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Delhi Crime News: FIR में देरी से दुष्कर्म के आरोपित को मिली जमानत

दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत की पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि बच्ची से इस तरह का अपराध होने के बावजूद रिपोर्ट दर्ज कराने में आठ घंटे की देरी हुई है और ऐसे में आरोपित जमानत का हकदार है।

By JP YadavEdited By: Updated: Sat, 30 Jan 2021 09:05 AM (IST)
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आरोपित के अधिवक्ता ने दलील दी कि आरोपित के एमएलसी में नशे का कोई लक्षण नहीं दिखा है।

नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। ढाई वर्ष की बच्ची के साथ दुष्कर्म के आरोपित को दिल्ली हाई कोर्ट ने यह कहते हुए जमानत दे दी कि उसके खिलाफ आठ घंटे की देरी से प्राथमिकी दर्ज कराई गई। न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत की पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि बच्ची से इस तरह का अपराध होने के बावजूद रिपोर्ट दर्ज कराने में आठ घंटे की देरी हुई है और ऐसे में आरोपित जमानत का हकदार है। पीठ ने सीसीटीवी कैमरे की फुटेज देखने के बाद कहा कि फुटेज में पीड़िता के पिता इमारत के बाहर थे। वह इमारत में घुसते हैं और एक मिनट के भीतर वह आरोपित को पकड़कर बाहर लाते हुए दिखाई देते हैं। अगर ऐसा जघन्य अपराध ढाई वर्ष की बच्ची के साथ हुआ है तो फिर तुरंत प्राथमिकी दर्ज क्यों नहीं की गई। कोर्ट ने आगे कहा कि आरोपित के एमएलसी (मेडिको लीगल सर्टिफिकेट) में पिटाई और नशे का कोई संकेत नहीं था। अगर पड़ोसियों ने आरोपित को पीटा था और वह नशे की हालत में था तो यह बात एमएलसी में क्यों नहीं आई। पीठ ने कहा कि उक्त तथ्य दर्शाते हैं कि आरोपित की सार्वजनिक पिटाई नहीं हुई थी, जैसा कि एफआइआर में आरोप लगाया गया है।

पिछले वर्ष दक्षिण दिल्ली के जिला पुलिस स्टेशन में दर्ज मामले के अनुसार, शिकायतकर्ता ने आरोपित को नशे की हालत में देखा और उसे कथित रूप से पीड़िता बच्ची को बाहरी यौन शोषण करने के लिए प्रेरित करते हुए सुना। उन्होंने पुलिस को बताया कि जब आरोपित पीड़िता के साथ था, तब पैंट की जिप खुली हुई थी। दिल्ली पुलिस ने हाई कोर्ट को बताया कि इस घटना के बाद कई पड़ोसी मौके पर पहुंच गए थे और आरोपित को पीटा था। आरोपित के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 376 ए-बी और पाक्सो के तहत मामला दर्ज किया गया था। वहीं, आरोपित के अधिवक्ता ने दलील दी कि आरोपित के एमएलसी में नशे का कोई लक्षण नहीं दिखा है और न ही उसके शरीर पर पिटाई का कोई निशान मिला है।

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