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Air Pollution: स्मॉग टावरों का घुटा दम, महीनों से पड़े हैं बंद; दिल्लीवासी जहरीली हवा में सांस लेने को मजबूर

Delhi Air Pollution दिल्ली की हवा को साफ करने के लिए लगाए गए स्माग टावर खुद ही हांफ गए हैं। आलम यह है कि दोनों टावर लंबे समय से बंद पड़े हैं। एक पर ताला लटका है तो दूसरे की मेंटेनेंस चल रही है। हैरत की बात यह कि राजधानी वासी आज भी प्रदूषित हवा में ही सांस लेने को विवश हैं।

By sanjeev GuptaEdited By: Abhi MalviyaUpdated: Fri, 13 Oct 2023 11:13 PM (IST)
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प्रदूषित हवा को साफ करने वाले यह दोनों ही टावर पड़े बंद, एक पर लटका ताला, दूसरे की हो रही मेंटेनेंस
संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। Delhi Air Pollution: दिल्ली की हवा को साफ करने के लिए लगाए गए स्माग टावर खुद ही हांफ गए हैं। आलम यह है कि दोनों टावर लंबे समय से बंद पड़े हैं। एक पर ताला लटका है तो दूसरे की मेंटेनेंस चल रही है। हैरत की बात यह कि राजधानी वासी आज भी प्रदूषित हवा में ही सांस लेने को विवश हैं।

जानकारी के मुताबिक सितंबर 2020 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अमल करते हुए पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर एक स्माग टावर बाबा खडग सिंह मार्ग पर अगस्त 2021 में लगाया गया तो दूसरा आनंद विहार में सितंबर 2021 में शुरू किया गया। पहला दिल्ली सरकार ने और दूसरा केंद्र सरकार ने स्थापित किया।

रिसर्चर्स ने किया था स्मॉग टावर का अध्ययन

पिछले दो वर्षों में आइआइटी-बाम्बे और आइआइटी-दिल्ली के शोधकर्ताओं की एक टीम ने विशिष्ट क्षेत्रों में स्वच्छ वायु प्रदान करने में इन स्माग टावरों की दक्षता और मुख्य प्रदूषक तत्वों पीएम 2.5 और पीएम 10 का स्तर कम करने में इनके प्रदर्शन का अध्ययन किया है।

अध्ययन के निष्कर्षों से परिचित दिल्ली सरकार के सूत्र बताते हैं कि कनाट प्लेस में स्माग टावर 20 करोड़ रुपये की लागत से स्थापित किया गया था। इसमें 40 पंखे शामिल हैं जो चार मीटर ऊंचे निस्पंदन सिस्टम के जरिये प्रदूषित हवा को खींचकर उसे साफ करके छोड़ते हैं।

बताया जाता है कि 50 मीटर के दायरे में यह टावर हवा को 70 से 80 प्रतिशत, 300 मीटर के दायरे में 15-20 प्रतिशत और 500 मीटर तक 10 से 15 प्रतिशत ही साफ किया जा सकता है। एक किमी से ज्यादा के दायरे में यह बिल्कुल निष्प्रभावी होने लगता है।

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सूत्रों ने स्वीकार किया कि वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए स्माग टावर कोई व्यवहारिक समाधान नहीं है। स्रोत पर प्रदूषकों को कम करना अधिक प्रभावी तरीका है। साथ ही सड़कों, निर्माण- विध्वंस स्थलों और वाहनों से उत्पन्न धूल पर अंकुश लगाया जाना चाहिए।

काउंसिल आन एनर्जी, एन्वायरनमेंट एंड वाटर (सीईईडब्ल्यू) के फेलो और निदेशक (अनुसंधान समन्वय) कार्तिक गणेशन ने कहा कि यह सोचना व्यर्थ है कि कोई हवा को वैक्यूम करके साफ कर सकता है।

सूत्रों ने बताया कि कनाट प्लेस स्थित स्माग टावर का आलम तो यह है कि करीब छह माह से इसके रखरखाव का खर्च भी नहीं दिया जा रहा। 12-13 लोगों का स्टाफ निकाल दिया गया है, बस सिर्फ गार्ड बचा है, जो खुद की नाैकरी को भी असुरक्षित बताता है।

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इस संदर्भ में दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC)

के चेयरमैन अश्विनी कुमार और सदस्य सचिव डा के एस जयचंद्रन से फोन एवं वाटसएप के जरिये उनका पक्ष लेने का प्रयास किया गया, लेकिन जवाब नहीं मिला। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय से भी कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी। दूसरी तरफ सरकारी सूत्रों से एक जानकारी यह अवश्य मिली है कि स्माग टावर के अध्ययन से जुड़ी फाइनल रिपोर्ट अभी आनी है, उसके बाद ही कोई अंतिम निर्णय लिया जा सकेगा।

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