गर्भवती महिलाओं की प्रसवपूर्व जांच और देखभाल में मददगार 'स्वस्थ गर्भ' एप, AIIMS और IIT रुड़की ने किया तैयार
एम्स दिल्ली ने आईआईटी रुड़की के साथ मिलकर स्वस्थ गर्भ ऐप तैयार किया है। एम्स में इसके शुरुआती ट्रायल के परिणाम उत्साहवर्धक रहे हैं। इस ट्रायल में पाया गया कि इस ऐप का सहारा लेने वाली गर्भवती महिलाओं ने समय पर अपनी नियमित प्रसव पूर्व जांच कराई। गर्भावस्था के दौरान मेडिकल इमरजेंसी की स्थिति में एप के माध्यम से डॉक्टर से तुरंत संपर्क किया जा सकेगा।
रणविजय सिंह, नई दिल्ली। एम्स दिल्ली ने आईआईटी रुड़की के साथ मिलकर 'स्वस्थ गर्भ' ऐप तैयार किया है। एम्स में इसके शुरुआती ट्रायल के परिणाम उत्साहवर्धक रहे हैं। इस ट्रायल में पाया गया कि इस ऐप का सहारा लेने वाली गर्भवती महिलाओं ने समय पर अपनी नियमित प्रसव पूर्व जांच कराई।
गर्भावस्था के दौरान मेडिकल इमरजेंसी की स्थिति में एप के माध्यम से डॉक्टर से तुरंत संपर्क किया जा सकेगा। इसलिए गर्भवती महिलाओं को ऐप की मदद से घर बैठे चिकित्सकीय सहायता भी मिल सकेगी। इसलिए यह मोबाइल ऐप गर्भवती महिलाओं की प्रसव पूर्व जांच व देखभाल में मददगार साबित होगा।
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विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान आठ बार प्रसवपूर्व जांच करानी चाहिए। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे पांच के अनुसार देश में 41.9 प्रतिशत गर्भवती महिलाएं कम से कम चार बार भी प्रसव पूर्व जांच नहीं करा पाती हैं। दूर दराज के इलाकों व ग्रामीण क्षेत्रों में यह समस्या अधिक है।
ऐप को बनाने में आईआईटी रुड़की की भूमिका
एम्स के गायनी विभाग की प्रोफेसर डॉ. वत्सला डडवाल ने बताया स्मार्ट फोन का इस्तेमाल गांवों में भी सभी हर घर में होने लगा है। इसलिए गर्भवती महिलाओं को बेहतर प्रसव पूर्व देखभाल और पोषण की जानकारी उपलब्ध कराने के लिए यह ऐप तैयार किया गया है। इसे विकसित करने में आईआईटी रुड़की के सहायक प्रोफेसर डॉ. दीपक शर्मा ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।मरीज का रिकार्ड रहता है गोपनीय
इस ऐप को डॉक्टर और मरीज (गर्भवती) अपने मोबाइल पर डाउनलोड कर सकते हैं। मरीज का रिकार्ड गोपनीय रहता है। एम्स में 150 गर्भवती महिलाओं को दो वर्गों में बांट का इसका ट्रायल हुआ। एक वर्ग की गर्भवती महिलाओं की प्रसव पूर्व देखभाल में एप का सहारा लिया गया। दूसरे वर्ग की गर्भवती महिलाओं ने इए एप का इस्तेमाल नहीं किया। ट्रायल में पाया गया कि एप की मदद लेने वाली गर्भवती महिलाओं ने सात बार प्रसव पूर्व जांच कराई। जबकि दूसरे वर्ग की महिलाओं 5.7 बार ही प्रसवपूर्व जांच कराई।
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