Delhi MCD Result: मेयर के लिए विपक्ष ने कराया नामांकन तो बिगड़ेगा AAP का गेम प्लान, महिला बनेंगी महापौर
MCD Election Results दिल्ली नगर निगम चुनाव के नतीजे आ गए हैं। अब सदन की जो भी पहली बैठक होगी उसी में महापौर व उपमहापौर का चुनाव कराया जाएगा। सबसे पहले कोई महिला ही महापौर बनेंगी। विपक्ष ने नामांकन कराया तो आम आदमी पार्टी का गेम प्लान बिगड़ सकता है।
By Jagran NewsEdited By: Abhishek TiwariUpdated: Thu, 08 Dec 2022 07:11 AM (IST)
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। एमसीडी चुनाव (MCD Election Results 2022) के नतीजे आ गए हैं। अब सदन की जो भी पहली बैठक होगी, उसी में महापौर व उपमहापौर का चुनाव कराया जाएगा। पहली महापौर महिला पार्षद चुनकर आईं सदस्यों में से ही होगा, क्योंकि हर साल महापौर व उपमहापौर पद पर चुनाव का यह प्रविधान निगम के एक्ट में ही है। इसमें पहले वर्ष महिला पार्षद को यह अवसर मिलता है, जबकि तीसरे वर्ष में अनुसूचित जाति से चुनकर आए पार्षद के लिए यह पद आरक्षित होता है।
इन्हें भी होता है वोटिंग का अधिकार
अब देखना होगा कि बहुमत लेकर आई आम आदमी पार्टी (आप) के सामने कोई विपक्षी प्रत्याशी नामांकन करता है या नहीं। अगर, विपक्ष से किसी का नामांकन हुआ तो स्पष्ट बहुमत के बावजूद आप का गेम प्लान गड़बड़ा सकता है और महापौर पद जीतने का उसका सपना खटाई में पड़ सकता है।दरअसल, निगम में महापौर सीधे तौर पर पार्षद ही चुनते हैं, लेकिन सदन के सदस्य लोकसभा के सांसद के साथ राज्यसभा के सदस्य और दिल्ली विधानसभा के 13 सदस्य होते हैं। इन्हें भी महापौर व उपमहापौर पद पर वोटिंग का अधिकार होता है। ऐसे में कई बार इन समीकरणों से स्पष्ट बहुमत होने के बावजूद राजनीतिक दलों के समीकरण बिगड़ जाते हैं। वर्ष 2014-15 में भाजपा उपमहापौर पद हार चुकी है।
अब आगे यह होगा
दिल्ली नगर निगम राज्य चुनाव आयोग जीते हुए सदस्यों की अधिसूचना जारी कर निगम को भेजेगा। इसके बाद इस अधिसूचना के आधार पर निगम सदन बुलाने की अनुमति उपराज्यपाल से मांगेगा जिसमें सदन बुलाने की तिथि से लेकर नव निर्वाचित सदस्यों के शपथ ग्रहण के लिए पीठासीन अधिकारी नियुक्त करते हैं। यह पीठासीन अधिकारी अधिकांशत: चुने गए सदस्यों में से वरिष्ठ सदस्य होता है।
लागू नहीं होता है दलबदल कानून
दिल्ली नगर निगम में दलबदल कानून लागू नहीं होता है। ऐसे में किसी भी दल का सदस्य किसी भी पार्टी के महापौर या अन्य पद के प्रत्याशी को वोट कर सकता है। चूंकि व्हिप जारी करने की भी व्यवस्था निगम में लागू नहीं होती है, ऐसे में पार्षद की सदस्यता पर भी कोई असर नहीं पड़ता है।जल्द नियुक्त होंगे मनोनीत सदस्य
अब 10 मनोनीत सदस्यों के मनोनयन की प्रक्रिया पूरी होगी। वैसे तो यह अधिकार हमेशा से उपराज्यपाल (एलजी) के पास ही रहा है, लेकिन चूंकि दिल्ली नगर निगम एक्ट में सरकार का अर्थ केंद्र और राज्य सरकार दोनों था, तो इन मनोनीत सदस्यों का मनोनयन राज्य सरकार के सुझाव पर किया जाता था।
अब चूंकि सरकार का अर्थ केंद्र सरकार हो गया है, तो इसलिए संभव है कि एलजी राज्य सरकार से सुझाव न लें और स्वयं सदस्यों को मनोनीत कर दें। 25 वर्ष से अधिक आयु के विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों को मनोनीत किया जाता है। इन्हें एल्डरमैन के नाम से जाना जाता है जिन्हें सदन की कार्रवाई में वोटिंग का अधिकार तो नहीं है, लेकिन वार्ड समितियों में चेयरमैन और डिप्टी चेयरमैन के चुनाव में ये हिस्सा लेते हैं।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।