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Air Pollution: तो इस वजह से गैस चैंबर बनी दिल्ली, पराली नहीं ये है हवा के काला होने की वजह

दिल्ली इस साल भी गैस चैंबर बनी और लगातार माह भर तक साफ हवा को तरसी। सियासी स्तर पर भले इसके लिए पराली के धुएं को जिम्मेदार बताया जा रहा हो लेकिन सच यह नहीं है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने खुद माना है कि मौजूदा साल में ही नहीं बल्कि पिछले दो साल में भी सच्चाई इससे इतर नहीं थी।

By Santosh Kumar SinghEdited By: GeetarjunUpdated: Mon, 04 Dec 2023 11:36 PM (IST)
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तो इस वजह से गैस चैंबर बनी दिल्ली, पराली नहीं ये है हवा के काला होने की वजह।
संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। दिल्ली इस साल भी गैस चैंबर बनी और लगातार माह भर तक साफ हवा को तरसी। सियासी स्तर पर भले इसके लिए पराली के धुएं को जिम्मेदार बताया जा रहा हो, लेकिन सच यह नहीं है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने खुद माना है कि मौजूदा साल में ही नहीं बल्कि पिछले दो साल में भी सच्चाई इससे इतर नहीं थी। खबर लिखे जाने तक इस पर दिल्ली सरकार की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई थी।

आरटीआई कार्यकर्ता अमित गुप्ता द्वारा लगाई गई एक आरटीआई के जवाब में सीपीसीबी ने 2023, 2022 और 2021 तीनों साल की हकीकत बयां की है। सीपीसीबी के मुताबिक इस साल 22 अक्टूबर से 29 नवंबर तक सर्वाधिक खराब वायु गुणवत्ता वाली अवधि में दिल्ली के पीएम 2.5 में पराली के धुएं की औसत हिस्सेदारी सिर्फ 14 प्रतिशत थी।

कितनी रही पराली के धुएं की हिस्सेदारी

आईआईटीएम पुणे के डिसीजन सपोर्ट सिस्टम (डीएसएस) के हवाले से सीपीसीबी ने बताया है कि इसी अवधि के दौरान 2022 में पराली के धुएं की औसत हिस्सेदारी 11 जबकि 2021 में 15 प्रतिशत थी। मतलब, 2022 की तुलना में इस साल दिल्ली के प्रदूषण में पराली के धुएं की हिस्सेदारी तीन प्रतिशत बढ़ी है तो 2021 के मुकाबले एक प्रतिशत कम हुई है। आरटीआई जवाब के अनुसार दिल्ली में प्रदूषण की मुख्य वजह स्थानीय कारक ही हैं, पराली का धुआं नहीं।

प्रदूषण करने वाले कारकों को रोकने की जरूरत

सीपीसीबी के वायु गुणवत्ता निगरानी शाखा के प्रमुख पंकज अग्रवाल की ओर से आरटीआई का यह जवाब भी तीन दिन पूर्व एक दिसंबर को ही दिया गया है। सीपीसीबी की पूर्व अपर निदेशक डॉ. एसके त्यागी बताते हैं कि दिल्ली को अपना प्रदूषण कम करने के लिए आरोप प्रत्यारोप नहीं बल्कि स्थानीय कारकों की रोकथाम पर अधिक गंभीरता से काम करना चाहिए। अभी भी दिल्ली में वाहनों का धुआं और धूल प्रदूषण चुनौती बना हुआ है। और भी अनेक कारक हैं, जिन पर सख्ती से कार्रवाई करने की जरूरत है।

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