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झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाली अमिता बनी CA, चाय बेचने वाले पिता को रोते हुए लगाया गले; बोली- ये सुकून है

Amita Prajapati Success Story चाय बेचने व झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले की बेटी ने CA बनकर कमाल कर दिखाया है। अमिता प्रजापति ने 10 साल की मेहनत के बाद यह सफलता हासिल की है। लोग कहते थे कि इतना पैसा क्यों लगा रहे हो आपकी बेटी यह कोर्स नहीं कर पाएगी। लेकिन बेटी ने ठान लिया था कि पिता का नाम रोशन करके दिखाना है। जो उसने करके दिखाया।

By Jagran News Edited By: Kapil Kumar Updated: Tue, 23 Jul 2024 07:59 PM (IST)
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अमिता प्रजापति सीए बनने के बाद पिता को गले लगाकर रोई। एक्स हैंडल
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। किसी भी सफलता के लिए अमीर होना जरूरी नहीं है। अगर आप गरीब परिवार से है और आपने अपने मन में कुछ कर दिखाने का ठान लिया है तो आपको कोई नहीं रोक सकता है। ऐसा ही एक ताजा उदाहरण राजधानी दिल्ली से सामने आया है। एक चाय बेचने वाले की बेटी 10 साल की मेहनत के बाद कैसे सीए (CA) बनीं। (Amita Prajapati Success Story) यहां अमिता प्रजापति की सफलता की पूरी कहानी पढ़िए।

अमिता प्रजापति ने लिंक्डइन पर की पोस्ट

दरअसल, हाल ही में लिंक्डइन पर एक पोस्ट की गई है। यह पोस्ट मीडिया में काफी सुर्खियां बनी हुई है। क्योंकि यह कोई आम पोस्ट नहीं है बल्कि 10 साल के संघर्ष की पूरी कहानी है। अमिता ने लिंक्डइन पर पोस्ट डालते हुए लिखा कि पापा मैं सीए बन गई हूं। अमिता लिखती हैं कि वे अपनी आंखों में सपना लिए हर रोज खुद से पूछती थी कि क्या ये सपना कभी पूरा भी होगा? लेकिन 11 जुलाई को अमिता प्रजापति का यह सपना पूरा हो गया।

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सपना पूरा हुआ तो पिता के गले से लग छलक पड़े आंसू

भारतीय चार्टर्ड एकाउंटेंट्स संस्थान (आईसीएआई) ICAI की ओर से सीए फाइनल और इंटर मई सेशन के नतीजे 11 जुलाई 2024 को जारी किए गए। उधर, नतीजे जारी होने के बाद अमिता प्रजापति को पता चला कि वह सीए बन गई हैं। इसके बाद उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। वह दौड़ते हुए अपने पिता के पास गईं और गले से लगकर रोने लगी। उसकी आंखों में खुशी के आंसू थे और उसने कहा कि पापा मैं सीए बन गई हूं। बेटी की सफलता पर पिता भी भावुक हो गए। पिता और बेटी की यह फोटो भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है।

लोग कहते थे नहीं कर पाएगी कोर्स, गर्व से चौड़ा किया पिता का सीना

अमिता ने लिंक्डइन पर डाली पोस्ट में बताया कि उसके आसपास के लोग पिता से कहते थे कि इतना बड़ा कोर्स क्यों करवा रहे हों, आपकी बेटी कर नहीं पाएगी। क्योंकि मैं पढ़ाई थोड़ी एवरेज थी। लोग कहते थे कि तुम चाय बेचकर इतना नहीं पढ़ा पाओगे। सलाह देते थे कि पैसे बचाकर अपना घर बनवा लो। इतना तक भी कहते थे कि कब तक जवान बेटी को घर में बैठाकर रखोगे। वैसे भी एक दिन तो इन्हें जाना ही है, क्योंकि पराया धन है और फिर तुम्हारे पास कुछ नहीं बचेगा।

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अमिता प्रजापति बताती हैं कि भले ही बहुत कम लोगों को पता है कि मैं झुग्गी-झोपड़ी में रहती हूं लेकिन, मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है। अमिता लिखती हैं कि कुछ लोग कहते थे कि 'झुग्गी झोपड़ी उल्टी खोपड़ी'। लोग सही कहते थे, अगर उल्टी झोपड़ी नहीं होती तो आज मैं यहां तक नहीं पहुंचती। कहा कि अब मैं इतनी काबिल हुई कि अपने पापा के लिए घर बनवा सकती हूं। अपने पापा की सारी ख्वाहिशें पूरी कर सकती हूं।

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अमिता बताती हैं कि जिंदगी में पहली बार पापा को गले से लगाकर रोई, लेकिन यह सुकून है। लिखा कि इस पल का बहुत-बहुत इंतजार था। खुली आंखों से इस सपने को देखा तो बहुत सुकून मिला है।

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