दिल्ली में अक्टूबर 2020 से एक फरवरी 2021 के बीच वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ा
अक्टूबर से एक फरवरी तक वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ा है जबकि स्माग के दिन कम हुए हैं। इस बीच सूक्ष्म धूल कण पीएम 2.5 के स्तर में वृद्धि हुई है। सीएसई की कार्यकारी निदेशक अनुमिता राय चौधरी का कहना है कि यह चिंताजनक स्थिति है।
By JP YadavEdited By: Updated: Thu, 04 Mar 2021 12:05 PM (IST)
नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। सेंटर फार साइंस एंड एन्वायरनमेंट (सीएसई) ने राजधानी दिल्ली में सर्दियों के मौसम में प्रदूषण के स्तर का अध्ययन किया है। इसमें निष्कर्ष निकाला है कि अक्टूबर से एक फरवरी तक वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ा है, जबकि स्माग के दिन कम हुए हैं। इस बीच सूक्ष्म धूल कण पीएम 2.5 के स्तर में वृद्धि हुई है। सीएसई की कार्यकारी निदेशक अनुमिता राय चौधरी का कहना है कि यह चिंताजनक स्थिति है। दिल्ली में धूल व औद्योगिक इकाइयों से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए बेहतर प्रबंधन करना जरूरी है। इस बार सर्दियों में राजधानी दिल्ली में जहांगीरपुरी को प्रदूषण का हॉट स्पाट पाया गया, जहां वायु प्रदूषण में सबसे ज्यादा वृद्धि दर्ज की गई।
इस अध्ययन के मुताबिक दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर लंबे समय तक खराब श्रेणी में बना रहा। राजधानी में प्रदूषण मापने के विभिन्न स्टेशनों में प्रदूषण स्तर में काफी अंतर पाया गया। इस भिन्नता का कारण स्थानीय कारकों को बताया गया है। सीएसई के अनुसार इस बार सर्दी में स्माग दो बार पाया गया, जो पिछले साल की तुलना में कम रहा। पहली बार तीन नवंबर से स्माग शुरू हुआ व लगातार एक सप्ताह तक छाया रहा। दूसरी बार 22 दिसंबर से शुरू हुआ और तीन दिनों तक रहा। इसकी तुलना में वर्ष 2018-19 में स्माग चार बार दस दिनों तक, दो बार छह दिनों तक और एक बार तीन दिनों तक रहा था। वायु प्रदूषण मापने के अलग-अलग स्टेशनों में प्रदूषण में कमी व बढोतरी दर्ज की गई, लेकिन समान पैटर्न नहीं पाया गया।
शादीपुर स्टेशन पर प्रदूषण के स्तर में 34 फीसद सुधार दर्ज हुआ लेकिन पास के ही पूसा स्टेशन में 13 फीसद वृद्धि दर्ज की गई। द्वारका, वजीरपुर व शादीपुर में प्रदूषण के स्तर में सुधार पाया गया। पटपड़गंज, विवेक विहार एवं आरके पुरम में प्रदूषण स्तर में बढोतरी दर्ज की गई।
सीएसई ने सर्दियों से संबंधित प्रदूषण को लेकर पाया कि स्थानीय कारकों का असर सबसे अधिक है, जिससे राजधानी में वायु प्रदूषण बढ़ रहा है, लेकिन औद्योगिक क्षेत्रों में साफ ईंधन के प्रयोग, कोयला आधारित बिजली प्लांट बंद होने, राजधानी में ट्रकों के प्रवेश बंद होने से व परिवहन में सीएनजी का प्रयोग होने से प्रदूषण कम हुआ है।
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