Air Pollution: दिल्ली में गहराते जा रहा सांसों का संकट, बचाव के लिए डॉक्टरों ने दी एक परिवार, एक गाड़ी की सलाह
Delhi Air Pollution देश में सांस की बीमारी बढ़ रही है। इसका एक बड़ा कारण प्रदूषण बन रहा है। इंडियन चेस्ट सोसाइटी द्वारा दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में डाक्टरों ने सांस की बढ़ती परेशानी पर चिंता जाहिर की और कहा कि सांसों पर प्रदूषण की मार रोकने के लिए सरकार को एक परिवार एक वाहन या अधिकतम दो वाहन की सख्त नीति बनानी होगी।
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। Delhi Air Pollution: देश में सांस की बीमारी बढ़ रही है। इसका एक बड़ा कारण प्रदूषण बन रहा है। इंडियन चेस्ट सोसाइटी द्वारा दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में डाक्टरों ने सांस की बढ़ती परेशानी पर चिंता जाहिर की और कहा कि सांसों पर प्रदूषण की मार रोकने के लिए सरकार को एक परिवार, एक वाहन या अधिकतम दो वाहन की सख्त नीति बनानी होगी। साथ ही डाक्टरों ने गरीबों को निशुल्क रसोई गैस सिलेंडर देने की उज्ज्वला गैस योजना की सराहना की।
अस्थमा से पीड़ित है करीब 3.5 करोड़ लोग
इंडियन चेस्ट सोसाइटी के निर्वाचित सचिव डॉ. राजा धर ने कहा कि भारत मेंं सीओपीडी (क्रोनिक आब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) के 6.5 करोड़ मरीज हैं, जो यूरोप से करीब दोगुना है। इसके अलावा अस्थमा से करीब 3.5 करोड़ लोग पीड़ित हैं।
इस तरह सीओपीडी और अस्थमा को मिलाकर दस करोड़ लोगों को सांस की पुरानी बीमारी है। दुनिया में अस्थमा से होने वाले 43 प्रतिशत मौतें भारत में होती हैं। इसके अलावा टीबी, निमोनिया सहित कई अन्य फेफड़े की बीमारियां भी बड़ी समस्या हैं।
जनरल मेडिसिन के डाक्टर के पास ओपीडी में दस में से छह मरीज सांस की बीमारियों के साथ पहुंचते हैं। फिर भी अभी इस बात पर चर्चा हो रही है कि यह एमबीबीएस पाठ्यक्रम का हिस्सा होना चाहिए या नहीं। यदि डाक्टरों को पूरी जानकारी नहीं होगी तो वे इलाज कैसे कर पाएंगे।
आयोजन समिति के अध्यक्ष डा. राकेश चावला ने कहा कि धूमपान व गांवों और छोटे शहरों में खाना बनाने के लिए कोयला, उपले, लकड़ी जैसे ईंधन का इस्तेमाल सीओपीडी और अस्थमा जैसी बीमारियों का एक अहम कारण है। इसके अलावा प्रदूषण के कारण बड़ी संख्या में लोग सांस के मरीज हो रहे हैं।
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दिल्ली में प्रदूषण का एक बड़ा कारण सड़कों पर वाहनों का अधिक दबाव है। एक परिवार में कई-कई गाड़ियां हैं। दिल्ली मेंं ऐसे परिवार भी, जिसके हर सदस्य के बाद व्यक्तिगत कार है। इससे सीमित करने की नीति तैयार करनी होगी। साथ ही समाज में कार पूलिंग जैसी व्यवस्था विकसित करनी होगी।
इससे 50 प्रतिशत प्रदूषण कम किया जा सकता है। इसके अलावा धूमपान के कारण होने वाले नुकसान को बड़े स्तर पर प्रचारित करना होगा। सरकार को धूम्रपान और सिगरेट, बीड़ी के उत्पादन पर रोक लगाना चाहिए।
रिपोर्ट इनपुट- रणविजय सिंह