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सर्विकल कैंसर की जल्द पहचान के लिए स्वदेशी किट का ट्रायल शुरू, फ्रांस से आए 1200 सैंपल

सर्विकल कैंसर की जल्दी पहचान के लिए एचपीवी जांच की स्वदेशी किट का ट्रायल शुरू किया गया है। फ्रांस के लियोन से लाए गए सर्विकल कैंसर के 1200 मरीजों के सैंपल पर एम्स व आईसीएमआर के दो लैब में यह ट्रायल किया जाएगा। सर्विकल कैंसर एचपीवी वायरस के संक्रमण से होता है। स्क्रीनिंग से बीमारी को शुरुआती दौर में पता लगाकर इलाज और इस बीमारी की रोकथाम संभव है।

By Ranbijay Kumar Singh Edited By: Pooja Tripathi Updated: Sat, 13 Apr 2024 01:57 PM (IST)
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सर्विकल कैंसर की जल्द पहचान के लिए स्वदेशी किट का ट्रायल शुरू। जागरण
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। सर्विकल कैंसर की जल्दी पहचान के लिए एचपीवी (ह्यूमन पैपिलोमा वायरस) जांच की स्वदेशी किट का ट्रायल शुरू किया गया है।

फ्रांस के लियोन से लाए गए सर्विकल कैंसर के 1200 मरीजों के सैंपल पर एम्स व भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान संस्थान (आईसीएमआर) के दो लैब में यह ट्रायल किया जाएगा।

इसमें आईसीएमआर के मुंबई स्थित एनआईआरआरसीएच (राष्ट्रीय प्रजनन एवं बाल स्वास्थ्य अनुसंधान संस्थान) व नोएडा स्थित राष्ट्रीय कैंसर रोकथाम एवं अनुसंधान संस्थान (एनआइसीपीआर) के लैब शामिल हैं।

शुक्रवार को एम्स के निदेशक डॉ. एम श्रीनिवास ने इस ट्रायल का शुभारंभ किया। इस ट्रायल में स्वदेशी किट की गुणवत्ता को वैश्विक मानकों की कसौटी पर कसा जाएगा।

एचपीवी रहा जांच रही सफल तो..

यदि परिणाम वैश्विक स्तर पर इस्तेमाल होने वाली एचपीवी जांच के अनुरूप आया तो एचपीवी जांच की स्वदेशी तकनीक सर्विकल कैंसर की स्क्रीनिंग के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम में शामिल हो सकती है। क्योंकि यह स्वदेशी किट सस्ती होगी।

एम्स के गायनी विभाग की पूर्व विभागाध्यक्ष और इस ट्रायल में अहम भूमिका निभाने वाली डॉ. नीरजा भाटला ने बताया कि दुनिया भर में हर वर्ष सर्विकल कैंसर से करीब छह लाख 63 हजार महिलाएं पीड़ित होती हैं और करीब तीन लाख 48 हजार महिलाओं की मौत हो जाती है।

देश में हर वर्ष सर्विकल कैंसर से करीब सवा लाख महिलाएं पीड़ित होती हैं और इस बीमारी के कारण करीब 80 हजार महिलाओं की मौत हो जाती है। इसका कारण यह है कि महिलाएं एडवांस स्टेज में इलाज के लिए पहुंचती हैं।

स्क्रीनिंग से बीमारी को शुरुआती दौर में पता लगाकर इलाज संभव

सर्विकल कैंसर एचपीवी वायरस के संक्रमण से होता है। स्क्रीनिंग से बीमारी को शुरुआती दौर में पता लगाकर इलाज और इस बीमारी की रोकथाम संभव है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार यदि 35 से 45 वर्ष की उम्र की 70 प्रतिशत महिलाओं को दो बार एचपीवी जांच हो और पाजिटिव पाई गईं 90 प्रतिशत महिलाओं का इलाज हो तो सर्विकल कैंसर की रोकथाम की जा सकती है। लेकिन विदेश में निर्मित एचपीवी जांच किट की कीमत 1500-2000 रुपये है। इसलिए यह जांच महंगी है।

लिहाजा कैंसर स्क्रीनिंग कार्यक्रम में वीआईए (विजुअल इंस्पेक्शन विद एसिटिक एसिड) तकनीक को शामिल किया गया है। इसकी तुलना में एचपीवी जांच सर्विकल कैंसर की स्क्रीनिंग में ज्यादा असरदार है।

फ्रांस से मंगाए गए सैंपल

उन्होंने बताया कि हाल के समय में कुछ स्वदेशी किट विकसित हुई हैं, उसकी गुणवत्ता को सत्यापित करने के लिए केंद्र सरकार बायोटेक्नोलाजी विभाग के जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (बाईरैक) की मदद से यह ट्रायल शुरू किया गया है।

डब्ल्यूएचओ के फ्रांस में स्थित आईएआरसी (इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फार रिसर्च आन कैंसर) के बायो बैंक से सैंपल मंगाए गए हैं। एम्स व आइसीएमआर के तीनों लैब में सैंपल की जांच कर तुलनात्मक अध्ययन किया जाएगा। तीन माह में ट्रायल पूरा हो जाएगा और छह माह में इसकी रिपोर्ट आ जाएगी।

एनआइसीपीआर की निदेशक डॉ. शालिनी सिंह ने कहा कि सर्विकल कैंसर के मरीजों का सैंपल लेकर इस तरह का ट्रायल करने में तीन से चार वर्ष समय लगता है।

कम समय में पूरा हो सकेगा ट्रायल

ट्रायल में बायो बैंक के सैंपल इस्तेमाल करने से काफी कम समय में ट्रायल पूरा हो सकेगा। उन्होंने कहा कि एचपीवी पाजिटिव हर महिला सर्विकल कैंसर से पीड़ित नहीं होती।

लंबे समय तक निरंतर संक्रमण बने रहने से यह कैंसर में तब्दील होता है। इसलिए शुरुआती दौर में जांच होने पर महिलाओं को सर्विकल कैंसर की बीमारी से बचाया जा सकता है।

एम्स के कैंसर सेंटर की प्रमुख डॉ. सुषमा भटनागर ने इसे सर्विकल कैंसर की रोकथाम की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया।

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