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दिल्ली में हर 27 वां बच्चा आंखों की इस गंभीर बीमारी से जूझ रहा है: सर्वे रिपोर्ट

यदि बच्चा बहुत नजदीक से टीवी या किताब देखे तो यह मायोपिया की बीमारी का लक्षण हो सकता है। चश्मा पहनने से नजदीक या दूर की सभी चीजें ठीक से दिखाई देने लगती हैं। दस साल पहले किए गए सर्वे में 7.4 प्रतिशत बच्चे मायोपिया से पीड़ित पाए गए थे।

By Pradeep ChauhanEdited By: Updated: Tue, 08 Mar 2022 07:49 AM (IST)
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ज्यादातर बच्चों में मायोपिया की बीमारी जन्मजात होती है।

नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। दिल्ली में हर 27 में से एक बच्चे की आंखों की नजर कमजोर है। इसका कारण मायोपिया की बीमारी है। एम्स के आरपी सेंटर के डाक्टरों के सर्वे में यह बात सामने आई है। छोटे बच्चों की तुलना में किशोर इस बीमारी से अधिक पीड़ित हैं। एम्स के डाक्टरों का यह सर्वे हाल ही में इंडियन जर्नल आफ आपथैल्मोलाजी में प्रकाशित हुआ है। आरपी सेंटर के कम्युनिटी नेत्र विज्ञान विभाग के प्रोफेसर डा. प्रवीण वशिष्ठ के नेतृत्व में छह से 15 साल की उम्र के 13,572 बच्चों पर यह सर्वे किया गया है।

ये बच्चे पूर्वी दिल्ली के विभिन्न क्षेत्रों के रहने वाले हैं। सर्वे में 3.7 प्रतिशत बच्चों को मायोपिया की बीमारी थी। किशोरों में यह बीमारी अधिक है। 14 से 15 साल की उम्र के 6.3 प्रतिशत बच्चे मायोपिया से पीड़ित हैं। इस लिहाज से हर 16वें किशोर को यह बीमारी है। रिपोर्ट के अनुसार इस बीमारी से पीड़ित 44.6 प्रतिशत बच्चे चश्मे का इस्तेमाल करते हैं। इसलिए उनकी आंखों की रोशनी ठीक रहती है। 55.4 प्रतिशत बच्चे चश्मे का इस्तेमाल नहीं कर रहे थे। इस वजह से उनकी आंखों की रोशनी में परेशानी थी। समय पर इलाज नहीं कराने से इस बीमारी से पीड़ित 3.2 प्रतिशत बच्चों की आंखों की रोशनी भी चली गई थी। दस साल पहले किए गए सर्वे में 7.4 प्रतिशत बच्चे मायोपिया से पीड़ित पाए गए थे।

ज्यादातर में जन्मजात होती है यह बीमारी : फोर्टिस अस्पताल के नेत्र विज्ञान विभाग की विशेषज्ञ डा. अनिता सेठी ने कहा कि मायोपिया की बीमारी होने पर आंखों का फोकस पीछे के पर्दे (रेटिना) पर न जाकर सामने आ जाता है। इससे बच्चों को दूर की चीजें ठीक से दिखाई नहीं देती। इस बीमारी के कई कारण हो सकते हैं, लेकिन ज्यादातर बच्चों में यह जन्मजात होती है।

इसलिए माता-पिता को यह बीमारी हो तो बच्चों को मायोपिया होने की आशंका अधिक रहती है। पांच से 15 साल की उम्र में कभी भी यह बीमारी सामने आ सकती है। यदि बच्चा बहुत नजदीक से टीवी या किताब देखे तो यह मायोपिया की बीमारी का लक्षण हो सकता है। चश्मा पहनने से नजदीक या दूर की सभी चीजें ठीक से दिखाई देने लगती हैं। उम्र बढ़ने के साथ चश्मे का नंबर बढ़ सकता है, लेकिन 18 या 19 वर्ष की उम्र में चश्मे का नंबर बढ़ना बंद हो जाता है।

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