में स्थायी समिति के चुनाव को लेकर आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी आमने-सामने हैं। आप का आरोप है कि भाजपा ने गलत तरीके से चुनाव कराए हैं जबकि भाजपा का कहना है कि चुनाव प्रक्रिया एमसीडी एक्ट के नियमानुसार पूरी हुई है। इस मामले को लेकर आम आदमी पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली नगर निगम में स्टैंडिंग कमिटी के चुनाव को लेकर आम आदमी पार्टी (आप) ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। मेयर ने स्टैंडिंग कमिटी के आखिरी चुनाव को अवैध बताया है। आप ने उपराज्यपाल और भाजपा पर नियम कानून को ताक पर रखकर चुनाव कराए जाने का आरोप लगाया है। आम आदमी पार्टी ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया था।
दिल्ली की नई मुख्यमंत्री आतिशी ने आरोप लगाया है कि भाजपा नगर निगम में गलत तरीके से दखलंदाजी कर रही है। यहां तक कि भाजपा की ओर से नगर निगम में लोकतंत्र की हत्या की जा रही है। उन्होंने कहा कि शुक्रवार को गलत तरीके से नगर निगम में स्थायी समिति के सदस्य के लिए चुनाव कराए गए हैं।
निगम में स्थायी समिति के एक सदस्य पद के लिए कराया गया चुनाव गैर संवैधानिक है। इससे पहले, आप के वरिष्ठ नेता दिलीप पांडेय ने भी प्रेसवार्ता कर भाजपा पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि भाजपा ने नगर निगम को कंगाल बना दिया है, जनता भाजपा को बर्दाश्त नही करेगी। मुख्यमंत्री आतिशी ने कहा कि शुक्रवार को कराया गया चुनाव स्थायी समिति के सदस्य का चुनाव दिल्ली म्यूनिसिपल एक्ट 1957 का उल्लंघन है।
IAS को पीठासीन अधिकारी बनाने पर बवाल
सीएम ने कहा कि नियमों के तहत स्थायी समिति के सदस्य के चुनाव की तारीख और स्थान महापौर ही तय कर सकती हैं और वही पीठासीन अधिकारी होंगी, लेकिन लोकतंत्र, संविधान और कानून की धज्जियां उड़ाते हुए उपराज्यपाल के निर्देश पर एमसीडी आयुक्त से एक आईएएस अधिकारी को पीठासीन अधिकारी बनाकर चुनाव करवाया।
मुख्यमंत्री आतिशी ने भाजपा को आगाह किया कि लोकतंत्र की हत्या करना बंद करें और भाजपा चोर दरवाजे से सरकार बनाने की कोशिश न करे, हिम्मत है तो चुनाव में आम आदमी पार्टी का सामना करें। उन्होंने कहा कि दिल्ली के नगर निगम को चलाने के लिए भारत के संसद ने दिल्ली नगर निगम एक्ट 1957 पारित किया हुआ है। इसके तहत एमसीडी को चलाने के लिए कई कानून और नियम बने हुए है।
इसमें सबसे महत्वपूर्ण “दिल्ली म्युनिसिपल कॉरपोरेशन प्रोसीजर एंड कंडक्ट ऑफ़ बिजनेस रेगुलेशन 1958” है। जिसका रेगुलेशन 51 जो स्थायी समिति के चुनाव से संबंधित है। इसके अनुसार स्थाई समिति के सदस्यों का चुनाव कारपोरेशन की बैठक में होगा। उन्होंने कहा कि डीएमसी एक्ट का सेक्शन 76 भी स्पष्ट शब्दों के कहता है कि जब भी नगर निगम की बैठक होगी, तो उसकी अध्यक्षता महापौर करेंगी और उनकी अनुपस्थित में डिप्टी मेयर अध्यक्षता करेंगे।
निगम एक्ट पर भ्रम फैला रही हैं सीएम: सचदेवा
दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि मुख्यमंत्री आतिशी दिल्ली नगर निगम एक्ट को लेकर भ्रम फैला रही हैं। निगम में पार्टी की हार और पार्षदों की बगावत से जनता का ध्यान भटकाने का प्रयास है। पौने दो वर्षों से न तो स्थायी समिति का गठन हुआ और न अन्य संवैधानिक एवं तदर्थ समितियों का। इस कारण नगर निगम के अधिकांश काम ठप हो गए हैं।
चुनाव के लिए 26 सितंबर को बुलाई थी बैठक
मुख्यमंत्री को यह बताना चाहिए कि स्थायी समिति के गठन की प्रक्रिया महापौर ने शुरू की है या फिर अदालत के निर्देश पर यह हो रहा है। उन्होंने कहा कि नगर निगम ने दिल्ली हाई कोर्ट में सितंबर के अंतिम सप्ताह में स्थायी समिति के गठन की प्रक्रिया पूरी करने का शपथपत्र दिया है। निगमायुक्त एवं महापौर ने स्थायी समिति के सदस्य का चुनाव करने के लिए 26 सितंबर की बैठक बुलाई।
बाद में आप नेताओं के कहने पर महापौर ने बैठक को पांच अक्टूबर के लिए स्थगित कर दी। यह हाई कोर्ट में दिए शपथपत्र की अवेहलना है। सीएम को मालूम होना चाहिए कि दिल्ली नगर निगम एक्ट के अनुसास स्थायी समिति का गठन अनिवार्य है। एलजी एवं निगमायुक्त को विशेष परिस्थिति में सदन की बैठक बुलाने और पीठासीन अधिकारी नियुक्त करने का अधिकार है।
पार्षदों की बगावत से ध्यान भटकाने का प्रयास- राजा
एमसीडी में नेता प्रतिपक्ष व पूर्व महापौर राजा इकबाल सिंह ने दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी के उस बयान पर पलटवार किया है, जिसमें उन्होंने स्थायी समिति को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कही है। उन्होंने कहा कि पिछली बार स्थायी समिति के सदस्यों के चुनाव के बाद भी आप सरकार दिल्ली हाई कोर्ट गई थी। तब भी कोर्ट ने चुनाव प्रक्रिया को सही ठहराया था और भाजपा के सदस्य को निर्वाचित घोषित किया गया था।
इसके बाद आप सरकार उपराज्यपाल द्वारा नियुक्त एल्डरमैन की नियुक्ति के बाद कोर्ट गई। तब भी सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय को सही ठहराया था। अब भी चुनाव की प्रक्रिया एमसीडी एक्ट के नियमानुसार पूरी हुई है और भाजपा के सदस्य को जीत मिली है। उन्होंने कहा कि आप सरकार की मंशा बार-बार गलत नियमों का हवाला देने की है।
आप सरकार की जिम्मेदारी थी कि वह स्थायी समिति का गठन कराए लेकिन बार-बार आप सरकार और दिल्ली की महापौर डॉ. शैली ओबेराय ने उसमें देरी की। यही वजह है कि 20 माह से अधिक समय स्थायी समिति का गठन नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि इसके चलते दिल्ली के विकास कार्य ठप पड़े हुए हैं।