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दिल्ली में एक लाख संपत्तियों पर लटकी कार्रवाई की तलवार, अवैध निर्माण से जुड़े कानून को विस्तार देने वाला बिल लोकसभा में पेश

दिल्ली में अधिकृत और अनधिकृत कॉलोनियों में अवैध निर्माण को संरक्षण देने वाले राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली कानून (विशेष प्रविधान) को तीन साल के लिए विस्तार देने के लिए बिल को लोकसभा में पेश हो गया है बिल में इस कानून की कटआफ डेट बढ़ाने पर कोई प्रस्ताव नहीं है जिससे पिछले आठ-नौ साल में हुए अवैध निर्माण पर कार्रवाई की तलवार लटकी हुई है।

By Nihal SinghEdited By: Shyamji TiwariUpdated: Thu, 14 Dec 2023 09:06 PM (IST)
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दिल्ली में एक लाख संपत्तियों पर लटकी कार्रवाई की तलवार

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली में अधिकृत और अनधिकृत कॉलोनियों में अवैध निर्माण को संरक्षण देने वाले राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली कानून (विशेष प्रविधान) को तीन साल के लिए विस्तार देने के लिए बिल को लोकसभा में पेश हो गया है, लेकिन दिल्ली के अनधिकृत निर्माण और उससे होने वाली परेशानी को समझने वाले लोग इससे संतुष्ठ नहीं है।

अवैध निर्माण पर लटकी कार्रवाई की तलवार

साथ ही वह सरकार से इसमें संशोधन करके स्थायी समाधान के लिए बढ़ने की बात कह रहे हैं। उनका कहना है जो प्रावधान इस प्रस्तावित बिल में किए गए हैं, उनमें सुधार किया जाना चाहिए ताकि दिल्ली के नियोजित विकास की ओर बढ़ा जा सके। जानकारों का कहना है कि बिल में इस कानून की कटआफ डेट बढ़ाने पर कोई प्रस्ताव नहीं है, जिससे पिछले आठ-नौ साल में हुए अवैध निर्माण पर कार्रवाई की तलवार लटकी हुई है।

ऐसी संपत्तियां एक दो नहीं, बल्कि एक लाख से ज्यादा हैं। दिल्ली नगर निगम में निर्माण समिति के पूर्व अध्यक्ष जगदीश ममगांई कहते हैं कि दिल्ली में नियमित इलाके में अवैध निर्माण को संरक्षण देने की कटआफ डेट 2007 हैं, जबकि अनधिकृत कॉलोनियों और ग्रामीण आदि क्षेत्रों में अवैध निर्माण को संरक्षण देने की कटआफ डेट 2014 हैं। लोकसभा में जो एक्ट की समय-सीमा बढ़ाने का प्रस्ताव दिया किया गया है वह तो करना ही पड़ेगा जब तक की इसका स्थायी समाधान नहीं निकल जाता है।

ऐसे में जब तक यह स्थायी समाधान नहीं निकल रहा है, कम से कम लोगों का शोषण रोका जा सकता है। उन्होंने बताया कि दिल्ली में हर माह करीब आठ से नौ हजार संपत्तियां अवैध निर्माण के लिए बुक होती हैं। अब क्या होता है कि इन कॉलोनियों पर कोई हथोड़ा न चले तो सरकार बार-बार तीन साल के लिए इस बिल को बढ़ा देती है, लेकिन 2014 की जो कटआफ हैं वह नहीं बढ़ाई गई है।

ऐसे में दिल्ली में जिन कॉलोनियों को इस बिल से संरक्षित दिया गया है, उसमें एक लाख से अधिक संपत्तियों जो कागज में सीधे तौर पर अवैध हैं उनको कोई संरक्षण नहीं मिला है। अब समस्या यह आती है कि इन्हें तोड़ा तो नहीं जा सकता है, लेकिन इसके पीछे चाहे निगम के अधिकारी हो या फिर इलाके में अवैध निर्माण के नाम पर ब्लैकमेलिंग करने वाले लोग इसका फायदा उठाते हैं। इससे लोगों को शोषण होता है। इसलिए सरकार को चाहिए कि कम से कम इसकी समय-सीमा 2023 करें और फिर सख्ती से इस पर पालन किया जाए कि अवैध निर्माण न हो।

स्थायी समाधान की ओर नहीं बढ़ रहे कदम

दिल्ली में 2006-07 में दिल्ली में अवैध निर्माण पर तोड़फोड़ और सीलिंग की कार्रवाई हुई थी। इसे देखते हुए तत्कालीन केंद्र की कांग्रेस सरकार ने इस अवैध निर्माण को संरक्षण देने के लिए राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली कानून (विशेष प्रविधान) को लाया गया था। साथ ही सुप्रीम कोर्ट को बताया गया था कि सरकार एक वर्ष के भीतर इसका स्थायी समाधान निकाल लेगी, लेकिन इसका स्थायी समाधान अभी तक नहीं निकाला जा सका है।

बार-बार इस एक्ट को बढ़ाया गया, लेकिन अभी तक स्थायी समाधान नहीं निकला है। सरकार ने दिल्ली की अनधिकृत कॉलोनियों को मालिकाना हक देने के लिए पीएम उदय योजना जरुर शुरू की थी और 55 लाख लोगों को लाभान्वित होने की बात कही थी पर आलम यह है कि 20 हजार लोगों ने इसका लाभ लिया है।

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