Daati Maharaj: चाय की प्याली उठाने वाला आखिर कैसे बन गया देश का नामी ज्योतिषी
Daati Maharaj बहुत कम लोग जानते होंगे कि दाती महाराज का असली नाम मदनलाल है और मदनलान के दाती महाराज का बनने की कहानी बड़ी रोचक है।
By JP YadavEdited By: Updated: Thu, 28 May 2020 02:54 PM (IST)
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। Daati Maharaj: लॉकडाउन के दौरान नियमों का उल्लंघन कर शनिधाम मंदिर में धार्मिक आयोजन करने के आरोपित दाती महाराज पहली बार किसी कानूनी पचड़े में नहीं फंसे हैं। इससे पहले वह एक 26 साल की युवती के साथ सामूहिक दुष्कर्म के मामले में भी आरोपित बन चुके हैं। बहुत कम लोग जानते होंगे कि दाती महाराज का असली नाम मदनलाल है और मदनलान के दाती महाराज का बनने की कहानी बड़ी रोचक है।
मिली जानकारी के मुताबिक, दाती महाराज का असली नाम मदनलाल है और वह मूलरूप से राजस्थान के पाली जिले का रहने वाला है। उसके गांव का नाम है अलावास, लेकिन उसका आना-जाना अब नहीं होता। दरअसल, मदन लाल का जन्म जिस मेघवाल समुदाय में हुआ, वह ढोलक बजाकर पैसा कमाता था। मदन के पिता देवाराम भी आयोजनों के दौरान ढोलक बजाकर ही गुजारा करते थे। बताया जाता कि मदनलाल ने बचपन में ही मां को खो दिया था, करीबियों का कहना है कि मदनलाल के जन्म के कुछ बाद बाद ही मां का निधन हो गया। इसके बाद 7 साल की उम्र में मदनलाल ने पिता देवाराम को भी खो दिया। इसके बाद जिंदगी ने इम्तहान लेना शुरू किया तो बेहद कठिन दौर भी आए। मदन के लिए खाने का संकट पैदा गया, रिश्तेदारों ने भी मुंह मोड़ दिया।
गांव में मन न लगा तो दिल्ली आया, किया चाय बेचने का काम
करीबियों की मानें तो महज 7 साल की उम्र में माता-पिता दोनों को खोने वाले मदनलाल का मन गांव में नहीं लगा और वह गांव के ही रहने वाले व्यक्ति के साथ दिल्ली आ गया। यहां पर उसने चाय की दुकान में काम करने चाय की दुकान पर काम करने के बाद कैटरिंग का काम भी सीखा, लेकिन उसे आशातीत सफलता नहीं मिली।1966 में बदल गई मदनलाल की किस्मत
चाय की दुकान मन न लगा तो मदनलाल कैटरिंग का काम करने लगा। मदन की जिंदगी में बड़ा बदलाव वर्ष 1966 में तब आया जब उसकी मुलाकात राजस्थान के एक ज्योतिषी से हुई। साथ रहने के दौरान मदनलाल ने ज्योतिषी से जन्मकुंडली देखना सीख लिया। इसके पाद उसने कैटरिंग का काम बंद कर कैलाश कॉलोनी में ज्योतिष केंद्र खोल लिया। इसी के साथ अपना नाम मदनलाल से बदलकर दाती महाराज कर लिया। एक भविष्यवाणी और चल पड़ी दाती की गाड़ी
ज्योतिषी की दुनिया में ठीकठाक नाम कमाने वाले दाती ने 1998 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में उसने एक नेता की कुंडली देखकर उसके चुनाव जीतने की भविष्यवाणी की थी। हुआ भी ऐसा ही वह शख्स चुनाव जीत भी गया। इसके बाद उस नेता ने अपनी जीत की खुशी में फतेहपुर बेरी स्थित अपना पुश्तैनी मंदिर का काम दाती महाराज को सौंप दिया।जमीन पर किया कब्जा भीहाथ देखने का काम चल निकला तो मदन ने फतेहपुरबेरी गांव में ही अपना ज्योतिष केंद्र खोल लिया। फिर इसी जमीन पर उसने शनिधाम मंदिर बना लिया। कुछ साल में ही आस-पास की जमीन पर कब्जा करके आश्रम और ट्रस्ट बना लिए, दशकों तक कोई समस्या नहीं आई। चेलों, भक्तों की संख्या सैकड़ों से हजारों में तब्दील हो गई।
मदन से बन गया दाती महाराज, काम बदला तो नाम भी बदल लियाज्योतिषी का काम सीखकर मदन ने जान लिया था कि इस काम में जबरदस्त पैसा है और शोहरत भी है। फिर क्या था मदन ने कैटरिंग का काम बंद कर दिल्ली की कैलाश कॉलोनी में ज्योतिष केंद्र खोल लिया। जिंदगी में बदलाव आया तो उसने काम पीछे छोड़ने के साथ नाम भी छोड़ दिया और नाम बदलकर दाती महाराज रख लिया।...तो इसलिए खुद रख दिया अपना दाता महाराज नाम
दौलत-शोहरत मिलते ही दाती महाराज ने दिल्ली से बाहर भी उड़ान भरनी शुरू कर दी। हरिद्वार महाकुंभ के दौरान पंचायती महानिर्वाण अखाड़े ने दाती महाराज को महामंडलेश्वर की उपाधि दे दी। इसके बाद शनि मंदिर को श्री सिद्ध शक्तिपीठ शनिधाम पीठाधीश्वर का नाम दे दिया और खुद का नाम श्रीश्री 1008 महामंडलेश्वर परमहंस दाती जी महाराज रख लिया।टेलीविजन शो ने घर-घर कर दिया लोकप्रिय
21वीं शुरू होते-होते दाती महाराज के लिए बहुत कुछ बदल चुका था। दशक खत्म होते-होते वह न्यूज चैनलों पर भी आने लगा। एक समय ऐसा भी आया, जब लोग खासतौर से उसका शो देखने के लिए लालायित रहते थे। दिल्ली के साथ राजस्थान के आश्रमों में उसकी लोकप्रियता बढ़ने लगी। बताया जाता है कि शुरुआत में तो उसने पैसा देकर अपने कार्यक्रम चलवाए, लेकिन फिर डिमांड बढ़ी तो चैनलों ने ही पैसा देकर उसको समय देना शुरू कर दिया।
कई बड़े नेता आश्रम में आते थेदाती महाराज ने अपने आश्रम के बाहर बैनर में कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों तथा केंद्रीय मंत्रियों के साथ अपनी तस्वीरें लगा रखी हैं, जिनमें विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता शामिल हैं। साथ ही अब तक छतरपुर स्थित आश्रम पर शनि अमावस्या समारोह के दौरान कई बड़े नेता आश्रम में भी आते थे।
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