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Chhath Puja: नहाय-खाय के बाद खरना की तैयारी में जुटे श्रद्धालु, व्रतियों ने छठ महापर्व को लेकर की तैयारी

Chhath Puja Vidhi दीवाली और भैयादूज के बाद अब छठ पर्व को लेकर लोगों में उत्साह देखते ही बन रहा है। आज नहाय-खाय के साथ ही व्रतियों ने छठ महापर्व की तैयारियां शुरू की। सुबह-सुबह महिलाओं ने स्नान करने के बाद भगवान की पूजा-अर्चना की। बाद में भोजन ग्रहण किया। छठ का दूसरा दिन खरना माना जाता है। जिसमें व्रती गुड़ व चावल की विशेष खीर बनाती हैं।

By Gautam Kumar Mishra Edited By: Monu Kumar Jha Updated: Tue, 05 Nov 2024 05:10 PM (IST)
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Chhath Kharna Parsad: खरना की तैयारी में जुटे व्रती। फाइल फोटो
जागरण संवाददाता, पश्चिमी दिल्ली। दीवाली व भैयादूज के बाद अब छठ पर्व को लेकर इलाके में उत्साह देखा जा रहा है। मंगलवार को नहाय खाय के साथ ही व्रतियों ने छठ महापर्व को लेकर अपने-अपने घरों में तैयारी शुरू कर दी है। सुबह-सुबह महिलाओं ने स्नान ध्यान कर भोजन ग्रहण किया।

इस दिन का खाना भी विशिष्ट होता है। इसमें महिलाओं ने चावल, चने की दाल व लौकी की सब्जी ग्रहण की। इसके बाद महिलाएं खरना की तैयारी में जुट गई हैं। बुधवार को खरना है और इस दिन व्रती गुड़ व चावल की विशेष खीर बनातीं है। व्रती के खाने के बाद इसे लोगों में प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है।

इलाके में है उल्लास का माहौल

जनकपुरी, पालम, डाबड़ी, विकासपुरी, द्वारका, नजफगढ़ सहित कई अन्य इलाकों में छठ पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। नहाय खाय के बाद हर जगह उल्लास का माहौल है। कई लोगों के घर पर छठ मइया के गीत माहौल को भक्तिमय कर रहे हैं।

नहाय-खाय के दिन छत पर गेहूं सुखाती महिलाएं। फोटो जागरण

उत्तम नगर निवासी शारदा ने बताया कि नहाय-खाय के लिए पहले ही खरीदारी कर ली गई थी। सुबह उठने के बाद विधि विधान से भोजन बनाया गया। नहाय खाय के बाद महिलाओं ने गेहूं को भिंगोकर सुखाया।

छठ कार्यक्रम

6 नवंबर : खरना

सुबह स्नान कर सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। शाम को गुड़ की खीर और रोटी बनाई जाएगी। विशेष बात यह है कि खाते वक्त बिल्कुल भी नहीं बोलते हैं। दोबारा खाना नहीं मांगते हैं।

छठ ऐसा त्योहार है जो अनुशासित रहने की सीख देने के साथ साथ प्रकृति के प्रति सम्मान का भाव सिखाता है। आडंबर से दूर इस त्योहार में अनुशासन का कड़ा महत्व है। यह कष्ट के समय धैर्य धारण करने की भी सीख देता है।

रुबी

7 नवंबर : संध्या अर्घ्य

पूजा करने वाले लोग पूरे दिन निर्जला व्रत रखेंगे। शाम को विधि विधान से छठी मैया की पूजा कर डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देंगे। इस दौरान छठ घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ होगी।

8 नवंबर : प्रात: कालीन अर्घ्य

छठ महापर्व का व्रत रखने वाले श्रद्धालु सुबह छठ घाटों से उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देंगे। जिन लोगों ने व्रत नहीं रखा है वे भी उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देंगे।

नहाय खाय के साथ शुरु हुआ यह त्योहार अब सुबह वाले अर्घ्य के दिन तक चलेगा। इन चार दिनों में सभी लोग पूरे अनुशासन का पालन करते हैं। पूरी तरह प्रकृति से जुड़े इस महापर्व में आत्मानुशासन, धैर्य व भक्ति तीनों की प्रधानता है।

ललिता

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