राष्ट्रीय पार्टी बनने के बाद भी 'दिल्ली' पर ही AAP का क्यों है फोकस? जानें इस रणनीति के पीछे एक्सपर्ट की राय
आम आदमी पार्टी (आप) राष्ट्रीय पार्टी बनने के बाद भी फिलहाल दिल्ली पर ही फोकस कर रही है। भ्रष्टाचार के आरोपों और पार्टी नेताओं के जेल जाने से चिंतित आप दिल्ली विधानसभा चुनाव तक अपना पूरा ध्यान दिल्ली पर केंद्रित रखेगी। महाराष्ट्र छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश में चुनाव नहीं लड़ने का फैसला भी इसी रणनीति का हिस्सा है। फिलहाल केजरीवाल जनता के मन में विश्वास बनाने में जुटे हैं।
वी के शुक्ला, नई दिल्ली। राष्ट्रीय पार्टी बनने के बाद भी देश भर की जगह फिलहाल दिल्ली पर ही आम आदमी पार्टी फोकस करेगी। दरअसल आप को दिल्ली की चिंता सता रही है। मुख्यमंत्री रहे पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप और उनके सहित पार्टी के प्रमुख नेताओं के जेल जाना उनकी चिंता का मुख्य कारण है।
इसी को ध्यान में रखकर दूसरे राज्याें की जगह अधिक ध्यान देने की जगह आप दिल्ली पर पूरा फाेकस लगा रही है। सूत्रों की मानें तो दिल्ली विधानसभा चुनाव तक आप पूरी तरह दिल्ली पर केंद्रित रहेगी। इस कारण भी आप महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव और उत्तर प्रदेश में उपचुनाव ना लड़ने का मन बना रही है।
पंजाब से आप के चार सांसद चुने गए
आम आदमी पार्टी की बात करें तो यह पार्टी माहाैल और जरूरत के हिसाब से चुनाव लड़ने को लेकर रणनीति में बदलाव करती रही है। पार्टी ने गठन के दो साल बाद ही देश के प्रमुख राज्यों में चुनाव लड़ डाला था। खुद उस समय के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ बनारस में जाकर चुनाव लड़े थे, हालांकि उस समय वह भारी मतों से हार गए थे, मगर पंजाब से उनके चार सांसद चुने गए थे।
मुंबई में कई मजबूत और जमीनी कार्यकर्ता
यह वह समय था जब आप के पास महाराष्ट्र खासकर मुंबई में कई मजबूत और जमीनी कार्यकर्ता मौजूद थे। वे दिल्ली में होने वाले पार्टी के आयोजनाें में प्रमुखता से शामिल होते थे और मुंबई में पार्टी के विस्तार की जोरदार वकालत करते थे। मगर किन्हीं कारणों से धीरे धीरे वे सभी आप से दूर हाेते गए हैं।
अब महाराष्ट्र में आप के नए कार्यकर्ता जरूर बन रहे हैं। मगर पहले वाली स्थिति नहीं रही है। सूत्रों की मानें तो झारखंड में भी आप का संगठन अभी इतना मजबूत अभी नहीं है कि आप वहां चुनाव लड़ सके। यही स्थिति उत्तर प्रदेश उपचुनाव को लेकर भी मानी जा रही है।
जेल में रहने से केजरीवाल की छवि पर दाग पड़े
वहीं राजनीति के जानकार मान रहे हैं कि आबकारी घोटाले और जेल में करीब पांच माह तक रहने से अरविंद केजरीवाल की छवि पर दाग पड़े हैं। ऐसे में पूरे देश में जाने की जगह अपने इन दागों काे मिटाना जरूरी है अन्यथा देश भर में जाने का कोई लाभ होने वाला नहीं है।
केजरीवाल ने विश्वास कायम करने की बनाई रणनीति
आबकारी घोटाले की बात करें तो यह मामला लंबे समय तक चलने वाला है। शायद यही कारण है कि केजरीवाल ने जेल से बाहर आने के बाद मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर जनता में अपना विश्वास कायम करने की रणनीति अपनाई है। जिसमें उन्होंने यही मुद्दा बनाया है कि अगर जनता उन्हें ईमानदार मानती है तो वोट दे।
जानकार मान रहे हैं कि अगर केजरीवाल के नेतृत्व में आप दिल्ली में चुनाव जीत जाती है तो कम से कम देश भर में जाकर अपनी बात तो रखने की स्थिति में होगी। ऐसी स्थिति में विधानसभा चुनाव तक आप दिल्ली पर ही फोकस करेगी।