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14 साल की दीया ने अपने पिता अजीत के साथ बना डाले कई कीर्तिमान, जानिये-पूरा मामला

14 साल की अपनी पुत्री दीया के साथ अजीत बजाज ने ग्रीन लैंड में 550 किमी स्कींग की। नॉर्थपोल और साउथ पोल पर स्कींग करने वाले अजीत बजाज को पहले भारतीय होने का गौरव भी प्राप्त है।

By Edited By: Updated: Tue, 29 May 2018 10:28 AM (IST)
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14 साल की दीया ने अपने पिता अजीत के साथ बना डाले कई कीर्तिमान, जानिये-पूरा मामला
गुरुग्राम (जेएनएन)। दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा लहरा कर गुरुग्राम के पिता -पुत्री अजीत बजाज और दीया बजाज लौट आए हैं। ये पहले पिता पुत्री हैं, जिन्हें यह गौरव हासिल हुआ है। पिता-पुत्री ने पिछले दस सालों में एक साथ कई कीर्तिमान बनाए हैं। 14 साल की अपनी पुत्री दीया के साथ अजीत बजाज ने ग्रीन लैंड में 550 किमी स्कींग की। नॉर्थपोल और साउथ पोल पर स्कींग करने वाले अजीत बजाज को पहले भारतीय होने का गौरव भी प्राप्त है। 16 मई की सुबह माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा लहराने वाले पिता-पुत्री ने 15 मई को पूरी रात चढ़ाई की थी। सुबह 4.30 बजे 24 वर्षीय पुत्री दीया ने एवरेस्ट पर पहुंची। उनके 15 मिनट बाद 53 वर्षीय पिता अजीत बजाज पहुंचे। अजीत और दीया दुनिया के ऐसे पहले पिता पुत्री हैं जिन्होंने एक साथ एवरेस्ट पर फतेह हासिल की हो। प्रस्तुत है साहस और जोश के जज्बे से भरे इस अभियान के बारे गुरुग्राम के डीएलएफ फेज थ्री स्थित गार्डन एस्टेट में रहने वाले अजीत बजाज से जागरण संवाददाता पूनम की बातचीत के कुछ अंशः-

1. आप दोनों को इस उपलब्धि के लिए बहुत बधाई। दुनिया को सबसे ऊंची चोटी से देखा, कैसी अनुभूति हुई?

- हमारे जीवन का अभूतपूर्व क्षण था। हमने एवरेस्ट पर चढ़ने की ठानी थी, लेकिन इसके पहले कई पूर्वाभ्यास, कई ट्रेनिंग भी लीं। लेकिन अंदाजा नहीं था कि इतना अविस्मरणीय दृश्य देखने को मिलेगा। जब माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा लहराया तो हम दोनों बहुत भावुक हो उठे। माइनस 30 से 40 डिग्री तापमान के बीच चढ़ाई की थी। साथ में बिटिया थी और 15 की रात जब हम कैंप में थे, तब तूफान आया था। करीब 70 किमी की रफ्तार से हवाएं चलने लगी। लग रहा थी कि कहीं तंबू के साथ हम न उड़ जाएं। हमारे कुछ शेरपा भाई और दूसरे पर्वतारोही भी थे। हमने 15 की रात साढ़े नौ बजे चढ़ाई शुरू की और अगले सुबह साढ़े चार और पौने पांच के बीच हमलोग एवरेस्ट पर थे।

2. माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई से पहले कितनी तैयारियां की थी?

- इसके लिए पहले पूर्वाभ्यास के लिए यूरोप की सबसे ऊंची चोटी रूस स्थित माउंट एल्बर्स पर चढ़ चुके थे। फ्रांस में जाकर पर्वतारोहण की तकनीकी जानकारी ली थी। फरवरी के महीने में लद्दाख में जाकर बर्फ पर चढ़ाई करने की ट्रेनिंग ली। हाई एटीट्यूड विंटर ट्रेनिंग भी ली। हम दोनों यह निश्चय करके चले थे कि हमें माउंट एवरेस्ट तक पहुंचना है। इस अभियान के लिए 10 अप्रैल को नेपाल गए। 19 अप्रैल को तिब्बत के कैंप से चढ़ाई शुरू की और 16 मई को सफलता मिली।

3. सुना है आप बचपन से ही साहस और जोखिम से भरपूर अभियानों में जाते रहे हैं?

- माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाले पहले व्यक्ति सर एडमंड हिलेरी से मिला था। उनसे मुझे इस अभियान की प्रेरणा मिली। मैं मूलत: हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला के रहने वाला हूं। पर्वतों पर चढ़ना बचपन से पसंद था। 12 साल की उम्र में 12 हजार फीट ऊंचे कुल्लू के फ्रेंडशिप पिक पर चढ़ा। इसके बाद 16 साल की उम्र में 20 हजार फुट हनुमान टिब्बा पर चढ़ा। दिल्ली के स्टीफेंस कॉलेज में जब पढ़ाई के लिए आया था, उस दौरान माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाले पहले व्यक्ति एडमंड हिलेरी वहां आए थे। मैं जब उनसे मिला तो यह संकल्प लिया कि मैं भी एक दिन एवरेस्ट विजेता बनूंगा। बेटी दीया भी मेरे रंग में रंग गई है। बेटी को लेकर जोखिम से भरे अभियान में जाता हूं तो थोड़ा डर लगता है, मगर वह खुद इतने जोश में होती है कि वह भी खत्म हो जाता है।

4. पर्वतारोहण के अलावा अन्य एडवेंचर गेम में आपको कई पुरस्कार मिले हैं, इसके बारे में बताएं?

-एडवेंचर के लिए मुझे 2012 में भारत सरकार ने पद्यश्री से सम्मानित किया। बर्फीली जगहों पर काया¨कग में कई मेडल प्राप्त किए हैं। मैं दुनिया के सभी महा देशों में यात्रा कर चुका हूं। ऐसा पहला भारतीय हूं, जिसने उत्तरी ध्रुव और दक्षिणी ध्रुव दोनों जगहों पर स्कींग की है।

5. वर्ष 2008 में ग्रीन लैंड में बनाए गए रिकॉर्ड के बार में बताइए? मैंने 18 दिनों तक ग्रीनलैंड में 550 किमी स्कींग की।

- इस अभियान में मेरी 14 साल की बेटी दीया भी साथ थी। वर्ष 2008 में मैं इंडो अमेरिकन दल का हिस्सा होते हुए सबसे ज्यादा दिन तक स्कींग का रिकॉर्ड बनाया। इस दस का उद्देश्य ग्लोबल वार्मिंग के कारण पिघलते ग्लेशियर को लेकर जागरुकता पैदा करना था। इस अभियान के दौरान 18 दिनों तक बर्फ पर स्कींग कर 550 किमी दूरी तय की थी। इस अभियान में भी मेरी 14 वर्षीय बेटी दीया बजाज मेरे साथ थी। एडवेंचर के शौक मुझसे ही उनकी पुत्री को मिले हैं। ग्रेजुएशन के बाद अब वह मेरे साथ एडवेंचर स्पोर्टस से जुड़ा कारोबार भी संभाल रही है।

6. आपके परिवार में और कौन हैं और उनका आपके अभियान में क्या योगदान होता है?

- पत्नी शिरली थॉमस बजाज, पुत्री दीया और मेघना हैं। मेरे वयोवृद्ध माता-पिता सत्या बजाज और जयदेव बजाज का आशीर्वाद मेरे साथ है। पत्नी और कॉलेज में पढ़ने वाली बेटी मेघना का भी पूरा सपोर्ट मेरे मेरे साथ रहता है।

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