Air Pollution: सावधान रहें, नवजात और गर्भ में पल रहे बच्चों को बीमारियों का घर बना देगा प्रदूषण
क्लाउड नाइन के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. विनय राय ने बताया कि इस साल लैंसेट जर्नल में परिवेशीय वायु प्रदूषण और शिशु स्वास्थ्य पर प्रकाशित समीक्षा रिपोर्ट के मुताबिक गर्भावस्था के दौरान वायु प्रदूषण के प्रभाव से बच्चे का जन्म के समय कम वजन समय से पूर्व जन्म जन्मजात विसंगतियां होने के साथ गर्भ में ही मौत हो सकती है।
By Jagran NewsEdited By: Abhishek TiwariUpdated: Thu, 09 Nov 2023 08:54 AM (IST)
अजय राय, नई दिल्ली। यूं तो वायु प्रदूषण का असर सभी पर पड़ रहा है, लेकिन नवजात या गर्भ में पल रहे बच्चे पर इसका दुष्प्रभाव काफी ज्यादा है। ये शिशुओं के विकास में बाधक होने के साथ उनके शरीर को जन्मजात बीमारियों का घर बना देगा। उनमें मानसिक, शारीरिक कई प्रकार के विकार उत्पन्न हो सकते हैं।
इसके साथ ही जेनेटिक बदलाव और जीवन प्रत्याशा सात से दस साल तक कम हो सकती है। सितंबर के आखिरी सप्ताह से स्वास्थ्य पर गंभीर असर डालने वाले प्रदूषक कण सल्फर डाइआक्साइड, कार्बन मोनोआक्साइड, नाइट्रोजन डाइआक्साइड और ओजोन गैस राजधानी को दमघोंटू बना रहे हैं। प्रदूषक विकासशील भ्रूणों और नवजातों पर बड़ा प्रभाव डालते हैं।
प्रारंभिक विकासात्मक चरणों के कारण गर्भ में पल रहे बच्चे सबसे संवेदनशील समूहों में से एक हैं। बच्चे अपने शरीर के वजन के प्रति किलोग्राम के हिसाब से अधिक हवा लेते हैं और बाहरी गतिविधियों में अधिक समय बिताते हैं, जिससे उनके अंदर प्रदूषक तत्व ज्यादा जाते हैं। वायु प्रदूषण के कारण बच्चों में अस्थमा, आटिज्म, हाइपरटेंशन, ब्रोंकाइटिस, ह्रदय रोग की संभावना ज्यादा है।
शिशु के मस्तिष्क पर बुरा प्रभाव
क्लाउड नाइन के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. विनय राय ने बताया कि इस साल लैंसेट जर्नल में परिवेशीय वायु प्रदूषण और शिशु स्वास्थ्य पर प्रकाशित समीक्षा रिपोर्ट के मुताबिक गर्भावस्था के दौरान वायु प्रदूषण के प्रभाव से बच्चे का जन्म के समय कम वजन, समय से पूर्व जन्म, जन्मजात विसंगतियां होने के साथ गर्भ में ही मौत हो सकती है। कण और गैसीय प्रदूषक शिशु के मस्तिष्क तक पहुंच रहे हैं।
इसके दो चरण हैं, पहला गर्भवती जब वायु प्रदूषण के बीच सांस लेती है, तो हवा में मौजूद पार्टिकुलेट मैटर उसके शरीर में पहुंचते हैं। मां के खून में मिलकर कुछ कण प्लसेंटा को पार कर भ्रूण तक पहुंच जाता है। कुछ प्रदूषक कण प्लसेंटा में इकट्ठे हो जाते हैं। इससे बच्चे तक रक्त प्रवाह में रुकावट होने लगती है, इसी रक्त से बच्चे को पोषण मिलता है।
बच्चे का विकास रुक जाता है, वह शारीरिक या मानसिक रूप से अपंग हो सकता है। नवजात के सांस के साथ प्रदूषण के कण मस्तिष्क तक पहुंच जाते हैं। वर्ष 2022 में सिस्टम आफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च ने इसका पहली बार साक्ष्य दिया कि गर्भावस्था के दौरान भ्रूण के मस्तिष्क और प्लसेंटा दोनों में कार्बन कण मौजूद थे।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।राजधानी की हवा में आटिज्म के कारक
हालिया मेटा-विश्लेषण में परिवेशीय वायु प्रदूषण और बचपन के दौरान न्यूरोडेवलपमेंट विकारों के बीच संबंधों की व्यापक समीक्षा की गई। जिसमें पीएम-2.5, नाइट्रोजन डाइआक्साइड, ओजोन के आटिज्म से संबंध की पहचान की गई। वर्तमान में दिल्ली की हवा में ये तीनों मौजूद हैं। मेटा विश्लेषण कई अध्ययन को मिलाकर किया जाता है। इसलिए इसकी विश्वसनीयता ज्यादा मानी जाती है।Also Read-गुणसूत्र हो रहे प्रभावित
मेटा-विश्लेषण अध्ययन में बच्चों और किशोरों में उच्च रक्तचाप व मोटापे के उच्च जोखिम के साक्ष्य दिए गए हैं। बताया गया कि जीवन के पहले ढाई साल (गर्भाधान से लेकर दो साल तक) में वायु प्रदूषण का संपर्क डीएनए और जीन में परिवर्तन कर सकता है। गुणसूत्रों में टेलीमोर, जो सबसे अंत में होता है, उसकी लंबाई कम हो रही है। इससे बच्चों में बुढ़ापा और मृत्यु समय से पहले आ सकता है।ये बीमारियां दो से तीन पीढ़ी तक जा सकती है। आटिज्म, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और ह्रदय संबंधी समस्या सामने आ सकती है। जीवन प्रत्याशा सात से 10 साल कम हो सकती है।
डॉ. विनय राय, बाल रोग विशेषज्ञ
ये एहतियात जरूरी
- बच्चों को घर से बाहर खेल गतिविधियां न करने दें
- एयर प्यूरिफायर का भी इस्तेमाल किया जा सकता है
- तरल पदार्थ व संतुलित पोषण लें
- प्राणायाम और सांस संबंधी व्यायाम करें
- काफी मात्रा में हरी सब्जी, फल लें, ताकी एंटीआक्सीडेंट का स्तर बढ़े
- सांस के माध्यम से बच्चों के मस्तिष्क तक पहुंच रहे हैं कार्बन के कण
- बच्चे वयस्कों से ज्यादा तेजी से सांस लेते हैं, इससे उनके शरीर में ज्यादा जाते हैं प्रदूषक तत्व
- अध्ययन के मुताबिक, प्रदूषण से मस्तिष्क के प्रभावित होने से आटिज्म का खतरा