Delhi Excise Policy: डिप्टी सीएम के घर CBI छापे के बाद दर्ज हुई FIR, सिसोदिया ही बनाए गए आरोपित नंबर-1, ED भी करेगी जांच
Excise Policy दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने पिछले महीने आबकारी नीति 2021-22 को लागू करने में कथित अनियमितताओं की सीबीआई जांच की सिफारिश की थी उसके बाद यह योजना जांच के दायरे में आई थी।उन्होंने इस मामले में 11 आबकारी अधिकारियों को निलंबित भी कर दिया था।
By Vinay Kumar TiwariEdited By: Updated: Fri, 19 Aug 2022 05:27 PM (IST)
नई दिल्ली, एजेंसी। Excise Policy: दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और अन्य पर सीबीआई की छापेमारी के बाद अब ED(प्रवर्तन निदेशालय, ईडी) आप सरकार की आबकारी नीति बनाने और उसे लागू करने को लेकर मनी लांड्रिंग के तहत जांच शुरु कर सकती है। सीबीआई ने जो एफआइआर दर्ज की है उसमें सबसे पहला आरोपित मनीष सिसोदिया को ही बनाया गया है। सीबीआई ने आबकारी घोटाले पर अपनी प्राथमिकी में दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया सहित 15 अन्य आरोपियों को सूचीबद्ध किया है। नीचे पोस्ट की गई लिस्ट में उनके नाम देखे जा सकते हैं।
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई CBI) ने शुक्रवार को दिल्ली सरकार के आईएएस अधिकारी और दिल्ली के पूर्व आबकारी आयुक्त आर गोपी कृष्णा और सात राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 19 अन्य स्थानों पर छापेमारी की। पिछले साल नवंबर में लाई गई दिल्ली आबकारी नीति का निर्माण और क्रियान्वयन किया गया था। दिल्ली सरकार ने जुलाई में इस पॉलिसी को खत्म कर दिया था। मालूम हो कि दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने पिछले महीने आबकारी नीति 2021-22 को लागू करने में कथित अनियमितताओं की सीबीआई जांच की सिफारिश की थी, उसके बाद यह योजना जांच के दायरे में आई थी।
(नोट-सीबीआइ की एफआइआर में इन लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।)उन्होंने इस मामले में 11 आबकारी अधिकारियों को निलंबित भी कर दिया था। मनीष सिसोदिया ने भी नीति में कथित अनियमितताओं की सीबीआई जांच की मांग की थी। अधिकारियों ने कहा कि सीबीआई जांच की सिफारिश जुलाई में दायर दिल्ली के मुख्य सचिव की रिपोर्ट के आधार पर की गई थी, जिसमें जीएनसीटीडी अधिनियम 1991, व्यापार नियमों का लेनदेन (टीओबीआर)-1993, दिल्ली उत्पाद शुल्क अधिनियम-2009 और दिल्ली उत्पाद शुल्क नियम-2010 का प्रथम दृष्टया उल्लंघन दिखाया गया था।
सूत्रों ने कहा कि ED(ईडी) अपनी जांच के दौरान इस बात का विश्लेषण करेगा कि क्या नीति निर्माण और संबंधित संस्थाओं में शामिल व्यक्तियों और कंपनियों ने "मनी लांड्रिंग(पीएमएलए की परिभाषा के तहत अपराध की आय)" और क्या अवैध या बेनामी संपत्ति का कोई संभावित निर्माण किया था। एजेंसी के पास ऐसी संपत्तियों को कुर्क करने और मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध में लिप्त लोगों से पूछताछ करने, गिरफ्तार करने और मुकदमा चलाने का अधिकार है।
अधिकारियों के अनुसार, मुख्य सचिव की रिपोर्ट में नीति के माध्यम से "शराब लाइसेंसधारियों को अनुचित लाभ" प्रदान करने के लिए "जानबूझकर चूक" सहित प्रथम दृष्टया उल्लंघन दिखाया गया था। आरोप है कि टेंडर दिए जाने के बाद शराब लाइसेंसधारियों को अनुचित वित्तीय लाभ दिया गया, जिससे सरकारी खजाने को नुकसान हुआ।सूत्रों ने दावा किया कि आबकारी विभाग ने कोविड -19 के बहाने लाइसेंसधारियों को टेंडर लाइसेंस शुल्क पर 144.36 करोड़ रुपये की छूट दी। उन्होंने कहा कि इसने हवाईअड्डा क्षेत्र के लाइसेंस के लिए सबसे कम बोली लगाने वाले को 30 करोड़ रुपये की बयाना राशि वापस कर दी, जबकि वह हवाईअड्डा अधिकारियों से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) प्राप्त करने में विफल रही।
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