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अखिल भारतीय श्रमिक संघ की मांग, आर्थिक संकट से बदहाल निगमों को फिर से एक करे सरकार

कर्मचारी यूनियन का कहना है कि तीन निगम होने से खर्चा ज्यादा बढ़ गया है क्योंकि तीनों नगर निगमों के अलग-अलग मुख्यालय चलते हैं।

By Mangal YadavEdited By: Updated: Tue, 04 Aug 2020 12:29 PM (IST)
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अखिल भारतीय श्रमिक संघ की मांग, आर्थिक संकट से बदहाल निगमों को फिर से एक करे सरकार
नई दिल्ली [निहाल सिंह]। राजधानी दिल्ली के दक्षिणी, पूर्वी और उत्तरी निगम की आर्थिक स्थिति दिन प्रतिदिन बिगड़ती जा रही है। विकास कार्य तो दूर, निगम अपने कर्मियों को वेतन तक जारी नहीं कर पा रहे हैं। इस बीच अब निगमकर्मियों ने इस संकट से निकलने के लिए तीनों नगर निगमों को फिर से एक करने की मांग शुरू कर दी है। इसको लेकर सफाई कर्मचारी यूनियन और ट्रेड यूनियन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल को पत्र लिखकर निगमों को फिर से एक करने की मांग की है।

इससे पूर्व शिक्षकों से लेकर डॉक्टर भी तीनों नगर निगमों को फिर से एक करने की मांग कर चुके हैं। अखिल भारतीय श्रमिक संघ की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे एक पत्र में कहा है कि जब से निगम के तीन हिस्से हुए हैं तब से निगम का खर्च तीन गुना बढ़ गया है। यही वजह से है कि तीनों नगर निगमों में इस समय घाटे का बजट चल रहा है।

अखिल भारतीय श्रमिक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष संतलाल चावरिया ने कहा कि खर्चे बढ़ने की वजह से निगम की स्थिति खराब हो गई है। इसलिए केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार को चाहिए कि तीनों नगर निगमों को फिर से एक कर दिया जाए। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2012 से पहले दिल्ली नगर निगम हुआ करता था। उस समय दिल्ली की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने यह कहते इसे तीन हिस्सों में विभाजित कर दिया था कि जनता को सुविधाएं पहुंचाने और विकास कार्यो को गति देने के लिए छोटे-छोटे निगम होने चाहिए।

पहले दिल्ली में पांच निगम बनाने की बात हुई, लेकिन आखिर में तीन निगम बनाने पर फैसला हुआ। कर्मचारी यूनियन का कहना है कि तीन निगम होने से खर्चा ज्यादा बढ़ गया है, क्योंकि तीनों नगर निगमों के अलग-अलग मुख्यालय चलते हैं। तीनों में अलग-अलग महापौर होते हैं। इसके साथ ही स्थायी समिति के तीन अध्यक्ष भी होते हैं।

बेटी की शादी तक के लिए नहीं मिलता है फंड

शिक्षक न्याय मंच नगर निगम के अध्यक्ष कुलदीप खत्री ने कहा कि निगम को एक कर देना चाहिए। इससे निगमों की आर्थिक स्थिति का कुछ हद तक समाधान होता है, क्योंकि कर्मचारियों को वेतन से लेकर सेवानिवृत्त होने तक की राशि नहीं मिली है। इतना ही नहीं, कोई कर्मी अपनी बेटी की शादी करना चाहता है तो उसे भी फंड नहीं मिल पाता है।

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