नौ माह बाद बुलाई गई डीपीसीसी बोर्ड की बैठक महज खानापूर्ति में सिमटी, एजेंडे से हवा-पानी का मुद्दा रहा गायब
प्रदूषण निकाय की बैठक के एजेंडे में हवा एवं पानी का ही मुद्दा नहीं था। 40 पृष्ठों के एजेंडे में केवल पिछली बैठक में लिए गए निर्णयों की एक्शन टेकन रिपोर्ट (एटीआर) थी। नोटिस पर नियमानुसार सदस्य सचिव के हस्ताक्षर होने चाहिए लेकिन नोटिस आरडीपीसी सेल की ओर से जारी किया गया था। इसके बाद एजेंडे पर चर्चा शुरू हुई तो पता चला कि एक भी नया प्रस्ताव नहीं है।
By sanjeev GuptaEdited By: Abhishek TiwariUpdated: Wed, 18 Oct 2023 07:50 AM (IST)
संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) की नौ माह बाद बुलाई गई बोर्ड बैठक खानापूर्ति तक सिमटकर रह गई। प्रदूषण निकाय की बैठक के एजेंडे में हवा एवं पानी का ही मुद्दा नहीं था। 40 पृष्ठों के एजेंडे में केवल पिछली बैठक में लिए गए निर्णयों की एक्शन टेकन रिपोर्ट (एटीआर) थी।
इस समय दिल्ली में वायु प्रदूषण और यमुना में झाग सियासी संग्राम का विषय बने हैं, लेकिन बैठक में इन पर चर्चा तक नहीं हुई। इस मामले में डीपीसीसी के पदाधिकारियों का पक्ष लेने के लिए संपर्क किया गया, लेकिन उपलब्ध नहीं हो सका।
मंगलवार को दिल्ली सचिवालय के द्वितीय तल स्थित कांफ्रेंस रूम में सुबह 11:30 बजे बुलाई गई बैठक देरी से दोपहर 12 बजे शुरू हुई एवं दो बजे खत्म हो गई। 15 में चार से पांच सदस्य आ नहीं सके। सबसे पहले यही मुद्दा उठा कि बैठक को संवैधानिक तरीके से क्यों नहीं बुलाया गया।
नहीं था एक भी नया प्रस्ताव
नोटिस पर नियमानुसार सदस्य सचिव के हस्ताक्षर होने चाहिए, लेकिन नोटिस आरडीपीसी सेल की ओर से जारी किया गया था। इसके बाद एजेंडे पर चर्चा शुरू हुई तो पता चला कि एक भी नया प्रस्ताव नहीं है।
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इस पर कई सदस्यों ने एतराज जताया कि डीपीसीसी की बैठक में हवा-पानी पर तो चर्चा होनी ही चाहिए वरना इसका कोई मतलब नहीं है। इसके अलावा बिना पढ़े वर्ष 2016-17, 2017- 18 और 2018-19 की ऑडिट रिपोर्ट को भी सदस्यों ने स्वीकृति देने से इन्कार कर दिया।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।इस पर कई सदस्यों ने एतराज जताया कि डीपीसीसी की बैठक में हवा-पानी पर तो चर्चा होनी ही चाहिए वरना इसका कोई मतलब नहीं है। इसके अलावा बिना पढ़े वर्ष 2016-17, 2017- 18 और 2018-19 की ऑडिट रिपोर्ट को भी सदस्यों ने स्वीकृति देने से इन्कार कर दिया।
मिनट्स के प्रमुख बिंदु
- डीपीसीसी को मजबूत करने के लिए अतिरिक्त 212 पदों का सृजन
- वरिष्ठ विधि अधिकारी के पद का सृजन
- पैनलबद्ध प्रयोगशालाओं की संख्या बढ़ाना
- डीपीसीसी कर्मचारियों के लिए चिकित्सा सुविधाओं का विस्तार
- जल प्रदूषण की रोकथाम और निगरानी के लिए ऑनलाइन मानीटरिंग सिस्टम की स्थापना
- अतिरिक्त कामन बायोमेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट सुविधा विकसित करना
- यमुना में गिरने वाले नालों,औद्योगिक प्रदूषण की निगरानी के लिए अलग-अलग लोकेशन पर ऑनलाइन मानीटरिंग सिस्टम लगाना
- डीपीसीसी कर्मचारियों के लिए जीपीएफ-कम-पेंशन स्कीम और न्यू पेंशन स्कीम का लाभ
- डीपीसीसी के कार्यालय की कश्मीरी गेट से डीएमआरसी, शास्त्री आइटी पार्क में शिफ्टिंग
- प्रशिक्षुओं का कार्यकाल विस्तार
- प्रशिक्षुओं,शोधार्थियों का भत्ता बढ़ाना
- आरके पुरम, पंजाबी बाग, मंदिर मार्ग और आनंद विहार में लगे वायु गुणवत्ता निगरानी सिस्टम के संचालन और रखरखाव के लिए अनुबंध का तीन वर्ष के लिए नवीनीकरण
- डीपीसीसी लेबोरेट्री का सीपीसीबी मानकों के अनुरूप उन्नयन
- सीएसआइआर-नेशनल फिजिकल लेबोरेट्री की ओर से ध्वनि प्रदूषण कार्यशाला के प्रस्ताव पर विचार
- त्यागराज स्टेडियम में गत वर्ष लगाए गए तीन दिवसीय प्लास्टिक विकल्प मेले से जुड़े खर्च का भुगतान
- दिल्ली में कामन इफ्यूलेंट ट्रीटमेंट प्लांट (सीईटीपी) के लिए मानकों का निर्धारण
- सोने की गुणवत्ता परख या हालमार्क सेंटरों को अनुमति देना
- वर्ष 2019-20 के लिए डीपीसीसी की सालाना रिपोर्ट पेश करना
- 10 जनवरी को हुई बोर्ड बैठक में लिए निर्णयों के मिनट्स को स्वीकृति
डीपीसीसी की बैठक में जो भी आपत्तिजनक था, उस पर विरोध दर्ज कराया गया। बैठक बुलाने का तरीका और हवा-पानी के मुद्दे एजेंडे में न रखना गैर वाजिब था। ऑडिट रिपोर्ट को बिना पढ़े पास नहीं किया जा सकता है। चेयरमैन अश्विनी कुमार ने भी हमारी आपत्तियों को सही बताया और अगली बार से इन सभी में सुधार का आश्वासन दिलाया।
-डॉ. अनिल गुप्ता, सदस्य, डीपीसीसी