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Ahoi Ashtami 2022: अहोई अष्टमी कब है 2023 में, जानिये व्रत कथा और पूजा के शुभ मुहूर्त के बारे में

Ahoi Ashtami 2023 सोमवार सुबह से ही दिल्ली-एनसीआर की लाखों महिलाओं ने अहोई अष्टमी का व्रत रखा। इस बार अहोई अष्टमी पर पूजा की कुल अवधि 1 घंटा 14 मिनट रही। सोमवार शाम को महिलाओं ने तारों और चंद्रमा को अर्घ्य देकर अपना व्रत खोला।

By Jp YadavEdited By: Updated: Mon, 17 Oct 2022 02:10 PM (IST)
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लाखों महिलाओं ने अहोई का व्रत रखा है। फोटो प्रतीकात्मक
नई दिल्ली/नोएडा/गुरुग्राम/सोनीपत, जागरण डिजिटल डेस्क। दिल्ली-एनसीआर समेत उत्तर भारत के कई राज्यों में सोमवार को लाखों महिलाओं ने अहोई का व्रत रखा। इस दौरान उन्होंने अपनी संतान के सुख और तरक्की के लिए अहोई माता से प्रार्थना भी की। हिंदू पंचांग के अनुसार, सोमवार सुबह कार्तिक कृष्ण अष्टमी पर 9 बजकर 29 मिनट से अहोई का व्रत रखा गया और शाम को खत्म हुआ। यह भी बता दें कि अगले साल अहोई अष्टमी 5 नवंबर 2023 को है। 

शुभ मुहूर्त पर की पूजा

अहोई अष्टमी पर पूजा का शुभ मुहूर्त सोमवार को शाम 6 बजकर 14 मिनट से लेकर शाम 7 बजकर 28 मिनट तक रहा। इस लिहाज से अहोई अष्टमी पर पूजा की कुल अवधि 1 घंटा 14 मिनट की रही। पूजा के दौरान अहोई माता से संतान के सुख और तरक्की के लिए आराधना भी की जाती है। 

दिनभर कुछ नहीं खाती महिलाएं

बता दें कि इस वर्ष अहोई अष्टमी व्रत सोमवार को शिवयोग में किया गया। यह व्रत माताएं अपनी संतान के स्वास्थ्य, विद्या, बुद्धि, बल व दीर्घायु के लिए करती हैं। इस दिन महिलाएं पूरे दिन निराहार व्रत रहीं। इसके बाद शाम को तारे निकलने के बाद दीवार पर अहोई का चित्र बनाकर या अहोई अष्टमी पूजन के कैलेंडर से अहोई माता की पूजा की। इस व्रत में महिलाओं ने तारों और चंद्रमा को अर्घ्य देकर अपना व्रत खोला। देश में यह व्रत करवाचौथ से चौथे दिन मनाया जाता है।

पुत्रवती महिलाओं के लिए मना है चाकू से फल काटना

गाजियाबाद के नामी ज्योतिषाचार्य शिव कुमार शर्मा ने बताया कि ऐसा माना जाता है कि इस दिन पुत्रवती महिलाओं को सब्जी अथवा फल चाकू से नहीं काटने चाहिए। शाम को गेरू व खड़िया से दीवार पर अहोई माता का चित्र बनाएं अथवा कैलेंडर चिपकाएं।

महिलाएं सुनें व्रत की कथा

व्रत कथा सुनते समय एक पटरे पर जल से भरा लोटा रखें। अहोई के चित्र के सामने रोली, चावल, धूप ,दीप, दूध, भात आदि पूजन सामग्री से पूजा करें। बायना पूजकर महिलाएं अपनी सासू मां, जेठानी या अन्य किसी बुजुर्ग महिला को दे दें।

तारों के दर्शन के साथ व्रत खत्म

पुजारियों की नानें तो महिलाओं को पूजा के बाद पहनी हुई चांदी की अहोई की माला दिवाली बाद ही उतारनी चाहिए। व्रत के दौरान शाम को कुछ महिलाएं तारा देख कर व्रत खोलती हैं और कोई चंद्रमा उदय के समय व्रत खोलती हैं। पुजारियों का कहना है कि सोमवार को चंद्रमा का उदय रात्रि 23:27 बजे हुआ और तारे के दर्शन शाम को 6:15 बजे से हुए। 

अहोई अष्टमी से माना जाती है दिवाली की शुरुआत

हिंदू मान्यता के अनुसार, अहोई अष्टमी के दिन से ही दिवाली त्योहार की शुरुआत मानी जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, अहोई अष्टमी का व्रत करने से अहोई माता खुश होकर बच्चों की सलामती का आशीर्वाद देती हैं। अहोई अष्टमी कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी यानी दिवाली से सिर्फ 7 दिन पहले मनाई जाती है।

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