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JNU Row: एबीवीपी ने नए मैन्युअल का किया विरोध, कहा- 10 हजार देकर देश विरोधी नारे लगाने की होगी स्वतंत्रता

जेएनयू में देश विरोधी नारे लगाने पर छात्रों पर दस हजार रुपये का जुर्माना लगाया जायेगा जिस पर एबीवीपी का मानना है कि क्या दस हजार रुपये देकर इतने गंभीर आपराधिक कृत्य को जेएनयू प्रशासन माफ कर देगा क्या इस राशि का भुगतान कर देशविरोधियों को देश के खिलाफ नारे लगाने की स्वतंत्रता दे देगा जेएनयू प्रशासन? जेएनयू प्रशासन और वामपंथियों के बीच साठगांठ का भी संकेत है।

By uday jagtapEdited By: Sonu SumanUpdated: Wed, 13 Dec 2023 08:48 AM (IST)
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जेएनयू प्रशासन के नये मैन्युअल का एबीवीपी ने किया विरोध।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) प्रशासन की ओर से हाल में जारी किए गए मैन्युअल के विरोध में अब अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद भी उतर आई है। एबीवीपी की जेएनयू इकाई ने इसके कुछ नियमों को तानाशाही भरा और वामपंथी छात्रों को सहयोग देने वाला बताया है। कहा है कि इसके कई प्रविधानों ने छात्रों के मौलिक अधिकारों जैसे अपने अधिकारों की मांग करते हुए धरना प्रदर्शन करने आदि पर प्रतिबंध एवं जुर्माना लगाया है।

एबीवीपी इस मैन्युअल को छात्रों के मौलिक अधिकारों का हनन और अपनी संवैधानिक मांगों के लिए छात्रों की लोकतांत्रिक आवाज को दबाने का प्रयास मानती है। इसमें यह भी कहा गया है कि देश विरोधी नारे लगाने पर दस हजार रुपये का जुर्माना लगाया जायेगा, जिस पर एबीवीपी का मानना है कि क्या दस हजार रुपये देकर इतने गंभीर आपराधिक कृत्य को जेएनयू प्रशासन माफ कर देगा, क्या इस राशि का भुगतान कर देशविरोधियों को देश के खिलाफ नारे लगाने की स्वतंत्रता दे देगा जेएनयू प्रशासन? इस प्रकार का मैन्युअल जेएनयू प्रशासन और वामपंथियों के बीच साठगांठ का भी खुला संकेत देता है।

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गंभीर दंड नियमावली बनाने की आवश्यकता: ABVP

एबीवीपी जेएनयू के अध्यक्ष उमेश चन्द्र अजमीर का कहना है कि यह मैन्युअल छात्रों के हित में नहीं है। यह छात्रों के सकारात्मक और संवैधानिक अधिकारों एवं मांगों के लिए संगठित होने और अपनी आवाज उठाने से रोकता है जो की पूर्णतया असंवैधानिक है। साथ ही देश विरोधी गतिविधियों में लिप्त व्यक्तियों पर गंभीर दंड नियमावली बनाने की आवश्यकता है, जबकि प्रशाशन ने इस देश की सुरक्षा से जुड़े अपराध को धन उगाही का साधन बना लिया है और इससे सामान्य अपराधों की श्रेणी में डाल है। अभाविप प्रशासन से आचार संहिता को वापस लेने की मांग करता है जो लोकतांत्रिक मूल्यों का सम्मान नहीं करती और छात्रों के अधिकारों की रक्षा करने के बजाय उसका हनन करती है।

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