9 समन को नजरअंदाज करना पड़ा भारी, ED के बाद CBI की गिरफ्त में फंसे केजरीवाल; समझें क्या है पूरा मामला
केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने बुधवार यानी 26 जून को आबकारी नीति मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री Arvind Kejriwal को औपचारिक रूप से गिरफ्तार कर लिया। आज तिहाड़ जेल अधिकारियों ने आबकारी घोटाले के मामले में केजरीवाल को दिल्ली की अदालत में पेश किया। जहां सीबीआई ने गिरफ्तारी के बाद पूछताछ के लिए उनकी हिरासत मांगी है। इससे पहले 21 मार्च को ED ने दिल्ली सीएम को अरेस्ट किया था।
विनीत त्रिपाठी, जागरण नई। दिल्ली आबकारी नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में तिहाड़ जेल से बाहर आने के हर संभव प्रयास के बीच बुधवार को सीबीआई द्वारा गिरफ्तार किए गए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें और बढ़ती नजर आ रही हैं।
नियमित जमानत पर बाहर आने की उम्मीद लगा रहे केजरीवाल के विरुद्ध सीबीआई द्वारा मामले में जांच तेज करने और रिमांड पर लेकर पूछताछ करने की प्रक्रिया से उन्हें झटका लगा सकता है।
लंबी हो सकती है केजरीवाल की लड़ाई
इसकी सबसे बड़ी वजह यही है कि भ्रष्टाचार व मनी लॉन्ड्रिंग मामले में फरवरी 2023 से तिहाड़ जेल में बंद दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिकाएं निचली अदालत से लेकर शीर्ष अदालत से एक नहीं दो बार खारिज हो चुकी है। ऐसे में आम आदमी पार्टी संरक्षक व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जेल से बाहर आने की लड़ाई और लंबी हो सकती है।कानूनी जानकारों की माने तो आबकारी घोटाला में आरोपित मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने खुद के लिए मुश्किल तब बढ़ा ली थी जब उन्होंने मनी लॉन्ड्रिंग में पूछताछ के लिए अक्टूबर 2023 से फरवरी 2024 के बीच उन्हें एक के बाद एक ईडी द्वारा भेजे गए समन को नजरअंदाज किया। केजरीवाल ने सभी समन को गैरकानूनी बताते हुए जांच में शामिल होने से इनकार किया।
100 करोड़ के मामले में कैसे फंसी के. कविता?
इसी बीच ईडी ने 15 मार्च को बीआरएस नेता के. कविता की गिरफ्तारी को हैदराबाद से गिरफ्तार किया और आरोप लगाया कि कविता ने आप नेताओं को 100 करोड़ रुपये देने में शामिल थी। ईडी का आरोप है कि केजरीवाल इस पूरी साजिश में न सिर्फ सीधे तौर पर जुड़े थे, बल्कि सीधे तौर पर नीति निर्माण और अपराध से हुई आय के प्रबंधन में भी शामिल थे।हवाला के जरिये 45 करोड़ रुपये गोवा भेजे गए
नई आबकारी नीति मामले में दक्षिण समूह के शराब कारोबारियों को फायदा पहुंचाने के बदले रिश्वत मांगी गई और ऐसा न करने पर नियम बदलने की बात कही गई।जांच में सामने आया है कि हवाला के जरिये 45 करोड़ रुपये गोवा भेजे गए थे। ईडी का यह भी आरोप है कि केजरीवाल व्यक्तिगत तौर पर जिम्मेदार होने के साथ ही पार्टी के संरक्षक होने के नाते भी पीएमएलए के उल्लंघन के लिए जिम्मेदार हैं।
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