दिल्ली ही नहीं पूरा देश है ‘अमृतसर स्पेशल चुर-चुर दे नान’ का दीवाना, जानिए- खूबियां
तंदूरी नान का चलन पंजाब से ही शुरू हुआ। यही कारण है कि पहले इस दुकान में भी जो नान परोसा जाता था उसे अमृतसरी नान कहा जाता था।
By JP YadavEdited By: Updated: Sat, 25 May 2019 05:18 PM (IST)
नई दिल्ली [हंस राज]। खाने-खिलाने के मामले में दिल्ली का जवाब नहीं। जायका पसंद दिल्लीवाले हर गलीकूचे में स्वाद का खजाना ढूंढ़ ही लेते हैं। तभी तो यहां की हर एक दुकान अपने भीतर खास किस्म का जायका और स्वाद लिए हुए है। कहीं जायकों की परंपरागत खुशबू है तो कहीं नया प्रयोग कर दिल्लीवालों को अनोखे व्यंजनों का स्वाद चखाया जा रहा है। स्वाद के इसी जादू में पंजाबी खासकर अमृतसरी जायकों का लुत्फ उठाने लोग पहाड़गंज की देशबंधु गुप्ता रोड का रुख करत हैं। यहां अमृतसर में परोसे जाने वाले स्वाद से लेकर पुरानी दिल्ली के चटपटे मसालों तक का सुस्वाद मिल जाएगा। इस मार्ग पर कदम-कदम पर चूर-चूर नान की दुकानें और खोमचे लगे हैं, लेकिन ‘अमृतसर स्पेशल चुर-चुर दे नान’ का कोई जवाब नहीं।
आठ दशक से लोगों की जुबान पर है ये स्वाद दुकान संचालक प्रवीण जैन कहते हैं कि साल 1940 में मेरे दादा पीएस जैन ने दुकान की शुरुआत की थी। तब यह एक साधारण भोजनालय की शक्ल में थी, जहां राजमा-चावल छोले-भटूरे, चावल और रोटी के अलावा अमृतसरी नान परोसा जाता था। चूंकि नान तो सभी जगह एक जैसे ही मिलते हैं इसलिए कुछ अलग करने की ललक में 1980 में मेरे पिता एससी जैन ने अमृतसरी नान के साथ नया प्रयोग कर दिल्ली का परिचय चुर-चुर नान से करवाया। चूर-चूर नान यानी चूरा किया हुआ नान का यह प्रयोग इतना लोकप्रिय हुआ कि कुछ ही महीनों में यह दुकान का सिग्नेचर डिश बन गया और इसके स्वाद ने दिल्ली ही नहीं एनसीआर के शहर नोएडा, गुरुग्राम, फरीदाबाद, सोनीपत और गाजियाबाद के लोगों को भी आकर्षित करना शुरू कर दिया।
स्वाद का शहंशाह तंदूरी नान का चलन पंजाब से ही शुरू हुआ। यही कारण है कि पहले इस दुकान में भी जो नान परोसा जाता था, उसे अमृतसरी नान कहा जाता था। पिछले करीब चार दशक में यहां परोसा जाने वाला गर्मागर्म ‘चूर-चूर नान’ के कुरकुरे स्वाद ने लोगों को अपना मुरीद बना लिया है। स्वाद के इस ठिकाने में अब चार तरह के नान परोसे जाते हैं। आलू, गोभी, पनीर और मिक्स नान की थाली शाही पनीर, दाल मखनी, चना मसाला, रायता और चटपटी चटनी लच्छेदार प्याज के साथ परोसी जाती है।
यहां भी ले सकते हैं स्वाद चुर-चुर नान पहाड़गंज में तीन-चार दुकानों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि दिल्ली की अन्य जगहों पर भी चुर-चुर नान का लुत्फ उठाया जा सकता है।
1. लाजपत नगर के सेंट्रल मार्केट स्थित ‘वैष्णो नान’2. मूलचंद मेट्रो स्टेशन के समीप ‘संजय चूर-चूर नान’
3. कालकाजी के हंसराज सेठी मार्ग स्थित ‘महक फूड कॉर्नर’4. नारायणा के मुख्य बाजार स्थित ‘पालजी कॉर्नर’
5. द्वारका सेक्टर-12 स्थित ‘राजू चूर-चूर नान’6. राजौरी गार्डन के ‘प्रेम दी हट्टी’ के चुर-चुर नान का स्वाद मिलता है।
वहीं गुरुग्राम के डीएलएफ मेगा मॉल के फूड कॉर्नर में ‘पराठा गुरु’ और सेक्टर-31 स्थित ‘दिल्ली लाइट’ में परोसे जाने वाले चुर-चुर नान को भी लोग काफी पसंद करते हैं। शुद्धता के साथ कोई समझौता नहीं
यहां नान और उसके साथ परोसी जानी वाली सब्जियों में घर में तैयार मसालों का ही इस्तेमाल किया जाता है। चूंकि इसी जायके ने दुकान को मशहूरियत दी लिहाजा इसके स्वाद से कभी कोई समझौता नहीं किया गया। ‘चूर-चूर नान’ की विशेषता के कारण ही पहाड़गंज व दिल्ली के अन्य बाजारों ने भी इस स्वाद को अपनाने की कोशिश की। क्या मोदी के जन्म से 450 साल पहले ही लिखा जा चुका था उनका भविष्य !
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आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।यहां नान और उसके साथ परोसी जानी वाली सब्जियों में घर में तैयार मसालों का ही इस्तेमाल किया जाता है। चूंकि इसी जायके ने दुकान को मशहूरियत दी लिहाजा इसके स्वाद से कभी कोई समझौता नहीं किया गया। ‘चूर-चूर नान’ की विशेषता के कारण ही पहाड़गंज व दिल्ली के अन्य बाजारों ने भी इस स्वाद को अपनाने की कोशिश की। क्या मोदी के जन्म से 450 साल पहले ही लिखा जा चुका था उनका भविष्य !
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