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गर्भवती महिलाओं की प्रसवपूर्व जांच और देखभाल में मददगार 'स्वस्थ गर्भ' एप, AIIMS और IIT रुड़की ने किया तैयार

एम्स दिल्ली ने आईआईटी रुड़की के साथ मिलकर स्वस्थ गर्भ ऐप तैयार किया है। एम्स में इसके शुरुआती ट्रायल के परिणाम उत्साहवर्धक रहे हैं। इस ट्रायल में पाया गया कि इस ऐप का सहारा लेने वाली गर्भवती महिलाओं ने समय पर अपनी नियमित प्रसव पूर्व जांच कराई। गर्भावस्था के दौरान मेडिकल इमरजेंसी की स्थिति में एप के माध्यम से डॉक्टर से तुरंत संपर्क किया जा सकेगा।

By Ranbijay Kumar Singh Edited By: Sonu SumanUpdated: Fri, 19 Jan 2024 08:40 PM (IST)
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गर्भवती महिलाओं की प्रसवपूर्व जांच और देखभाल में मददगार 'स्वस्थ गर्भ' एप।
रणविजय सिंह, नई दिल्ली। एम्स दिल्ली ने आईआईटी रुड़की के साथ मिलकर 'स्वस्थ गर्भ' ऐप तैयार किया है। एम्स में इसके शुरुआती ट्रायल के परिणाम उत्साहवर्धक रहे हैं। इस ट्रायल में पाया गया कि इस ऐप का सहारा लेने वाली गर्भवती महिलाओं ने समय पर अपनी नियमित प्रसव पूर्व जांच कराई।

गर्भावस्था के दौरान मेडिकल इमरजेंसी की स्थिति में एप के माध्यम से डॉक्टर से तुरंत संपर्क किया जा सकेगा। इसलिए गर्भवती महिलाओं को ऐप की मदद से घर बैठे चिकित्सकीय सहायता भी मिल सकेगी। इसलिए यह मोबाइल ऐप गर्भवती महिलाओं की प्रसव पूर्व जांच व देखभाल में मददगार साबित होगा।

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विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान आठ बार प्रसवपूर्व जांच करानी चाहिए। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे पांच के अनुसार देश में 41.9 प्रतिशत गर्भवती महिलाएं कम से कम चार बार भी प्रसव पूर्व जांच नहीं करा पाती हैं। दूर दराज के इलाकों व ग्रामीण क्षेत्रों में यह समस्या अधिक है।

ऐप को बनाने में आईआईटी रुड़की की भूमिका

एम्स के गायनी विभाग की प्रोफेसर डॉ. वत्सला डडवाल ने बताया स्मार्ट फोन का इस्तेमाल गांवों में भी सभी हर घर में होने लगा है। इसलिए गर्भवती महिलाओं को बेहतर प्रसव पूर्व देखभाल और पोषण की जानकारी उपलब्ध कराने के लिए यह ऐप तैयार किया गया है। इसे विकसित करने में आईआईटी रुड़की के सहायक प्रोफेसर डॉ. दीपक शर्मा ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

मरीज का रिकार्ड रहता है गोपनीय

इस ऐप को डॉक्टर और मरीज (गर्भवती) अपने मोबाइल पर डाउनलोड कर सकते हैं। मरीज का रिकार्ड गोपनीय रहता है। एम्स में 150 गर्भवती महिलाओं को दो वर्गों में बांट का इसका ट्रायल हुआ। एक वर्ग की गर्भवती महिलाओं की प्रसव पूर्व देखभाल में एप का सहारा लिया गया। दूसरे वर्ग की गर्भवती महिलाओं ने इए एप का इस्तेमाल नहीं किया। ट्रायल में पाया गया कि एप की मदद लेने वाली गर्भवती महिलाओं ने सात बार प्रसव पूर्व जांच कराई। जबकि दूसरे वर्ग की महिलाओं 5.7 बार ही प्रसवपूर्व जांच कराई।

अध्ययन 600 गर्भवती महिलाओं पर होगा

ऐप का इस्तेमाल करने वाली गर्भवती महिलाओं का ब्लड प्रेशर, व हीमोग्लोबिन का स्तर भी ज्यादा बेहतर रहा। अभी एम्स दिल्ली और एम्स ऋषिकेश में बड़े स्तर पर इसका ट्रायल चल रहा है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान संस्थान (आइसीएमआर) ने इसके लिए फंड जारी किया है। यह अध्ययन 600 गर्भवती महिलाओं को दो वर्गों में बांट कर किया जाएगा।

नोटिफिकेशन भेजकर करता है प्रेरित

उन्होंने बताया कि ऐप पर मरीज की मेडिकल हिस्ट्री का पूरा डाटा अपलोड रहता है। इसलिए प्रसवपूर्व जांच के निर्धारित समय पर ऐप नोटिफिकेशन भेजकर गर्भवती महिलाओं को अस्पताल जाने के लिए प्रेरित करता है।गर्भावस्था में ब्लड प्रेशर व कई अन्य तरह की शारीरिक परेशानियां भी होती है। इस तरह की आपात स्थिति में भी अस्पताल जाने की जरूरत पड़ती है। घर के नजदीक अस्पताल न हो तो तुरंत इलाज मिलना मुश्किल होता है। ऐसी स्थिति में महिलाएं बीपी चार्ट और मेडिकल रिकार्ड तुरंत ऐप के माध्यम से भेज सकती हैं।

कम्युनिटी में भी इसका ट्रायल किया जा सकता

डॉक्टर को ऐप के माध्यम से अलर्ट मिल जाता है, जिसे देखकर डॉक्टर तुरंत दवा लेने की सलाह दे सकते हैं। इससे बेवजह मरीज को अस्पताल जाने से छुटकारा मिलेगा। जरूरत महसूस होने पर डाक्टर मरीज को अस्पताल बुला भी सकते हैं। बड़े अस्पतालों के बाद कम्युनिटी में भी इसका ट्रायल किया जा सकता है और इसका आसान वर्जन तैयार कर आशा वर्करों को भी इस्तेमाल के लिए दिया जा सकता है।

एप में मरीज के लिए सुविधा

1. क्लीनिकल पैरामीटर का डाटा एप में दर्ज करना

2. दर्ज डाटा का सहज ग्राफिक्स मौजूद

3. एप से मैसेज भेजने की सुविधा

4. प्रसव पूर्व जांच का रिमाइंडर

5. समय पर दवा लेने का रिमाइंडर

6. नजदीकी अस्पताल की जानकारी

7. इमरजेंसी में स्वत: नोटिफिकेशन

8. मेडिकल रिपोर्ट अपलोड करने की सुविधा

डाक्टर के लिए एप पर मौजूद सुविधा

1. डाक्टर के पास पंजीकृत सभी मरीजों के डाटा का ग्राफिक्स मौजूद

2. सभी पंजीकृत मरीजों की मेडिकल हिस्ट्री उपलब्ध

3. आटोमेटिक नोटिफिकेशन

4. मरीज का सत्यापन

5. मरीज द्वारा अपलोड की गई रिपोर्ट देखने की सुविधा

6. मरीज को दवा देने और चिकित्सकीय परामर्श

7. प्रसव पूर्व जांच सिड्यूल की जानकारी

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