Delhi AIIMS निदेशक को हॉस्पिटलों के रिफॉर्म की मिली जिम्मेदारी, अस्पतालों में सबकुछ ठीक नहीं-HC ने की टिप्पणी
दिल्ली के अस्पतालों और स्वास्थ्य सुविधाओं पर हाईकोर्ट ने टिप्पणी करते हुए गंभीर सवाल उठाए हैं। कोर्ट ने कहा कि निराशाजनक बनी स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता जिम्मेदारों की उदासीनता का शिकार आम जनता हो रही है। समिति में शामिल रहे चार डॉक्टर डरे होने के साथ खतरा महसूस कर रहे हैं। अदालत ने एम्स के निदेशक को अस्पतालों के रिफॉर्म की जिम्मेदारी सौंपी है।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी के स्वास्थ्य सेवाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने गंभीर सवाल उठाते हुए कहा कि दिल्ली में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता निराशाजनक बनी हुई है और जिम्मेदार लोगों की उदासीनता का आम आदमी अंतिम शिकार है। अदालत ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग में सब कुछ ठीक नहीं है और नौकरशाहों और मंत्री के बीच आम सहमति की कमी चिंता का विषय है।
अदालत ने इसके साथ ही दिल्ली सरकार द्वारा संचालित अस्पतालों की चिकित्सा सेवाओं में सुधार के संबंध में डा. एसके सरीन की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों को लागू करने की जिम्मेदारी एम्स निदेशक को सौंप दी।
माहौल काफी विषाक्त-अदालत
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन व न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की पीठ ने उक्त आदेश डा. सरीन से 26 अगस्त को मिले एक पत्र का संज्ञान लेते हुए दिया। इसमें डा. सरीन ने आग्रह किया था कि समिति को प्रस्तावित सुधारों के कार्यान्वयन की निगरानी से अलग किया जाए।अदालत ने टिप्पणी की कि दिल्ली सरकार के अधीनस्थ अस्पतालों में काम कर रहे समिति में शामिल चार डॉक्टर डरे हुए हैं और खतरा महसूस कर रहे हैं। अदालत ने कहा कि पत्र दर्शाता है कि स्वास्थ्य विभाग में स्थिति ठीक नहीं है। अदालत ने कहा कि माहौल काफी विषाक्त है और दिल्ली सरकार व नौकरशाह खुले तौर पर आरोप लगा रहे हैं।सुनवाई के दौरान अदालत ने इस तथ्य पर भी न्यायिक संज्ञान लिया कि कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कालेज और अस्पताल में डॉक्टर के दुष्कर्म-हत्या में एक पार्टी कार्यकर्ता को आरोपित बनाया गया है। अदालत की राय है कि स्वास्थ्य विभाग बीमारियों और गलत सूचनाओं के बजाय खुद के साथ युद्ध में है।
अदालत ने कहा कि उक्त तथ्यों को देखते हुए एक आम आदमी को पीड़ित नहीं किया जा सकता है। ऐसे में डा. सरीन समिति की रिपोर्ट को सही तरीके से लागू करने के लिए निदेशक एम्स को नियुक्त किया जाता है। साथ ही मुख्य सचिव, वित्त सचिव और प्रमुख सचिव गृह को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि एम्स निदेशक के निर्णयों को लागू किया जाए। अदालत ने उक्त निर्देश सरकारी अस्पतालों में आईसीयू बेड और वेंटिलेटर की कमी से जुड़ी एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया।
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