RML में निजी लैब संचालकों के एजेंटों से मिलने पर होगी कार्रवाई, अस्पताल प्रशासन ने जारी किया आदेश
अस्पताल प्रशासन द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि अस्पताल में निजी डायग्नोस्टिक लैब व दवा कंपनियों के एजेंट सक्रिय रहते हैं। दवा कंपनियों के प्रतिनिधि डॉक्टरों से मिलकर कंपनी की दवा लिखने के लिए प्रेरित करते हैं। वहीं डायग्नोस्टिक लैब के एजेंसी मरीजों को आसानी से जांच कराने और जल्दी जांच रिपोर्ट उपलब्ध कराने का आश्वासन देकर कई मरीजों को बाहर ले जाते हैं।
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। राजधानी के ज्यादातर बड़े सरकारी अस्पतालों में निजी डायग्नोस्टिक लैब संचालकों के एजेंट सक्रिय हैं। आरएमएल अस्पताल इससे अछूता नहीं है। इसके मद्देनजर आरएमएल अस्पताल प्रशासन ने पांच जुलाई को एक आदेश जारी कर अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टरों व पैरामेडिकल कर्मचारियों को निजी डायग्नोस्टिक लैब व दवा कंपनियों के एजेंटों से नहीं मिलने का सख्त निर्देश दिया है।
साथ ही मरीजों को निजी डायग्नोस्टिक लैब में जांच कराने की सलाह देने और निजी डायग्नोस्टिक लैब के एजेंटों से मिलने पर अस्पताल के रेजिडेंट डाक्टरों व कर्मचारियों को सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी है।
दवा कंपनियां डॉक्टरों से उनकी दवा लिखने के लिए करते हैं प्रेरित
अस्पताल प्रशासन द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि अस्पताल में निजी डायग्नोस्टिक लैब व दवा कंपनियों के एजेंट सक्रिय रहते हैं। दवा कंपनियों के प्रतिनिधि डॉक्टरों से मिलकर कंपनी की दवा लिखने के लिए प्रेरित करते हैं। वहीं डायग्नोस्टिक लैब के एजेंसी मरीजों को आसानी से जांच कराने और जल्दी जांच रिपोर्ट उपलब्ध कराने का आश्वासन देकर कई मरीजों को बाहर ले जाते हैं।
अस्पताल में जांच की अत्याधुनिक सुविधाएं उपलब्ध है और जांच की गुणवत्ता भी बेहतर है। इसलिए अस्पताल की ओपीडी, वार्ड और इमरजेंसी में रेजिडेंट डॉक्टर व कर्मचारी निजी डायग्नोस्टिक लैब के एजेंट से न मिलें। मरीजों को अस्पताल की लैब में जांच कराने के लिए प्रेरित करें। इसके अलावा डॉक्टर दवा कंपनियों के प्रतिनिधियों से भी न मिलें।