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    'संसद और विधानसभाओं में सार्थक बहस होनी चाहिए', अमित शाह ने क्यों दिया ऐसा बयान?

    केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि संसद और विधानसभाओं में सार्थक बहस होनी चाहिए। उन्होंने राजनीतिक स्वार्थ के लिए सदन बाधित करने की परंपरा पर चिंता जताई। शाह ने कहा कि विधानसभाओं को देशहित में जनता की आवाज बननी चाहिए। उन्होंने विट्ठलभाई पटेल को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उनका योगदान अविस्मरणीय है। शाह ने सभी विधानसभाओं में विट्ठलभाई पर प्रदर्शनी आयोजित करने का सुझाव दिया।

    By V K Shukla Edited By: Rajesh Kumar Updated: Sun, 24 Aug 2025 09:50 PM (IST)
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    केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि संसद और विधानसभाओं में सार्थक बहस होनी चाहिए। फाइल फोटो

    राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि संसद हो या विधानसभा, सदन में सार्थक बहस होनी चाहिए, अन्यथा वे केवल बेजान इमारतें बनकर रह जाएंगी। शाह ने कहा कि अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए संसद और विधानसभाओं को न चलने देना बहस नहीं है।

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    उन्होंने कहा कि विरोध पर संयम रखना चाहिए। प्रतीकात्मक विरोध अपनी जगह है, लेकिन विरोध के बहाने दिन-प्रतिदिन और पूरे सत्र सदन को न चलने देने की जो परंपराएं बन रही हैं, उन पर देश की जनता और चुने हुए प्रतिनिधियों को किसी दिन विचार करना होगा।

    उन्होंने कहा कि सदन में जब चर्चा समाप्त हो जाती है, तो देश के विकास में सदन का योगदान बहुत कम रह जाता है। केंद्रीय मंत्री शाह दिल्ली विधानसभा में दो दिवसीय अखिल भारतीय अध्यक्ष सम्मेलन के उद्घाटन के अवसर पर बोल रहे थे।

    बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) पर चर्चा की मांग को लेकर विपक्षी दलों के लगातार विरोध प्रदर्शन के कारण संसद के मानसून सत्र के दौरान सदन की कार्यवाही जिस तरह बाधित हुई, उस पर केंद्रीय गृह मंत्री शाह ने रविवार को कहा कि देश को विधायी कार्य में बाधा डालने के लिए विरोध प्रदर्शन की परंपरा पर पुनर्विचार करना होगा।

    शाह ने कहा कि जब भी विधानसभाओं ने अपनी गरिमा खोई है, हमें बहुत बुरे परिणाम भुगतने पड़े हैं। जब हस्तिनापुर की विधानसभा ने महिलाओं के सम्मान के लिए खड़े न होने के कारण अपनी गरिमा खो दी, तो महाभारत हुआ। उन्होंने सुझाव दिया कि विधानसभाओं को देशहित में जनता की आवाज को राज्य की आवाज बनाने का माध्यम होना चाहिए।

    उन्होंने कहा कि इन भवनों में भावनाओं और विचारों को व्यक्त करने का कार्य अध्यक्ष के नेतृत्व में सदन के सभी सदस्यों का है। तभी यह एक जीवंत इकाई बनती है, जो देश और राज्य के हित में काम करती है।

    शाह ने कहा कि जब हम विट्ठलभाई पटेल की बात करते हैं, तो हम गुजरात के लोग गर्व से कहते हैं कि गुजरात के दो महान व्यक्तित्वों का उल्लेख किया गया है। पहले भाई सरदार पटेल स्वतंत्रता आंदोलन में महात्मा गांधी के साथ थे और दूसरे विट्ठलभाई पटेल थे।

    शाह ने कहा कि आज ही के दिन 100 साल पहले महान स्वतंत्रता सेनानी विट्ठलभाई पटेल को केंद्रीय विधानसभा का अध्यक्ष चुना गया था, जिससे भारतीयों द्वारा हमारे विधायी इतिहास की शुरुआत हुई। उन्होंने अंग्रेजों को विधायी परंपराओं का पालन करने के लिए मजबूर किया और कभी झुके नहीं।

    इस दौरान उन्होंने पटेल के बारे में एक घटना सुनाई जब वह केंद्रीय विधानसभा के अध्यक्ष थे, जब अंग्रेजों को उन्हें सदन में वायसराय के बराबर की कुर्सी देकर सम्मानित करना पड़ा था। इसके साथ ही शाह ने कहा कि हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि किसी भी कानून का अंतिम उद्देश्य लोक कल्याण होना चाहिए।

    इसके साथ ही उन्होंने दिल्ली विधानसभा की तर्ज पर सभी विधानसभाओं में विट्ठलभाई पर एक प्रदर्शनी आयोजित करने और सदनों के पुस्तकालयों को बेहतर बनाने का भी सुझाव दिया।

    इस अवसर पर शाह ने दिल्ली विधानसभा परिसर में विट्ठलभाई पटेल के सम्मान में एक डाक टिकट जारी किया और उनके जीवन पर आधारित एक प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता अध्यक्ष सम्मेलन के आयोजक दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने की।

    इस अवसर पर केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू, उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना और मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की विधानसभाओं के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और विधान परिषदों के सभापति और उपसभापति इस सम्मेलन में भाग ले रहे हैं।