दिल्ली यूनिवर्सिटी के शिक्षकों को प्रमोशन मिलने का रास्ता साफ, नए नियमों के तहत पदोन्नति के लिए कर सकेंगे आवेदन
दिल्ली यूनिवर्सिटी के योग्य शिक्षकों को प्रमोशन मिलने का रास्ता साफ हो गया है। दरअसल विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर 2018 अधिनियम में बड़ा बदलाव किया है। इसका लाभ बड़ी संख्या में दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षकों को मिलेगा। नियमों में बदलाव के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय में 3500 से अधिक नियुक्तियां हुई हैं। तदर्थ से नियमित हुए कई शिक्षकों को नए नियमों का लाभ मिलेगा।
उदय जगताप, नई दिल्ली। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर 2018 अधिनियम में बदलाव के बाद बड़ी संख्या में दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षकों की पदोन्नति मिलने का रास्ता साफ हुआ है। जो शिक्षक 2018 अधिनियम के तहत पदोन्नति नहीं ले पा रहे थे वे 2010 के नियमों के तहत पदोन्नति के लिए आवेदन कर सकेंगे।
इसमें ऐसे शिक्षक भी शामिल होंगे, जिनकी पीएचडी 2021 के बाद हुई है। यूजीसी के 2010 के नियमों के तहत असिस्टेंट प्रोफेसर से लेवल, 11, 12 और एसोसिएट प्रोफेसर बनने के लिए लेवल 13 में पदोन्नत होने के लिए पीएचडी अनिवार्य नहीं हुआ करती थी। नेट पास करने और पेपरों के प्रकाशन के आधार पर उन्हें पदोन्नति दे दी जाती थी। इसके लिए उनके प्वाइंट टेबल को भी देखा जाता था।
2018 में बदला गया था नियम
2018 में नियम को बदल दिया गया और एसोसिएट प्रोफेसर बनने के लिए पीएचडी को अनिवार्य कर दिया। इसमें 2021 तक की छूट दी गई, यानी 2021 तक पदोन्नति के लिए शिक्षक 2010 के नियमों के तहत आवेदन कर सकते थे। लेकिन, 2022 में यह योग्यता समाप्त कर दी गई।
इसके बाद पदोन्नति के लिए योग्य होते हुए भी कई शिक्षक आवेदन नहीं कर सके। क्योंकि उनकी पीएचडी पूरी नहीं हुई थी। बाद में पीएचडी पूरी होने के बाद कई शिक्षकों ने 2022 के बाद आवेदन किए, उन्हें पदोन्नति तो मिल गई, लेकिन एक से दो वर्ष के बढ़े हुए वेतन और भत्तों का लाभ लेने से वह वंचित हो गए।
दिसंबर 2024 तक दी गई छूट
अब यूजीसी ने शिक्षकों की मांग के बाद दोबारा दिसंबर 2024 तक की छूट उन्हें दे दी है। यानी जिन्होंने पदोन्नति ले ली है, वह अपनी योग्यता के दिन से दोबारा आवेदन कर सकते हैं। इससे उन्हें बढ़े वेतन का एरियर और अन्य लाभ मिल सकेंगे। उनके करियर के लिए अच्छा होगा। इसके बाद डीयू की ओर से अधिसूचना जारी कर यूजीसी के 2018 अधिनियमों के तीसरे और चौथे संशोधन के बारे में जानकारी दी गई है।
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