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एयरटेल को देना होगा पांच लाख रुपये जुर्माना, आयोग ने दिया आदेश

निजी दूरसंचार सेवा प्रदाता कंपनी भारती एयरटेल लिमिटेड पर पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। मामला ग्राहक को प्रताड़ित करने से जुड़ा है। जिला उपभोक्ता अदालत के निर्णय को राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने बरकरार रखा है। ग्राहक की शिकायतों की जांच के संबंध में न तो कोई सुबूत पेश किया और न ही शिकायत दर्ज की।

By Vineet Tripathi Edited By: Abhishek Tiwari Updated: Mon, 08 Jul 2024 07:36 AM (IST)
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ग्राहक को प्रताड़ित करने पर एयरटेल पर पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। ग्राहक को प्रताड़ित करने पर एक निजी दूरसंचार सेवा प्रदाता पर पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाने के दिल्ली जिला उपभोक्ता अदालत के निर्णय को दिल्ली राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एससीडीआरसी) ने बरकरार रखा है।

ग्राहक का आरोप था कि फोन कॉल से परेशान करने और बकाया राशि का भुगतान करने के बावजूद उसकी सेवाएं बंद करने के लिए जिला आयोग ने पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया था।

आयोग ने कहा कि सेवा प्रदाता ने ग्राहक की शिकायतों की जांच के संबंध में न तो कोई सुबूत पेश किया और न ही कोई शिकायत दर्ज की है। आयोग ने कहा कि इसके अतिरिक्त ग्राहक से इस बारे में शिकायत मिलने के बाद भी वह उसे कॉल करना बंद करने के लिए कोई ठोस कदम उठाने में विफल रहा।

सेवाएं प्रदान करने में लापरवाह थी कंपनी

राज्य आयोग ने अपने निर्णय में कहा कि कंपनी न केवल अपनी सेवाएं प्रदान करने में लापरवाह थी, बल्कि ग्राहक को परेशान करने के लिए अपनी शक्ति का भी इस्तेमाल कर रही थी। अदालत ने कहा कि वर्ष 2014 में पारित जिला उपभोक्ता अदालत के फैसले में कोई कमजोरी नहीं मिली।

आयोग ने ईमेल के माध्यम से संचार पर ध्यान देते हुए कहा कि कंपनी ने न केवल अपनी सेवाएं प्रदान करने में लापरवाही बरती बल्कि शिकायतकर्ता को परेशान करने के लिए अपने पद का इस्तेमाल किया।

जिला उपभोक्ता अदालत ने लगाया था पांच लाख का जुर्माना

जिला उपभोक्ता अदालत ने सितंबर 2014 में अपने फैसले में पांच लाख रुपये का मुआवजा लगाया था। साथ ही निर्देश दिया था कि उक्त धनराशि में से तीन लाख रुपये राज्य उपभोक्ता कल्याण कोष और शेष दो लाख रुपये शिकायतकर्ता को दिए जाएं।

शिकायतकर्ता जसमीत सिंह पुरी (अब दिवंगत) को मार्च 2013 में कंपनी द्वारा सूचित किया गया था कि इंटरनेट और फोन सेवाओं के लिए उनके द्वारा 4,995 रुपये के बिल के लिए जो चेक भुगतान किया गया था, वह पर्याप्त धन की कमी के कारण बाउंस हो गया था।

बंद की थी इंटरनेट सेवा

हालांकि, जसमीत ने जब कंपनी से बैंक से जांच करने को कहने के बावजूद भुगतान की प्राप्ति को कंपनी न सिर्फ स्वीकार करने में विफल रही, बल्कि उन्हें 7,549 रुपये के भुगतान की मांग करने वाला कानूनी नोटिस भेजने से पहले मई 2013 में उनकी इंटरनेट सेवाएं बंद कर दीं।

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