Amit Shah Fake Video Case: तेलंगाना कांग्रेस मुख्यालय पहुंची दिल्ली पुलिस, पूछताछ के लिए नहीं पहुंचे थे CM रेवंत रेड्डी
स्पेशल सेल की इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक आपरेशंस (आइएफएसओ) ने तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी समेत तेलंगाना कांग्रेस के प्रदेश सचिव शिवा शंकर पार्टी प्रवक्ता अस्मा तस्लीम इंटरनेट मीडिया प्रभारी माने सतीश व इंटरनेट मीडिया संयोजक नवीन को 28 अप्रैल को नोटिस भेजकर उन्हें एक मई की सुबह 10.30 बजे आइएफएसओ के द्वारका स्थित मुख्यालय में उपस्थित होने को कहा था।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के फेक वीडियो इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित होने के मामले में दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल की आइएफएसओ की टीम जांच करने तेलंगाना कांग्रेस मुख्यालय पहुंची। लेकिन वहां उन्हें कोई नहीं मिला।
स्पेशल सेल की इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक आपरेशंस (आइएफएसओ) ने तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी समेत तेलंगाना कांग्रेस के प्रदेश सचिव शिवा शंकर, पार्टी प्रवक्ता अस्मा तस्लीम, इंटरनेट मीडिया प्रभारी माने सतीश व इंटरनेट मीडिया संयोजक नवीन को 28 अप्रैल को नोटिस भेजकर उन्हें एक मई की सुबह 10.30 बजे आइएफएसओ के द्वारका स्थित मुख्यालय में उपस्थित होने को कहा था।
सभी को अपना गैजेट भी लाने को कहा गया
सभी को अपना-अपना इलेक्ट्रॉनिक गजट जैसे मोबाइल अथवा लैपटॉप लेकर आने को कहा गया था, जिसके जरिये उन्होंने एक्स पर फेक वीडियाे पोस्ट किया था। लेकिन बुधवार को जांच में शामिल होने कोई भी दिल्ली नहीं आए।नोटिस के जवाब में मुख्यमंत्री समेत पार्टी से जुड़े चार अन्य सदस्यों ने पुलिस को पत्र भेजकर जांच में शामिल होने के लिए 15 दिनों की मोहलत मांगी लेकिन पुलिस में कोई मोहलत नहीं दी है। दिल्ली नहीं आने पर पुलिस मुख्यमंत्री को छोड़कर अन्य चारों सदस्यों से पूछताछ करने तेलंगाना पहुंची।
दिल्ली पुलिस ने भेजा था नोटिस
फेक वीडियाे मामले में पुलिस अब तक आठ राज्यों के 16 लोगों को पूछताछ में शामिल होने के लिए नाेटिस भेज चुकी है। 29 अप्रैल को आईएसएसओ ने तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी समेत तेलंगाना कांग्रेस के प्रदेश सचिव शिवा शंकर, पार्टी प्रवक्ता अस्मा तस्लीम, इंटरनेट मीडिया प्रभारी माने सतीश व इंटरनेट मीडिया कन्वेनर नवीन को पूछताछ में शामिल होने के लिए नोटिस दिया था। मुख्यमंत्री को हैदराबाद स्थित उनके कर्मचारी व चार अन्य को व्यक्तिगत तौर पर नोटिस सौंपा था।वायरल वीडियो में आरक्षण के खिलाफ थी बयानबाजी
तीसरे चरण के चुनाव के पहले फेक वीडियो के माध्यम से भाजपा को एससी, एसटी और ओबीसी आरक्षण का विरोधी साबित करने की कोशिश की गई। फेक वीडियो में शाह को आरक्षण को असंवैधानिक बताते हुए उसे खत्म करने का ऐलान करते हुए दिखाया गया था। जबकि असली वीडियो में शाह एसटी, एससी और ओबीसी आरक्षण को बनाए रखने की बात कहते हैं।इंटरनेट मीडिया पर शाह के फेक वीडियो प्रसारित होने का संज्ञान में आने के बाद गृह मंत्रालय ने 28 अप्रैल को आइएफएसओ को फेक वीडियो मामले में शिकायत दी थी जिसके बाद पुलिस तुरंत कार्रवाई में जुट गई।
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