MCD Election 2022: चुनाव प्रचार में भाजपा और AAP ने लगाया एड़ी चोटी का जोर, कांग्रेस में मंथन का दौर जारी
MCD Election 2022 के लिए भाजपा ने जहां राष्ट्रीय अध्यक्ष केंद्रीय मंत्रियों व कुछ राज्यों के मुख्यमंत्रियों को प्रचार में उतारकर अपने इरादे साफ किए हैं वहीं आम आदमी पार्टी की ओर से सीएम अरविंद केजरीवाल ने रोड शो कर दर्शाया कि वह भी कांटे की टक्कर दे रहे हैं।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली नगर निगम (MCD Election 2022) चुनाव में नाम वापस लेने की तिथि के अगले ही दिन रविवार से प्रचार तेजी से शुरू हो गया है, लेकिन इस प्रचार के पहले ही दिन कांग्रेस का पिछड़ना राजधानी की सियासत में एक बार फिर उसकी खराब स्थिति को दर्शा रहा है।
भाजपा ने रविवार को जहां राष्ट्रीय अध्यक्ष, केंद्रीय मंत्रियों व कुछ राज्यों के मुख्यमंत्रियों को प्रचार में उतारकर अपने इरादे साफ कर दिए हैं, वहीं आम आदमी पार्टी (AAP) की ओर से अब तक गुजरात विधानसभा चुनाव के प्रचार में डटे पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और सीएम अरविंद केजरीवाल ने भी पहाड़गंज में रोड शो कर दर्शा दिया कि भले उनका जोर गुजरात पर रहा है, लेकिन दिल्ली के सियासी माहौल को भी उनकी मौजूदगी से गर्माहट मिलती रहेगी।
हाशिए पर पहुंची कांग्रेस
इस सबके बीच, कांग्रेस की ओर से रविवार को कहीं कोई बड़ा नेता प्रचार करता नहीं नजर आया। यही नहीं, स्थिति यह है कि पार्टी अब तक अपने स्टार प्रचारकों की सूची को अंतिम रूप भी नहीं दे पाई है। ऐसे में यह बेहद निराशाजनक है कि जहां देश की इस पुरानी पार्टी ने लगातार 15 साल तक दिल्ली की सत्ता पर अपना कब्जा बनाए रखा, वहां अब यह स्थिति है कि पार्टी चुनाव जीतना तो दूर, चुनाव लड़ती भी नजर नहीं आती।
कांग्रेस का वोट बैंक पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित की हार के साथ खिसककर आप के पास पहुंच गया, लेकिन तब से ही कभी भी पार्टी अपना वोट बैंक वापस पाने की कोशिश करती नजर नहीं आई।
लगातार जारी है कांग्रेस की हार का सिलसिला
बता दें कि पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस प्रचार में सबसे पीछे रही। पिछले निगम चुनावों में कांग्रेस के 31 प्रत्याशी जरूर विजयी रहे थे, लेकिन समय के साथ इनमें से 13 पार्टी छोड़कर दूसरे दलों में चले गए, जबकि कई अन्य ने इस बार चुनाव से दूरी बना ली।
इस बार एमसीडी की 250 सीटों के लिए पार्टी के 247 प्रत्याशी मैदान में हैं, लेकिन यह आसानी से समझा जा सकता है कि यदि कांग्रेस ने प्रचार पर ठीक से ध्यान नहीं दिया तो उसके लिए पिछली बार जितनी सीटें हासिल करना भी बेहद मुश्किल होगा। देश की पुरानी पार्टी का राजधानी में यह हश्र लोकतंत्र के हित में कतई नहीं होगा।
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