Move to Jagran APP

Doctors Strike: 'काम पर वापस लौट आइए, मरीज हो रहे परेशान...', AIIMS ने डॉक्टरों से की हड़ताल खत्म करने की अपील

कोलकाता में जूनियर महिला रेजिडेंट डॉक्टर से दुष्कर्म और फिर हत्या के मामले को लेकर दिल्ली में डॉक्टरों की हड़ताल बुधवार को भी जारी है। इससे दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिए पहुंच रहे मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इसे देखते हुए एम्स ने डॉक्टरों से ड्यूटी पर वापस लौटने की अपील की है।

By Agency Edited By: Abhishek Tiwari Updated: Wed, 21 Aug 2024 03:41 PM (IST)
Hero Image
Doctors Strike: कोलकाता की घटना को लेकर दिल्ली में हड़ताल पर डॉक्टर। फोटो- जागरण
एएनआई, नई दिल्ली। एम्स प्रशासन ने रेजिडेंट डॉक्टरों से हड़ताल समाप्त कर काम पर लौटने की अपील की है। एम्स के स्वास्थ्य कर्मियों की समस्याओं के समाधान के लिए डीन (अकादमी) की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय समिति का गठन किया गया है। कोलकाता में महिला डॉक्टर के साथ दुष्कर्म व हत्या के विरोध में एम्स सहित दिल्ली के सभी अस्पतालों के रेजिडेंट डॉक्टर पिछले 10 दिनों से हड़ताल पर हैं।

सरकार से अध्यादेश लाने की मांग 

मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय टास्क फोर्स गठित करने के आदेश के बाद भी रेजिडेंट डॉक्टरों ने ह़ड़ताल समाप्त नहीं की। ऑल इंडिया रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (एफएआइएमए) ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का स्वागत किया है, लेकिन डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए अलग कानून बनाने की मांग को लेकर वह हड़ताल जारी रखने की घोषणा की है। उन्होंने इसे लेकर सरकार से अध्यादेश लाने की मांग की है।

काम पर लौटें डॉक्टर

एम्स प्रशासन बुधवार को पत्र जारी कर कहा, "एम्स परिवार देशभर के सभी स्वास्थ्य पेशवरों की सुरक्षा का पक्षधर है। वह उनके साथ खड़ा है। डॉक्टर के तौर पर उनका कर्तव्य है कि कोई भी मरीज बिना उपचार के वापस नहीं लौटे। भारत सरकार भी स्वास्थ्य पेशेवरों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे लेकर सकारात्मक निर्देश दिया है। इसे ध्यान में रखकर सभी रेजिडेंट डॉक्टरों को काम पर लौटना चाहिए, जिससे कि मरीजों की परेशानी दूर हो सके।"

साथ ही डॉक्टरों व अन्य स्वास्थ्य कर्मियों के तत्कालीन चिंता के समाधान के लिए एक कमेटी गठित की है। डीन (अकादमी) की अगुवाई वाली समिति में डीन (अनुसंधान), डीन (परीक्षा), चिकित्सा अधीक्षक (एच) और मुख्य सुरक्षा अधिकारी इसके सदस्य हैं। इससे पहले एम्स प्रशासन ने आंतरिक सुरक्षा ऑडिट करने का निर्णय लिया है।

डॉक्टरों, स्वास्थ्य कर्मियों, मरीजों और उनके तीमारदारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बायोफिजिक्स की प्रोफेसर पुनीत कौर की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई है।

इसमें प्रोफेसर प्रताप शरण (मनोचिकित्सा विभाग), प्रोफेसर संजय राय (अधीक्षक छात्रावास), प्रोफेसर सुषमा सागर (ट्रामा सर्जरी विभाग), प्रोफेसर गिरिराज रथ (रजिस्ट्रार), कर्नल दिग्विजय सिंह (मुख्य सुरक्षा अधिकारी), दीपक भुटाले (अधीक्षण अभियंता) इसके सदस्य हैं। समिति में रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन के प्रतिनिधि को भी शामिल किया गया है।

इस वजह‌ से बुधवार को भी डॉक्टरों की हड़ताल जारी है। फेडरेशन आफ ऑल इंडिया रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (एफएआइएमए) ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है, लेकिन ड्यूटी पर वापस लौटने की अपील को मानने से इनकार कर दिया। एसोसिएशन का कहना है कि उनकी मांग डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए अलग कानून बनाने व अध्यादेश लाने की है। अभी यह मांग पूरी नहीं हुई है।

सरकारी अस्पतालों में नहीं सुधरे हालात

कोलकाता में जूनियर महिला रेजिडेंट डॉक्टर से दुष्कर्म और फिर हत्या के मामले के बाद भी सरकारी अस्पतालों में हालात सुधरने के नाम नहीं ले रहे हैं। सोमवार रात एलएन और जीबी पंत अस्पताल में पड़ताल की गई, तो देखा गया कि रात में महिला डॉक्टर इमरजेंसी में अपनी सेवाएं दे रही थीं। सुरक्षा में तैनात कर्मी बस नाम के लिए बैठे थे। लोग बिना रोकटोक और बिना जांच के अस्पताल में दाखिल हो रहे थे।

रात में महिला चिकित्सक दे रहीं सेवाएं

एलएन अस्पताल में सोमवार रात करीब नौ बजे तीन दो महिला चिकित्सक और एक नर्स सेवा दे रही थीं। इस दौरान इमरजेंसी में मरीजों की भीड़ लगी हुई थी। इमरजेंसी के गेट पर दो गार्ड मौजूद थे, जो इक्का-दुक्का मरीजों व उनके परिजनों से पूछताछ के बाद अंदर जाने की इजाजत दे रहे थे।

देशभर में चल रहे हंगामे के बाद भी अस्पताल में रात के समय महिला चिकित्सकों व नर्सों की ड्यूटी लगाई जा रही है। वहीं जीबी पंत अस्पताल की इमरजेंसी में भी रात करीब साढ़े नौ बजे तीन महिला चिकित्सक अपनी सेवाएं दे रही थीं। यहां गेट पर बैठे सुरक्षाकर्मी अनजान लोगों को अंदर जाने से रोकते दिखाई दिए।

हॉस्टल के गेट पर नहीं दिखे सुरक्षाकर्मी

एलएन अस्पताल के महिला हास्टल में सैकड़ों की संख्या में चिकित्सक, स्वास्थ्यकर्मी व नर्स रहती हैं। सोमवार देर शाम इस हॉस्टल के गेट पर कोई सुरक्षाकर्मी तैनात नहीं था। जबकि यहां सबसे अधिक कड़ी सुरक्षा की आवश्यकता रहती है। ऐसे में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर लापरवाही से कोई बड़ा हादसा फिर से घटित हो सकता है।

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।