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दिल्ली सरकार के मोहल्ला क्लीनिक में 'घोस्ट' मरीज, हजारों रोगियों का हुआ फर्जी टेस्ट; ACB की जांच में सामने आया सच

दिल्ली सरकार के मोहल्ला में बड़ा हेरफेर सामने आाय है। भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) की प्रारंभिक जांच में दिल्ली सरकार द्वारा संचालित मोहल्ला क्लीनिक में 65 हजार फर्जी मरीजाें की रोग संबंधी जांच किए जाने का जानकारी सामने आई है। इसमें दो निजी प्रयोगशालाओं की गहरी सांठगांठ सामने आई है। इन प्रयोगशालाओं में फरवरी से दिसंबर 2023 के दौरान लगभग 22 लाख परीक्षण किए गए थे।

By Jagran NewsEdited By: Sonu SumanUpdated: Sat, 03 Feb 2024 07:41 PM (IST)
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दिल्ली सरकार के मोहल्ला क्लीनिकों में हजारों रोगियों का हुआ फर्जी टेस्ट।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली सरकार की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) की प्रारंभिक जांच में दिल्ली सरकार द्वारा संचालित मोहल्ला क्लीनिक में 65 हजार फर्जी मरीजाें की रोग संबंधी जांच किए जाने का जानकारी सामने आई है। इसमें दो निजी प्रयोगशालाओं की गहरी सांठगांठ सामने आई है। इन प्रयोगशालाओं में फरवरी से दिसंबर 2023 के दौरान लगभग 22 लाख परीक्षण किए गए थे।

प्रयोगशालाओं को उनके द्वारा किए गए परीक्षणों के लिए सरकार द्वारा 4.63 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था। 65 हजार से ज्यादा फर्जी परीक्षण पाए गए। जांच के दौरान जिन लोगों के मोबाइल नंबर चयनित किए गए थे, उनसे आगे की जांच करने पर पता चला कि 63 प्रतिशत लोगों ने न तो कोई परीक्षण करवाया था, न ही कभी किसी मोहल्ला क्लिनिक में गए थे। एसीबी अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी।

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पिछले महीने दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने मोहल्ला क्लीनिकों में किए गए लैब परीक्षणों में अनियमितताओं की रिपोर्ट की सीबीआई जांच की सिफारिश की थी। गृह मंत्रालय ने इस मामले में सीबीआई को जांच करने का निर्देश दिया है। एसीबी के एक अधिकारी ने दावा किया कि निजी प्रयोगशालाओं ने कथित तौर पर उन मरीजों पर परीक्षण किया जो कभी किसी मोहल्ला क्लिनिक में नहीं गए थे।

निजी लैब द्वारा डेटा से हेरफेर की आशंका

एसीबी की जांच में यह भी सामने आया कि मरीजों के नाम और मोबाइल नंबर वाली लैब प्रबंधन सूचना प्रणाली (एलआइएमएस) को भी दो निजी प्रयोगशालाओं द्वारा विकसित, संचालित और सुविधाजनक तरीके से संचालित किया गया था। रिपोर्ट में पाया गया है कि दो निजी प्रयोगशालाओं के पास डेटा और सिस्टम साफ्टवेयर पर पूर्ण नियंत्रण और पहुंच है। इसलिए डेटा में हेरफेर की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।

एसीबी की जांच में सामने आई सच्चाई

मोहल्ला क्लीनिक में विभिन्न परीक्षणों की लागत 100 रुपये से 300 रुपये तक होती है। एसीबी ने दोनों निजी प्रयोगशालाओं में मरीजों के मोबाइल नंबरों के टेली-सत्यापन के माध्यम से पाया कि बड़ी संख्या में परीक्षण या तो अमान्य मोबाइल नंबरों या उन मोबाइल नंबरों पर किए गए थे जो मरीजों से संबंधित नहीं थे।

फर्जी मोबाइल नंबर टेस्ट में दर्ज

रिपोर्ट में पता चला कि एक निजी प्रयोगशाला के रोगी डेटा के विश्लेषण से पता चला कि 12,457 परीक्षण रिक्त मोबाइल नंबरों के साथ, 25,732 परीक्षण शून्य मोबाइल नंबरों के साथ, 913 परीक्षण नकली मोबाइल नंबरों के साथ जैसे 1,2,3 आदि, और 2467 परीक्षण में विभन्न रोगियों के लिए 80 से अधिक बार दोहराए गए।

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