Move to Jagran APP

Delhi Air Pollution: दिल्ली-एनसीआर में 10 वर्ष तक उम्र घटा रहा प्रदूषण, शिकागो यूनिवर्सिटी ने किया खुलासा

Delhi Air Pollution उत्तर भारत में रहने वालों की उम्र सात वर्ष छह महीने तक कम हो रही है। दिल्ली-एनसीआर की स्थिति सबसे बददर है। शिकागो यूनिवर्सिटी की एक रिपोर्ट एयर क्वालिटी लाइफ इंडेक्स 2022 ने यह स्थिति बयां की है।

By sanjeev GuptaEdited By: JP YadavPublished: Mon, 31 Oct 2022 04:51 AM (IST)Updated: Mon, 31 Oct 2022 10:40 AM (IST)
दिल्ली-एनसीआर में जानलेवा साबित हो रहा है वायु प्रदूषण। फाइल फोटो

नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। Delhi Air Pollution: वायु प्रदूषण अब नासूर बन गया है। यह सिर्फ सर्दियों की नहीं बल्कि वर्ष भर रहने वाली समस्या बन गया है। सबसे बुरी स्थिति दिल्ली-एनसीआर की ही है। शिकागो यूनिवर्सिटी द्वारा तैयार रिपोर्ट एयर क्वालिटी लाइफ इंडेक्स- 2022 इस संबंध में भयावह तस्वीर प्रस्तुत करती है। इसके मुताबिक भारत दुनिया के दूसरे सर्वाधिक प्रदूषित देशों में से एक है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि तय मानकों से ज्यादा प्रदूषण का स्तर लोगों की उम्र पर कितना असर डाल रहा है।

दिल्ली एनसीआर का हाल, सबसे बेहाल

इस रिपोर्ट के मुताबिक प्रदूषण की वजह से दिल्ली- एनसीआर में रहने वाले लोगों की उम्र औसतन 10 वर्ष घट रही है जबकि उत्तर भारत में रहने वालों की उम्र सात वर्ष छह महीने तक घट रही है। अगर पूरे भारत की बात करें तो प्रदूषण की वजह से लोगों की औसत उम्र में कम से कम पांच वर्ष की कमी आई है। इसका मतलब यह है कि अगर आप सामान्य परिस्थितियों में 70 वर्ष जीते हैं तो दिल्ली में रहने वाला व्यक्ति केवल प्रदूषण की वजह से 60 वर्ष तक ही जी पाएगा, जबकि भारत के दूसरे हिस्से में रहने वाला व्यक्ति 70 वर्ष जीने की जगह 65 वर्ष तक ही जी सकेगा।

भारत में कहीं नहीं है स्वच्छ हवा

रिपोर्ट के मुताबिक, पूरे भारत में एक भी जगह ऐसी नहीं है जो विश्व स्वास्थ्य संगठन के स्वच्छ हवा के मानकों पर खरी उतरती हो। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक पीएम 2.5 का स्तर पांच माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से कम होना चाहिए जबकि भारत में 63 प्रतिशत आबादी ऐसी जगह पर रहती है जो भारत के खुद के बनाए हुए मानक 40 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से भी ज्यादा प्रदूषण को झेल रही है और इसीलिए इस आबादी पर सबसे ज्यादा खतरा है।

धूम्रपान, कुपोषण और एड्स से भी खतरनाक प्रदूषण

भारत में इस वक्त प्रदूषण को ही जान के लिए सबसे बड़ा खतरा माना गया है। इस रिपोर्ट में किए गए आकलन के मुताबिक प्रदूषण जहां औसतन किसी की उम्र पांच वर्ष घटाता है वहीं, भारत में कुपोषण की वजह से उम्र लगभग एक वर्ष आठ महीने घटती है। यदि कोई व्यक्ति धूम्रपान करता है तो उसकी औसत उम्र डेढ़ वर्ष कम हो जाती है। शराब के सेवन से होने वाले नुकसान के मुकाबले प्रदूषण भारत में तीन गुना ज्यादा नुकसान पहुंचाता है। एड्स के मुकाबले यह नुकसान छह गुना ज्यादा है।

आतंकवाद और दंगों से ज्यादा मौत प्रदूषण से

इस रिपोर्ट में एक और चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। वह यह कि आतंकवाद और दंगों में जितने लोग मारे जाते हैं, उससे 89 गुना ज्यादा लोग केवल वायु प्रदूषण की वजह से मारे जा रहे हैं। 1998 के बाद से अब तक भारत में वार्षिक पीएम 2.5 का स्तर 61.4 प्रतिशत बढ़ गया है। इसी वजह से लोगों की उम्र तेजी से घट रही है। 2013 के बाद से दुनिया में जितना भी प्रदूषण हुआ है उसमें 44 प्रतिशत योगदान भारत का है। भारत की 40 प्रतिशत आबादी जो उत्तर भारत में रहती है वह प्रदूषण की वजह से अपनी उम्र के 7:30 वर्ष गंवा रही है। लखनऊ का उदाहरण देते हुए रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि अगर भारत में प्रदूषण का स्तर ऐसा ही रहा तो लखनऊ का निवासी अपनी औसत उम्र के साढ़े नौ साल गंवा बैठेगा।

दूसरे नंबर पर बिहार

शिकागो यूनिवर्सिटी की इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि अगर आबादी के लिहाज से देखा जाए तो दिल्ली एनसीआर में रहने वाले हर व्यक्ति का प्रदूषण से किस प्रकार सामना होता है। दिल्ली में पीएम 2.5 का स्तर प्रति व्यक्ति 197.6 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर है। दूसरा नंबर उत्तर प्रदेश का है , जहां पीएम 2.5 का स्तर प्रति व्यक्ति लगभग 88.3 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर है। तीसरा नंबर बिहार का है जहां पीएम 2.5 का स्तर प्रति व्यक्ति लगभग 86 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर है। चौथे नंबर पर हरियाणा में प्रदूषण 80.8 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर है। पश्चिम बंगाल में यह स्तर 66.4 और पंजाब में 65.7 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर है।

Delhi Pollution: दमघोंटू हुई दिल्ली-NCR की हवा, सर्वे रिपोर्ट में 27 प्रतिशत लोग घर छोड़ने के लिए तैयार

दिल्‍ली-एनसीआर में छाया स्मॉग, लोगों ने की आंखों में जलन की शिकायत; एक्सपर्ट बोले- अभी बंद कर दें मॉर्निंग वॉक


This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.