जानें क्या है 'सम्राट यंत्र' जिसका दो साल बाद भी नहीं पता चला रंग
ष्ट्रीय स्मारक जंतर-मंतर परिसर के बीचोंबीच सम्राट यंत्र स्थित है। यंत्रों का सम्राट अथवा सम्राट यंत्र जंतर-मंतर वेधशाला का सबसे बड़ा और प्रभावशाली यंत्र है।
नई दिल्ली, जेएनएन। राष्ट्रीय स्मारक जंतर-मंतर परिसर के बीचोंबीच सम्राट यंत्र स्थित है। यंत्रों का सम्राट अथवा सम्राट यंत्र जंतर-मंतर वेधशाला का सबसे बड़ा और प्रभावशाली यंत्र है। यंत्र के पूर्वी भाग में एक और सहायक यंत्र मौजूद है। मुख्य यंत्र की ऊंचाई 20.73 मीटर है। यह यंत्र पूर्व-पश्चिम में 38.10 मीटर और उत्तर-दक्षिण में 34.6 मीटर है। यह जमीन के चतुष्कोणीय भाग पर बना है।
इस यंत्र के ये फायदे
इस यंत्र के माध्यम से किसी भी स्थान का समय और सूर्य का झुकाव जाना जा सकता है। इस यंत्र की दीवार पृथ्वी की धुरी के समानांतर झुकी हुई है। इसके दोनों ओर दो अर्ध वृत्ताकार खंड स्थित हैं।
सम्राट यंत्र के रंग का नहीं हो सका फैसला
सम्राट यंत्र पर कैसा रंग किया जाए, इस पर दो साल बाद भी फैसला नहीं हो सका है। इस पर पहले गहरा लाल रंग था, मगर जर्जर हो जाने के बाद दो साल पहले 2017 में इसका संरक्षण कार्य कराया गया था। उस समय इसके ऊपर चूना प्लास्टर किया गया था, जिससे इसका रंग लाल से क्रीम रंग का हो गया है।
जय सिंह द्वितीय ने कराया था जंतर-मंतर का निर्माण
यूं तो आज जंतर-मंतर स्मारक परिसर कुछ-कुछ खंडहरनुमा लगता है, लेकिन एक समय था जब इसका बड़ा महत्व था। अब समय देखने के लिए हमारे पास तरह-तरह की घड़ियां हैं। ग्रहों की जानकारी के लिए बड़ी-बड़ी दूरबीन हैं, लेकिन आज से 300 साल पहले यह आसान नहीं था। उस वक्त जयपुर के महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय ने समय और ग्रहों की गति के बारे में जानकारी लेने के लिए जंतर-मंतर का निर्माण करवाया था।
जतंर-मंतर के बारे में
जंतर मंतर नई दिल्ली में स्थित है। इस स्थल को जयपुर के महाराजा जय सिंह ने सन 1723 से बनाया था। इसको बनाने का लक्ष्य वेधशाला का प्राथमिक उद्देश्य खगोलीय तालिकाओं का संकलन, और सूर्य, चंद्रमा और ग्रहों के समय और चाल की भविष्यवाणी करना था। इसमें राम यंत्र, सम्राट यंत्र, जया प्रकाश यंत्र और मिश्र यंत्र जंतर मंतर के विशिष्ट उपकरण मौजूद हैं
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